बुधवार, 29 जुलाई 2015

औषधि गूलर वृक्ष

औषधि गूलर वृक्ष 

* गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है। इे एवं दलदली स्थानों पर उगता है। उत्तर प्रदेश के मैदानों में यह अपने आप ही उग आता है।
इसका वनस्पतिक नाम फीकुस ग्लोमेराता रौक्सबुर्ग है। यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। यह नदी−नालों के किनारे ज्यादा पाए जाते है 
* इसके भालाकार पत्ते 10 से सत्रह सेमी लंबे होते हैं जो जनवरी से अप्रैल तक निकलते हैं। इसकी छाल का रंग लाल−घूसर होता है। फल गोल, गुच्छों में लगते हैं। फल मार्च से जून तक आते हैं। कच्चा फल छोटा हरा होता है पकने पर फल मीठे, मुलायम तथा छोटे−छोटे दानों से युक्त होता है। इसका फल देखने में अंजीर के फल जैसा लगता है। इसके तने से क्षीर निकलता है।
* गूलर का कच्चा फल कसैला एवं दाहनाशक है। पका हुआ गूलर रुचिकारक, मीठा, शीतल, पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाला तथा पौष्टिक है। इसकी जड़ में ‪#‎रक्तस्राव‬ रोकने तथा जलन शांत करने का गुण है। गूलर के कच्चे फलों की सब्जी बनाई जाती है तथा पके फल खाए जाते हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर या अन्य प्रकार से उपयोग किया जाता है।
* गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है। इसलिए पित्त एवं कफ विकार नहीं होते। साथ ही इससे उदरस्थ अग्नि एवं दाह भी शांत होते हैं। पित्त रोगों में इसके पत्तों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन भी फायदेमंद होता है।
* गूलर की छाल ग्राही है, रक्तस्राव को बंद करती है। साथ ही यह मधुमेह में भी लाभप्रद है। गूलर के कोमल−ताजा पत्तों का रस शहद में मिलाकर पीने से भी मधुमेह में राहत मिलती है। इससे पेशाब में शर्करा की मात्रा भी कम हो जाती है।
* गूलर के तने को दूध बवासीर एवं दस्तों के लिए श्रेष्ठ दवा है। ‪#‎खूनी‬ बवासीर के रोगी को गूलर के ताजा पत्तों का रस पिलाना चाहिए। इसके नियमित सेवन से त्वचा का रंग भी निखरने लगता है।
* हाथ−पैरों की त्वचा फटने या ‪#‎बिवाई‬ फटने पर गूलर के तने के दूध का लेप करने से आराम मिलता है, पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
* गूलर से स्त्रियों की मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं भी दूर होती हैं। स्त्रियों में मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर इसकी छाल के काढ़े का सेवन करना चाहिए। इससे अत्याधिक बहाव रुक जाता है। ऐसा होने पर गूलर के पके हुए फलों के रस में खांड या शहद मिलाकर पीना भी लाभदायक होता है।
* विभिन्न योनि विकारों में भी गूलर काफी फायदेमंद होता है। योनि विकारों में योनि प्रक्षालन के लिए गूलर की छाल के काढ़े का प्रयोग करना बहुत फायदेमंद होता है।
* मुंह के छाले हों तो गूलर के पत्तों या ‪#‎छाल‬ का काढ़ा मुंह में भरकर कुछ देर रखना चाहिए। इससे फायदा होता है। इससे दांत हिलने तथा मसूढ़ों से खून आने जैसी व्याधियों का निदान भी हो जाता है। यह क्रिया लगभग दो सप्ताह तक प्रतिदिन नियमित रूप से करें।
* आग से या अन्य किसी प्रकार से जल जाने पर प्रभावित स्थान पर गूलर की छाल को लेप करने से जलन शांत हो जाती है। इससे खून का बहना भी बंद हो जाता है। पके हुए गूलर के शरबत में शक्कर, खांड या शहद मिलाकर सेवन करने से गर्मियों में पैदा होने वाली जलन तथा तृषा शांत होती है।
* नेत्र विकारों जैसे आंखें लाल होना, आंखों में पानी आना, जलन होना आदि के उपचार में भी गूलर उपयोगी है। इसके लिए गूलर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे साफ और महीन कपड़े से छान लें। ठंडा होने पर इसकी दो−दो बूंद दिन में तीन बार आंखों में डालें। इससे नेत्र ज्योति भी बढ़ती है।
* नकसीर फूटती हो तो ताजा एवं पके हुए गूलर के लगभग 25 मिली लीटर रस में गुड़ या शहद मिलाकर सेवन करने या नकसीर फूटना बंद हो जाती है।
* धातुदुर्बलता के लिए 1 बताशे में 10 बूंद गूलर का दूध डालकर सुबह-शाम सेवन करने और 1 चम्मच की मात्रा में गूलर के फलों का चूर्ण रात में सोने से पहले लेने से धातु दुर्बलता दूर हो जाती है। इस प्रकार से इसका उपयोग करने से शीघ्रपतन रोग भी ठीक हो जाता है।
* मर्दाना शक्तिवर्द्धक के लिए 1 छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की 25 बूंद भरकर सुबह रोजाना खाये इससे वीर्य में शुक्राणु बढ़ते हैं तथा संतानोत्पत्ति में शुक्राणुओं की कमी का दोष भी दूर हो जाता है।
*1 चम्मच गूलर के दूध में 2 बताशे को पीसकर मिला लें और रोजाना सुबह-शाम इसे खाकर उसके ऊपर से गर्म दूध पीएं इससे मर्दाना कमजोरी दूर होती है।
* पका हुआ गूलर सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में इसी के बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी बोतल में भर कर रख दें। इस चूर्ण में से 2 चम्मच की मात्रा गर्म दूध के साथ सेवन करने से मर्दाना शक्ति बढ़ जाती है। 2-2 घंटे के अन्तराल पर गूलर का दूध या गूलर का यह चूर्ण सेवन करने से दम्पत्ति वैवाहिक सुख को भोगते हुए स्वस्थ संतान को जन्म देते हैं।
* बाजीकारक (काम उत्तेजना) के लिए 4 से 6 ग्राम गूलर के फल का चूर्ण और बिदारी कन्द का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से पौरुष शक्ति की वृद्धि होती है व बाजीकरण की शक्ति बढ़ जाती है। यदि इस चूर्ण का उपयोग इस प्रकार से स्त्रियां करें तो उनके सारे रोग ठीक हो जाएंगे।
** गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत बनाकर पीने से मन प्रसन्न होता है और शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है तथा कई प्रकार के रोग जैसे- कब्ज तथा ‪#‎खांसी‬ और दमा आदि ठीक हो जाते हैं।
* उपदंश (फिरंग) के लिए 40 ग्राम गूलर की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें और इसमें मिश्री मिलाकर पीने से उपदंश की बीमारी ठीक हो जाती है।
* शरीर को शक्तिशाली बनाने के लिए लगभग 100 ग्राम की मात्रा में गूलर के कच्चे फलों का चूर्ण बनाकर इसमें 100 ग्राम मिश्री मिलाकर रख दें। अब इस चूर्ण में से लगभग 10 ग्राम की मात्रा में रोजाना दूध के साथ लेने से शरीर को भरपूर ताकत मिलती है।
* प्रदर के लिए गूलर के फूलों के चूर्ण को छानकर उसमें शहद एव मिश्री मिलाकर गोली बना लें। रोजाना 1 गोली का सेवन करने से 7 दिन में प्रदर रोग से छुटकार मिल जाता है।
* गूलर के पके फल को छिलके सहित खाकर ऊपर से ताजे पानी पीयें इससे श्वेत प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
* गूलर के फलों के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से ‪#‎प्रदर‬ रोग में आराम मिलता है।
* रक्तप्रदर के लिए गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में या फल 2 से 4 की मात्रा में सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है तथा रक्तप्रदर रोग ठीक हो जाता है।
* 20 ग्राम गूलर की ताजी छाल को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह 50 मिलीलीटर की मात्रा में बच जाए तो इसमें 25 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करें इससे रक्तप्रदर रोग में लाभ मिलता है।
* पके गूलर के फलों को सुखाकर इसे कूटे और पीसकर छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी ढक्कनदार बर्तन में भर कर रख दें। इसमें से 6 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम दूध या पानी के साथ सेवन करने से रक्तप्रदर ठीक हो जाता है।
* पके गूलर के फल को लेकर उसके बीज को निकाल कर फेंक दें, जब उसके फल शेष रह जायें तो उसका रस निकाल कर शहद के साथ सेवन करने से रक्त प्रदर में लाभ मिलता है। रोगी इसके सब्जी का सेवन भी कर सकते हैं।
* 1 चम्मच गूलर के फल का रस में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से कुछ ही हफ्तों में न केवल रक्त प्रदर ठीक होता है बल्कि ‪#‎मासिकधर्म‬ में खून अधिक आने की तकलीफ भी दूर होती है।
* श्वेत प्रदर के लिए रोजाना दिन में 3-4 बार गूलर के पके हुए फल खाने से श्वेत प्रदर में लाभ मिलता है।
* गूलर का रस 5 से 10 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर नाभि के निचले हिस्से में पूरे पेट पर इससे लेप करें। इससे श्वेत प्रदर रोग में आराम मिलता है।
** महिलाओ के श्वेत प्रदर के लिए 1 किलो कच्चे गूलर लेकर इसके 3 भाग कर लें। इसमें से ‪#‎कच्चे‬गूलर 1 भाग उबाल लें और इनकों पीसकर 1 चम्मच सरसों के तेल में फ्राई कर लें तथा इसकी रोटी बना लें। रात को सोते समय रोटी को नाभि के ऊपर रखकर कपड़ा बांध लें। इस प्रकार शेष 2 भागों से इसी प्रकार की क्रिया 2 दिनों तक करें इससे श्वेत प्रदर रोग की अवस्था में आराम मिलता है।
* 10-15 ग्राम गूलर की छाल को पीसकर, 250 मिलीलीटर पानी में डालकर पकाएं। पकने के बाद 125 मिलीलीटर पानी शेष रहने पर इसे छान लें और इसमें मिश्री व लगभग 2 ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें तथा भोजन में इसके कच्चे फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करें श्वेत प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
* गर्भपात ... गर्भावस्था में खून का बहना और गर्भपात होने के लक्षण दिखाई दें तो तुरन्त ही गूलर की छाल 5 से 10 ग्राम की मात्रा में अथवा 2 से 4 गूलर के फल को पीसकर इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ पीएं। जब तक रोग के लक्षण दूर न हो तब तक इसका प्रयोग 4 से 6 घंटे पर उपयोग में लें।
* गूलर की जड़ अथवा जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्राव अथवा गर्भपात होना बंद हो जाता है।
* भगन्दर के लिए गूलर के दूध में रूई का फोहा भिगोंकर इसे नासूर और भगन्दर के ऊपर रखें और इसे प्रतिदिन बदलते रहने से नासूर और भगन्दर ठीक हो जाता है।
* खूनी बवासीर के लिए गूलर के पत्तों या फलों के दूध की 10 से 20 बूंदे को पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से खूनी बवासीर और रक्तविकार दूर हो जाते हैं। गूलर के दूध का लेप मस्सों पर भी लगाना लाभकारी है।
* 10 से 15 ग्राम गूलर के कोमल पत्तों को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 250 ग्राम गाय के दूध की दही में थोड़ा सा सेंधानमक तथा इस चूर्ण को मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खूनी बवासीर के रोग में लाभ मिलता है।
* आंव (पेचिश) के लिए 5 से 10 ग्राम गूलर की जड़ का रस सुबह-शाम चीनी मिले दूध के साथ सेवन करने से आमातिसार (पेचिश) ठीक हो जाता है।
* बताशे में गूलर के दूध की 4-5 बूंदे डालकर रोगी को खिलाने से आमातिसार (आंव) ठीक हो जाता है।
* गूलर के पके फल खायें इससे पेचिश रोग ठीक हो जाता है।
* गूलर को गर्म जल में उबालकर छान लें और इसे पीसकर रोटी बना लें फिर इसे खाएं इससे पेचिश में लाभ होता है |
* दस्त के लिए ...दस्त और ग्रहणी के रोग में 3 ग्राम गूलर के पत्तों का चूर्ण और 2 दाने कालीमिर्च के थोड़े से चावल के पानी के साथ बारीक पीसकर, उसमें कालानमक और छाछ मिलाकर फिर इसे छान लें और इसे सुबह-शाम सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
* गूलर की 10 ग्राम पत्तियां को बारीक पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रोगी को पिलाने से सभी प्रकार के दस्त समाप्त हो जाते हैं।
* बच्चों का आंव....गूलर के दूध की 5-6 बूंदे चीनी के साथ बच्चे को देने से बच्चों के आंव ठीक हो जाते हैं।
* विसूचिका....विसूचिका (हैजा) के रोगी को गूलर का रस पिलाने से रोगी को आराम मिलता है।
* रक्तपित्त (खूनी पित्त) के लिए पके हुए हुए गूलर, गुड़ या शहद के साथ खाना चाहिए अथवा गूलर की जड़ को घिसकर चीनी के साथ खाने से लाभ मिलेगा और रक्तपित्त दोष दूर हो जाएगा।
* हर प्रकार के रक्तपित्त में गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम तथा उसका फल 2 से 4 ग्राम तथा गूलर का दूध 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा के रूप में सेवन करने से लाभ मिलता है।
* फोड़े पर गूलर का दूध लगाकर उस पर पतला कागज चिपकाने से फोड़ा जल्दी ठीक हो जाता है।
* शरीर के अंगों में घाव होने पर गूलर की छाल से घाव को धोएं इससे घाव जल्दी ही भर जाते हैं।
* गूलर के पत्तों को छांया में सूखाकर इसे पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इसके बाद घाव को साफ करकें इसके ऊपर इस चूर्ण को छिड़के तथा इस चूर्ण में से 5-5 ग्राम की मात्रा सुबह तथा शाम को पानी के साथ सेवन करें इससे लाभ मिलेगा।
* गूलर के दूध में बावची को भिगोंकर इसे पीस लें और 1-2 चम्मच की मात्रा में रोजाना इससे घाव पर लेप करें इससे घाव जल्दी ही ठीक हो जाते हैं।
* गूलर के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शर्बत बनाकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
* गूलर के ताजे फल को खाकर ऊपर से ताजे पानी पीये इससे मधुमेह रोग में आराम मिलता है।
* शीतला (चेचक) के लिए गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को गाय के ताजे दूध में पीसकर इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाकर चेचक से पीड़ित रोगी को पिलाये इससे उसका यह रोग ठीक हो जाएगा।
* भिलावें की धुएं से उत्पन्न हुई सूजन को दूर करने के लिए गूलर की छाल को पीसकर इससे सूजन वाली भाग पर लेप करें।
* शरीर के किसी भी अंग पर गांठ होने की अवस्था में गूलर का दूध उस अंग पर लगाने से लाभ मिलता है।
* पेशाब अधिक आना....1 चम्मच गूलर के कच्चे फलों के चूर्ण को 2 चम्मच शहद और दूध के साथ सेवन करने से पेशाब का अधिक मात्रा में आने का रोग दूर हो जाता है।
* पेशाब के साथ खून आना....पेशाब में खून आने पर गूलर की छाल 5 ग्राम से 10 ग्राम या इसके फल 2 से 4 लेकर पीस लें और इसमें चीनी मिलाकर दूध के साथ खायें इससे यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
* मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) होना....प्रतिदिन सुबह गूलर के 2-2 पके फल रोगी को सेवन करने से मूत्रकच्छ (पेशाब की जलन) में लाभ मिलता है।
* गूलर के 8-10 बूंद को 2 बताशों में भरकर रोजाना सेवन करने से मूत्ररोग (पेशाब के रोग) तथा पेशाब करने के समय में होने वाले कष्ट तथा जलन दूर हो जाती है।
* मधुमेह के लिए 1 चम्मच गूलर के फलों के चूर्ण को 1 कप पानी के साथ दोनों समय भोजन के बाद नियमित रूप से सेवन करने से पेशाब में शर्करा आना बंद हो जाता है। इसके साथ ही गूलर के कच्चे फलों की सब्जी नियमित रूप से खाते रहना अधिक लाभकारी होता है। मधुमेह रोग ठीक हो जाने के बाद इसका सेवन करना बंद कर दें।
* दांतों की मजबूती के लिए गूलर की छाल के काढे़ से गरारे करते रहने से दांत और मसूड़ों के सारे रोग दूर होकर दांत मजबूत होते हैं।
* कंठमाला (गले में गिल्टी होना)....गूलर के पत्तों पर उठे हुए कांटों को पीसकर इसे मीठे या दही मिला दें और इसमें चीनी मिलाकर रोजाना 1 बार सेवन करें इससे कंठमाला के रोग से मुक्ति मिलती है।
* खांसी के लिए रोगी को बहुत तेज खांसी आती हो तो गूलर का दूध रोगी के मुंह के तालू पर रगड़ने से आराम मिलता है।
* गूलर के फूल, कालीमिर्च और ढाक की कोमल कली को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 5 ग्राम शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से खांसी ठीक हो जाती है।
* नाक से खून बहना .....पके गूलर में चीनी भरकर घी में तलें, इसके बाद इस पर काली मिर्च तथा इलायची के दानों का आधा-आधा ग्राम चूर्ण छिड़कर प्रतिदिन सुबह के समय में सेवन करें तथा इसके बाद बैंगन का रस मुंह पर लगाएं इससे नाक से खून गिरना बंद हो जाता है।
* गूलर का पेड़, शाल पेड़, अर्जुन पेड़, और कुड़े के पड़े की पेड़ की छाल को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर चटनी बना लें। इन सब चीजों का काढ़ा भी बनाकर रख लें। इसके बाद इस चटनी तथा इससे 4 गुना ज्यादा घी और घी से 4 गुना ज्यादा काढ़े को कढ़ाही में डालकर पकाएं। पकने पर जब घी के बराबर मात्रा रह तो इसे उतार कर छान लें। अगर नाक पक गई हो तो इस घी को नाक पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है।
* रक्तस्राव (खून का बहना)...नाक से, मुंह से, योनि से, गुदा से होने वाले रक्तस्राव में गूलर के दूध की 15 बूंदे 1 चम्मच पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
* शरीर में कहीं से भी किसी कारण से रक्तस्राव (खून बहना) हो रहा हो तो गूलर के पत्तों का रस निकालकर वहां पर लगाएं इससे तुरन्त खून का आना बंद हो जाता है।
* मुंह में छाले हो अथवा खून आता हो या खूनी बवासीर हो तो 1 चम्मच गूलर के दूध में इतनी ही पिसी हुई मिश्री मिलाकर रोजाना खाने से रक्तस्राव (खून बहना) होना बंद हो जाता है तथा इसके सेवन से मुंह के छाले भी ठीक हो जाते हैं।
* चोट लगने पर खून का बहना...गूलर के पत्तों का रस चोट लगे हुए स्थान पर लगने से खून बहना रुक जाता है।
* गूलर के रस को रूई में भिगोकर इसे चोट पर रखकर पट्टी बांध लें इससे चोट जल्दी भरकर ठीक हो जाएगा।
* शिशु का दुबलापन...गूलर का दूध कुछ बूंदों की मात्रा में मां या गाय-भैंस के दूध के साथ मिलाकर नियमित रूप से कुछ महीने तक रोजाना 1 बार बच्चों को पिलाने से शरीर हृष्ट-पुष्ट और सुडौल बनाता है लेकिन गूलर के दूध बच्चों उम्र के अनुसार ही उपयोग में लेना चाहिए।
* सूखा (रिकेट्स) रोग....5 बूंद गूलर के दूध को 1 बताशे पर डालकर इसका सेवन बच्चों को कराएं इससे सूखा रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है।
* बच्चों के गाल पर सूजन होना...बच्चों के गाल की सूजन को दूर करने के लिए उनके गाल पर गूलर के दूध का लेप करें इससे लाभ मिलेगा।
* बिच्छू का जहर...जहां पर बिच्छू ने काटा हो उस स्थान पर गूलर के अंकुरों को पीसकर लगाए इससे जहर चढ़ता नहीं है और दर्द से आराम मिलता है।
* आग से जलने पर ...जलने पर गूलर की हरी पत्तियां पीसकर लेप करने से जलन दूर हो जाती है।
* गूलर के पत्तों को पीसकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से जलन मिट जाती है और छाले के निशान भी नही पड़ते।
* दमा के लिए गूलर की पेड़ की छाल उतारकर छाया में सुखा लें और फिर इसे पीसकर चूर्ण बना लें और फिर इसे छानकर बोतल में भरकर ढक्कन लगाकर रख दें। इसमें से चूर्ण का सेवन प्रतिदिन करने से दमा रोग में लाभ मिलता है।
* सितम्बर से मार्च तक की हर पूर्णमासी की रात में जितना खीर खा सकें, उतने दूध में चावल (इस खीर में अरबा चावल उत्तम माने जाते हैं) डालकर खीर बनाएं। इस खीर को कांसे की थाली में डालकर फैलाकर, इस पर ढाई चम्मच गूलर की छाल का चूर्ण चारो और छिड़क दें। खीर रात को नौ बजे तक तैयार कर लें। इसे रात को नौ बजे से सुबह के चार बजे तक खुले स्थान पर चांदनी में रखें। सुबह चार बजे के तुरन्त बाद इसे भर पेट खा लें। खीर खाने से पहले मंजन करके मुंह को साफ कर लें। आम के हरे पत्ते से खीर खाएं। इसके बाद धीरे-धीरे थकान नहीं हो तब तक घूमते रहें। इससे दमा रोग में लाभ मिलता है।
* जिगर का रोग के लिए 10 ग्राम की मात्रा में ‪#‎जंगली‬ गुलर की जड़ की छाल पीसकर गाय के मूत्र में मिला लें और इसे छानकर 25 ग्राम की मात्रा में रोजाना पीने से से यकृत वृद्धि खत्म जाती है।
* वमन (उल्टी) के लिए गूलर के दूध की 10 बूंदे सुबह और शाम दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों को उल्टी आना बंद हो जाता है।

सोमवार, 27 जुलाई 2015

11 घरेलू नुस्खे - गैस की समस्या

11 घरेलू नुस्खे जो आप को रक्खें सदा स्वस्थ्य


अनियमित खान-पान के कारण कई लोगों को कब्ज की समस्या हो जाती है। ऐसे में, लगातार कब्ज के बने रहने पर गैस की समस्या हो जाती है और यही गैस्ट्रिक कई अन्य समस्याएं, जिन्हें आयुर्वेद की भाषा में वात रोग कहते हैं, का कारण बनती हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति को सिरदर्द, कमरदर्द, पेटदर्द, सीने में दर्द जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।
जिसे ये समस्या होती है, उसे एसिड रिफ्लक्स की समस्या भी होने लगती हैं। इसके लक्षण मरीज की हालत खराब कर देते हैं, उसे नींद नहीं आती है। कई बार जब ये समस्या अपनी मनपसंद चीज खाने पर हो जाए तो उससे भी तौबा करने का मन होने लगता है। दरअसल, इस समस्या का मुख्य कारण कुछ आदतें या अनियमित दिनचर्या है। यदि आपको भी अक्सर गैस की समस्या हो जाया करती है तो हम बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे आसान घरेलू नुस्खे, जिनसे इस समस्या से बहुत जल्दी राहत मिल जाती है।
गैस की समस्या होने के समान्य लक्षण-
1. मतली।
2. उल्टी।
3. लगातार हिचकी।
4. पेटदर्द और सूजन।
1. हल्दी
हल्दी में एंटी-इन्फ्लामेंट्री व एंटी-फंगल तत्व पाए जाते हैं। यह कई रोगों में दवा का काम करती है। विशेषकर पेट के रोगों में। थोड़ा हल्दी पाउडर ठंडे पानी से लें और फिर दही या केला खाएं।
2. नारियल पानी
नारियल पानी गैस की समस्या में दवा का काम करता है। यह विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। पेट की समस्याओं को दूर करता है, जब भी गैस की समस्या हो, दो से तीन बार नारियल पानी पिएं। आराम मिलेगा।
3. अदरक
गैस की समस्या में अदरक सबसे बेहतरीन दवा का काम करता है। थोड़ा-सा सूखा अदरक चाय में डालकर पीने से गैस में तुरंत राहत मिल जाती है। अदरक में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लामेंट्री तत्व पाए जाते हैं। यह पेट और एसोफेगस की समस्या तुरंत दूर करने की क्षमता रखता है। इसे लेने से गैस की समस्या पैदा करने वाले जीवाणु खत्म हो जाते हैं। अदरक के एक टुकड़े को घी में सेंककर काला नमक लगाकर खाने पर गैस से छुटकारा मिल जाता है। सूखे अदरक का काढ़ा बनाकर पीने से भी यह समस्या खत्म हो जाती है।
4. पाइन एप्पल
पाइन एप्पल में पाचक एन्जाइम्स मौजूद होते हैं। गैस की समस्या हो तो एल्कलाइन से भरपूर चीजों का सेवन करना चाहिए। पाइन एप्पल में भी एल्कलाइन पाया जाता है। इसीलिए इसके सेवन से गैस की समस्या दूर हो जाती है, लेकिन ये ध्यान रखें हमेशा पका हुआ पाइन एप्पल खाएं। कच्चा पाइन एप्पल पेट को फायदे की बजाए नुकसान पहुंचा सकता है।
5. छाछ
थोड़े मेथीदाने, हल्दी, हींग और जीरा मिलाकर पाउडर बनाकर रख लें। सुबह खाना खाने के बाद इस पाउडर को छाछ में डालकर पिएं। गैस व एसिडिटी की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी।
6. जीरा
जीरा खाने से डायजेस्टिव सिस्टम से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसीलिए जब भी आपको गैस की समस्या परेशान करे, एक चम्मच जीरा पाउडर ठंडे पानी में घोलकर पिएं, बहुत लाभ होगा।
7. पानी पिएं
पानी न पीना या पानी की कमी भी इस समस्या का एक बड़ा कारण है। गैस की समस्या हो या नहीं, दिनभर में कम से कम 8 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। जब भी गैस की समस्या हो, तो ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इससे एसिड बाहर हो जाता है। साथ ही, गैस की समस्या से तुरंत राहत मिलती है।
8.आलू
शायद ये आपको गैस दूर करने वाला सबसे अजीब उपाय लगे, लेकिन आलू का जूस पीने से भी गैस की समस्या दूर हो जाती है। यह एल्कलाइन का एक अच्छा स्रोत है।इसका जूस बनाने के लिए कच्चे आलू को छीलकर पानी डालकर मिक्सर में पीस लें। इस जूस को छानकर इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाकर पिएं। गैस से राहत मिल जाएगी। यह जूस लिवर को भी ठीक रखता है।
9. तुलसी
तुलसी कई बीमारियों में औषधि का काम करती है। रोजाना पांच तुलसी के पत्ते खाने से गैस की समस्या के साथ ही पेट के अन्य कई रोग खत्म हो जाते हैं। गैस की समस्या में तुलसी की चाय बनाकर या उसका रस पीने से भी तुरंत फायदा होता है।
10. लौंग
लौंग एक ऐसा मसाला है, जो गैस की समस्या से परेशान लोगों के लिए एक बेहतरीन औषधि है। लौंग चूसने से या लौंग पाउडर को शहद के साथ लेने से एसिड रिफ्लक्स और गैस की समस्या दूर हो जाती है।
11. पपीता
पपीता बीटा-केरोटीन से भरपूर फल है। इसमें खाना जल्दी पचाने वाले तत्व पाए जाते हैं। पपीता में पेपिन नाम का एन्जाइम पाया जाता है, जो शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है। गैस की समस्या हो रही हो तो खाना कम खाएं। खाने के बाद थोड़ा काला नमक डालकर पपीता खाएं। कब्ज और गैस, दोनों समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।

शुक्रवार, 24 जुलाई 2015

दुर्भाग्य निर्माता ये देश महान


वाह रे मेरे देश महानसंत भगतो पर दादागिरी देश के दुशमनो का करे सम्मान ,ऐसा देश है मेरा हिन्दूस्तान**

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एक संत रामपाल जी, जो भगती कर और करवा रहे थे, जो समाज को विकार रहित और भष्टाचार से मुक्त करवा रहे थे, उन्होनो अपने शिष्यो की बीडी तक छुटवा दी. रामपाल जी का राजनीति से कोई लेना देना नही है, जिन्होने सरकार या जनता से कभी अपने लिए कोई मांग नही की.. जो अपने लाखो चेलो को अपने दम पर बिल्कुल फ्री सभी सुविधाऐ देकर भगती कर और करवा रहे थे.. संत रामपाल जी का कसूर इतना था की उन्होने भष्ट जजो का नाम सर्वजनिक कर दिया था, पहली बार किसी ने भष्ट जजो के खिलाफ अवाज उठाई थी.. वो है संत रामपाल जी..
ये सब उन्होने अपने लिए नही जनता की भलाई के लिए किया था..
कबीर - वृक्ष कबहु ना फल भखे, नदी ना संचवै नीर...
प्रमारथ के कारने, साधु धरा शरीर
कबीर - सरवर तरूवर संतजन, चौथा बरसे मेह..
प्रमारथ के कारने, चारो धरी देह...
सरलार्थ - तरूवर कभी अपने फल नही खाते, तरूवर नदिये कभी अपना जल नही पीते, संतो अपने ज्ञान को अपने तक सीमित नही रखते.. ये सभी प्रमारथ के लिए होते है. जनता की भलाई के लिए होते हैा...
इस जनता की भलाई के कारण आज संत रामपाल जी जेल मे है जिन्होने अपने ज्ञान को अपने अापको जनता के लिए लूठा दिया.. जिस जनता के लिए भष्ट सरकार भष्ट प्रशासन जजो से दुश्मनी मोल ली.. आज वो ही जनता तमाशा देख रही है हंस रही है.. मिडिया उनके खिलाफ बोल रहा है....
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****Hindustan Ki Namard Police Force******
एक संत रामपाल जी जो अपने आश्रम मे चुप चाप बैठकर
अपने लाखो शिष्यो से भगती कर और करवा रहा थे उनके आश्रम पर 45000 पुलिस फोर्स भगतो को पीटकर रामपाल जी को गिरफ्तार करने आ गई.. जबकि रामपाल जी ने अपना मैडिकल भी दिया प्रशासन की तरफ से आये डाक्टर टीम ने बीमार बताया.. भष्ट तानाशाही रिश्वतखोर जजो ने उनका मैडिकल ना मानते हुए पुलिस प्रशासन से कहकर निर्दोष औरतो और बच्चो पर लाठिया चलवाई, जिसमे 4 औरत और 2 बच्चे मारे गए... अरे जो भगत माता भाई बहने अपने आश्रम घर मे बैठकर भगती कर रही थी इस नामर्द कायर पुलिस फोर्स ने उन पर लाठिया चलाई..
** ** Ye Kyo Aazad H****
इमाम बुखारी -
पर 150 से ज्यादा मुकदमे है 67 बार गैर जामनती वारंट निकले है हिन्दूस्तान की डरपोक पुलिस कायर सरकार आज तक इसको गिरफ्तार नही कर पाई..ये टुकडा तोडता है हिन्दूस्तान का... PM बुलाता है पकिस्तान का.. ना जाने कितने विवादित बयान दिये है इसने.. ये अभी तक आजाद क्यो है..
असादुदीन ओवेसी का बयान-
1. भारत को दुबारा हिन्दू देश कहा तो भागवत को जमीन मे गाड दूंगा..
2. भारतीय मुसलमानो को पकिस्तानी मुसलमानो से अलग समझने की गलती ना करे हिन्दू.. अगर भारत ने पकिस्तान पर हमला करने की जुर्रत की तो भारत के 25 करोड मुसलमान पकिस्तानी सेना के साथ मिलकर भारत पर हमला करेगे...
aise kitne e gaddaarr h inpr kaarywahi kyu nhi krti corrut govt..
jo hindustan me rehkr Pakistan ke PM ko bulate h.. Jo Hindustan me Pakistan ki baat karte h.. Jo Hindustan ka tukda todte h Or Pakistan ka Jhanda Hilate h... Ye Kyo aazad h????
******* एक संत को देशद्रोही बताना******
वाह रे मेरे देश महान,संत भगतो पर दादागिरी*** देश के दुशमनो का करे सम्मान,ऐसा देश है मेरा हिन्दूस्तान******
संत रामपाल जी को देशद्रोही बता दिया.. जिन्होने देश के खिलाफ के खिलाफ कभी कुछ नही बोला. जिन्होने हमेशा अहिंसा का पाठ सिखाया है. जिनका किसी नेता राजनीति से कोई लेना देना नही है. जो अपने आश्रम मे अपने घर मे बैठकर शान्तिपूर्ण ढंग से बैटकर सतंसग के माध्यम से विकाररहीत भगत समाज बना रहे है.. उनके आश्रम मे जो हथियार मिले है वो लाईसंसी है.. फिर भी बिकाऊ मिडिया के माध्यम से उनको फसाया जा रहा है.. आश्रम से ना कोई पटोल बम फेका गया ना तेजब.. बिकाऊ मिडिया ने कोई एक पुलिस वाला नही दिखाया जो तेजाब या पटोल से जला हो.. आश्रम से ना कोई गोली चली.. कोई एक पुलिस वाला तो बताओ जो आश्रम की गोली से घायल हुआ हो.. सब झूठे इलजाम लगाये गये है.पुलिस जांच करने के बाद ये पता चला कि रामपाल जी का नक्सलियो से कोई सम्बध नही है. बैतून मध्यप्रदेष पुलिस ने हरियाणा पुलिस को झूठा बताते हुए ये वयान दिया है कि बैतून आश्रम मे कोई कमांडो टरेनिंग नही होती थी.. वैसे भी वो आश्रम के भगत थे जो काले कपडो मे खडे थे ना वो कमांडो थे ना उनको कोई टरेनिंग दी गई थी...
रामपाल जी से नाम लेने विदेशो से लोग आते है वो नाम लेकर सतसंग सुनकर चले जाते है.. अगर उन लोगो ने कोई गैरकानूनी काम किये है तो इसमे संत रामपाल जी का कोई दोष नही है..ये काम वहा के प्रशासन का है जहा वो लोग रहते है.
भारत सरकार संतो पर मर्दंगी दादागीरी दिखा रही है.. ऐसा तो कभी अग्रेजो ने भी नही किया था जो आज भारत सरकार कर रही है.. भारत सदा से ही संतो की भूमी रहा है. संतो ने अपने खून पसीने अपने ज्ञान से इसे सींचा है... और आज उन्ही संतो पर ये भष्ट जज भष्ट प्रशासन बिकाऊ मिडिया को साथ लेकर उन पर तरह तरह के झूठे आरोप लगा रहा है. भगत संतो को लाठियो से पीठकर जेल मे डाला जा रहा है.. और देश के दुशमन खुले घूम रहे है.. कहा का न्याय है ये अंधा कानून...
***** CBI जाँच की मांग*******
संत रामपाल जी 2006 से ही CBI जाँच की मांग कर रहे है. लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नही हुई है.. हाई कोर्ट रामपाल जी को गिरफ्तार करने के लिए 45000 पुलिस फोर्स भेज सकता है क्या एक CBI जाँच नही करवा सकता... सरकार रामपाल जी को पकडने के लिए 25 करोड रूपये खर्च कर सकती है क्या एक CBI जाँच नही करवा सकती...... आखिर इसका कारण क्या है??????
उत्तर - रामपाल जी निर्दोष है उनको बदनाम करवाने और जेल मे डालने के पीछे बहुत बडी साजिश रची गई है.. इसमे भ्रष्ट जजो, नेताओ, आर्य समाज और नकली धर्म गुरूवो का हाथ है...
संत रामपाल को दुनिया मे ज्ञान चर्चा मे कोई हारा नही सकता.. उनका दिव्य ज्ञान है.. उनके ज्ञान का दुनिया को पता ना चल जाये.. और इन नकली लोगो के झूठे ज्ञान अज्ञान की दुकाने ना बंद हो जाये.. इसलिए ऐसा हुआ है.. सतगुरू रामपाल जी की मांगे बस इतनी थी.. सतलोक आश्रम के करौथा काण्ड की CBI जाँच हो.. सभी जजो की सम्पति को सर्वजनिक किया जाये.. जजो की मनमानी पर रोक लगनी चाहिये, इनके उपर भी कानून बनाया जाए. ये सब कुछ रामपाल जी ने अपने लिए नही बल्कि देश हित के लिए मांगी.. उनका कसूर इतना था कि उन्होने भ्रष्ट जजो का नाम सार्वजनिक कर दिया था.. उनहोने भष्ट जजो के खिलाफ आवाज उठाई...जिसका नतीजा उनको जेल मे डाल दिया..
****** संत भगत रिशवत देते लेते नही*********
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संतरामपाल भी चाहते तो भ्रष्ट जजो को 30 लाख रूपये देकर 2006 के मुकदमो को समाप्त करवा सकते थे वो भी 20000 रूपये देकर जमानत ले सकते थे. जो संत 15 दिन मे एक समागम मे लाखो लोगो पर करोडो रूपये खर्च करके देशी घी का फ्रि भोजन खिला सकता है उसके लिए 30 लाख 20हजार की क्या औकात.. लेकिन रामपाल जी जेल जा सकते है लेकिन इन भ्रष्टाचारियो को एक फूटी कोडी नही दे सकते.. क्योकि संत रामपाल जी अपने शिष्यो को रिश्वत लेने और देने को मना करते है . तो संतरामपाल जी का तो सवाल ही नही उटता.. संत भगत अपने पैसो को भूखो को भोजन खिलाने गरीबो को कपडे देने आदि मे लगाकर पूण्य कमा सकते है.
लेकिन भ्रष्टाचरियो को रिशवत देकर पाप नही कमा सकते.. वो सच के लिए जेल तो क्या सर कटा सकते है मगर झूठ के सामने सर झूका नही सकते..
कबीर - निरंजन धन तेरा दरबार, सच्चो को झूठा बतावे इन झूठो का एतबार....
**** Aisa Desh H Mera Hindustan****
वाह रे मेरे देश महान,संत भगतो पर दादागिरी*** देश के दुशमनो का करे सम्मान,ऐसा देश है मेरा हिन्दूस्तान****
अधिक जानकारी के लिए आप इस website से कोई भी बुक डाउनलोड करके पढ सकते हो..
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www.jagatgururampalji.org
अगर आप संत रामपाल जी के सहयोगी हो या संत रामपाल जी के सच्चे शिष्य हो तो
Plzzzzzzz is Post ko itna Tag karo itna like karo itna Share karo.... की मोदी के 56 इंच के कलेजे मे जाकर लगे..उसको ये एहसास हो जिस भूमी पर तू खडा है उसको संतो भगतो ने अपने खून पसीने से सींचा है..
.इस पोस्ट को सभी न्यूज वालो तक पहुचाये...
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पीपा दरिया कूद गया कैसी करी ढिटाई..
वो नर पाला जीत गये जिन्होने बाजी सिर धड की लाई..
शिश दिया गुरूदेव को सफल हुआ ये शिश...
नेतानन्द इस शिश पर आप बसे जगदीश...
कबीर - या तो माता भगत जने या दाता या शूर..(शूरवीर)
या फिर बाँझ रह ले क्यो व्यर्थ ग्व्वावे नूर...
***जन जन की ये ही पुकार........बंद करे भ्रष्टाचार****
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Sat Saheb++++++++++++++++

फिटकरी का प्रयोग

फिटकरी का  प्रयोग 

फिटकरी एक ऐसा क्रिस्टल है जो सभी घरों में प्रयोग होता है। पुरुष इसे आफ्टरशेव के तौर पर इस्तमाल करते हैं। फिटकरी को पहले जमाने में महिलाएं चेहरे को टाइट बनाने के लिये प्रयोग किया करती थीं। यह लाल व सफेद दौ प्रकार की होती हैं।
1. फिटकरी को चोट या घाव लगने पर इस्तमाल करें। फिटकरी का पानी लगाने से घाव से खून बहना बंद हो जाएगा। आपके इसका चूर्ण बना कर भी प्रयोग कर सकते हैं।
2. चेहरे से झुर्रियों को मिटाने के लिये चेहरे को धो लें। फिर फिटकरी को ठंडे पानी से गीला कर के चेहरे के आस पास हल्के रगडें। अब इसे सूख जाने दें और फिर इसे हाथों से छुड़ा कर साफ कर लें। कुछ महीनों के प्रयोग के बाद आपका चेहरा चमकदार और यंग बन जाएगा।
3. दमा और खांसी है तो, आधा ग्राम फिटकरी को पीस कर शहद के साथ मिक्स कर के चाट लें, आपको तुरंत लाभ होगा। or फुलाई हुई फिटकरी एक तोला और मिश्री दो तोला दोनों को महीन पीसकर रख लें। एक-एक माशा नित्य सवेरे खाने से दमा के रोग में लाभ होता है।
4. एंटीबैक्टीरियलऔर एस्ट्रिजेंट तत्व होने की वजह से यह दंत रोग को दूर कर सकती है। यह माउथवॉश की तरह भी प्रयोग की जा सकती है।* फिटकरी और काली मिर्च पीसकर दांतों की जड़ों में मलने से दांतों की पीड़ा में लाभ होते है।
5. फिटकरी को नहाने के पानी में घोल कर प्रयोग करने से खुजली और शरीर से बदबू आना बंद होती है।
6. कीडे़-मकौडे़ के काट लेने पर फिटकरी के टुकड़े को उस जगह पर रगडे़। इससे सूजन, घाव और लालिमा दूर होगी।
7. फिटकरी को चेहरे पर लगाने से चेहरा गोरा बनता है और त्वचा टोन हो जाती है।
8. एक लीटर पानी में 10 ग्राम फिटकरी का चूर्ण घोल लें। इस घोल से प्रतिदिन सिर धोने से जुएं मर जाती हैं।
9. टांसिल की समस्या होने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और नमक डालकर गरारे करें। इससे टांसिल की समस्या में जल्दी ही आराम मिल जाता है।
10. * कान में फुंसी हो अथवा मवाद आता हो तो एक प्याले में थोड़ी-सी फिटकरी पीसकर पानी डालकर घोलें और पिचकारी द्वारा कान धोएं

आपके अनमोल जीवन के लिए सच जानना जरूरी है

आपके अनमोल जीवन के लिए सच जानना जरूरी है 

ये कबीर साहिब की वाणी है 
कृपया पूरा पढे
सतगुरू पुरुष कबीर हैं चारों युग परवान।
झुठे गुरुवा मर गए हो गए भूत मसान ।।
सतगुरु केवल कबीर साहिब ही हुए है या वह संत हुऐ हैं जिनको उन्होने दर्शन दिए इसका सबूत वह सभी संत आपनी अमृत वाणियों मे दे रहे हैं।
अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड का एक रति नहीं भार ।
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सृजनहार ।।"whole world creater"
गरीब जम जोरा जासे डरे धर्मराय धरे धीर।
ऐसा सतगुरु एक है अदली अदल कबीर।।-संत गरीब दास जी ।
जिन मोको निज नाम दिया सोई सतगुरु हमार।दादू दुसरा कोई नहीं कबीर सृजनहार ।।
-संत दादू साहेब जी।
धनि कबीर धनि वो संत गुरु जिन परम तत लखाया ।
कहै रैदास सुणौ हौ स्वामी पणै तुमारी आया ।।
-संत रविदास।
चार दाग से सतगुरु न्यारा अजरो अमर शरीर ।
दास मलूक सलूक कहत है खोजो खसम कबीर ।।
-संत मलूक दास जी।
राधास्वामी पंथ काल का चलाया हुआ पंथ है।यदि कबीर साहेब का सूक्ष्म वेद(स्वसम वेद) पढ़ोगे तो उसमें सृष्टि रचना ,पूर्ण परमात्मा तथा अन्य भविष्यवाणियां कर रखी है जिन्हें सिर्फ उनका कृपा पात्र ही समझ सकता है।
।।धर्मराय(काल ब्रह्म)वचन।।
हे साहेब तुम पंथ चलाओ,जीव उबार लोक ले जाओ।
पंथ एक तुम आप चलाओ, जीवन लै सतलोक पठाओ।।
कहा तुम्हारा जीव नहीं माने,हमारी ओर होय बाद बखाने ।।
काल कहता है कि मेरा पक्ष लेकर तुम्हारे साथ बाद विवाद किया करेंगे।
कबीर साहेब जी ने आगे कहा है।
सम्वत् सत्रा सौ पचहतर होई,ता दिन प्रेम प्रकटे जग सोई।।
यानि मेरी वाणी सम्वत् १५७५ में पुन: प्रकट होगी।
संत गरीब दास को १०वर्ष की उम्र में ही परमात्मा कबीर साहेब जी ने साधु रुप मे दर्शन देकर अपने साथ लेकर सतलोक ले गए। सतलोक तक सभी लोको की व्यवस्था (स्थिती)दिखा कर पुन: वापिस छोड़ा । परिवार वालों ने मरा हुआ समझ कर दाह संस्कार की तैयारी कर ली ।लेकिन चिता को अग्नि देने से पहले ही उठ खड़े हो गए।
जैसे उठे उन्होने कबीर वाणी बोलना शुरु कर दिया।
"अलल पंख अनुराग है,सुन्न मण्डल रहै थीर।
दास गरीब उदारिया,सतगुरु मिले कबीर।।"
कबीर परमात्मा ने अपनी अमृत वाणियां गरीब दास जी के माध्यम से प्रकट करवा के उन्हें लिपीवद्ध किया गया।जोकि इस समय संत रामपाल जी महाराज के पास ग्र्ंथ रुप में आश्रम में मौजूद है।
परम् पूज्य संत रामपाल जी महाराज संत गरीब दास जी की सतगुरु प्रणाली से आते हैं।
मार्च १९९७ में फाल्गुन शुक्ल एकम संवत् २०५४को दिन के दस बजे परमेशवर कबीर साहेब जी वास्तविक रुप में संत रामपाल जी महाराज को मिले तथा कहा कि चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हुँ।अब सारनाम तथा सार शब्द प्रदान करने का समय आ गया है।
इसलिए अन्य नकली काल के पंथों से मोक्ष नहीं हो सकता।
राधास्वामी के मुखिया (परवर्तक)शिवदयालसिंह की मुक्ति नहीं हुई तो अन्य शिष्यों का क्या हाल होगा मृत्यु उपरान्त वे अपनी शिष्य बुक्की मे प्रेत की तरह प्रवेश कर गए थे।उसके बाद बुक्की हुक्का पीने लगी चुरमा लेने तथा पलंग बिछाने लगी उसकी आंखे सुर्ख अंगारा सी हो जाती थी।यदि कोई बात पूछनी होती तो बुक्की के जरिए शिवदयालसिंह से पूछ लिया करते थे ।अधिक जानकारी के लिए पढ़े।जीवन चरित्र स्वामीजी महाराज-लेखक प्रताप सिंह।
स्वामीजी महाराज अंतिम समय तक बुक्की के शरीर में प्रकट रहे।
बुक्की स्वामीजी के पैर का अंगुठा मुंह में रख कर चूसा करती थी।जब कोई मत्था टेकने के वास्ते हटाना चाहता तो वे चरण नहीं छोड़ना चाहती थी।तब मत्था टेकने वाले से कह दिया जाता इस प्यासी को मत हटाओ तुम दुसरे चरण पर मथा टेक लो।और बयान किया करती थी कि मुझे इसमें ऐसा रस आता है कि जैसे कोई दूध पीता है।
श्री शिवदयालसिंह का कोई गुरु नहीं था।उन्होने 17वर्ष तक कोठरीे में बंद रह कर हठयोग किया।वह हुक्का भी पीते थे।
जिसके बारे में कबीर साहेब जी कहते हैं।
"गुरु बिन माला फेरते ,गुरु बिन देते दान।
ये दोनों निष्फल है,चाहे पुछो वेद पुरान।।"
गरीब,हुक्का हरदम पिवते,लाल मिलावै धूर। इसमें संशय है नहीं,जन्म पिछले सूर (pig)।।
गरीब,सौ नारी जारी करै,सुरा पान सौ बार।एक चिलम हुक्का भरै,डुबे काली धार।।
सावन सिंह महाराज के शिष्य खेमामल शाह मसताना डेरा सच्चासौदा के संस्थापक ने अपनी किताब में लिखा है कि सावनसिंह महाराज ने 12 साल तक मेरे शरीर में बैठ कर काम किया लेकिन किसी ने नहीं समझा अब मैं सतनाम सिंह के शरीर मे बैठकर नाम दूंगा।इससे सिद्ध होता हैकि अभी तो ये जीवन मरण के चक्कर में फसे हैं मुक्ति कहां से हुई।
श्रीमद्भगवत गीता अ०15श०4 में प्रमाण है सत्य साधना करने वाले साधक, परमेश्वर के उस परम धाम को प्राप्त हो जाते हैं,जहां जाने के पश्चात फिर लौटकर कभी संसार में नहीं आते।
यदि राधास्वामी के पास परमात्मा होते तो गद्दी न मिलने के कारण इतनी शाखाएं नहीं बनती।इस समय राधास्वामी की नौ से ज्यादा शाखाएं चल रही है।और पानी उसी एक कुएं का है।राधास्वामी वाले वाणियां तो कबीर साहेब की लेते है लेकिन उन्हे कवि और संत कह कर किनारा कर लेते है। मैं कहता हुँ यदि राधास्वामी वालो के पास इतना ज्ञान है तो अपनी किताबों में से कबीर साहेब जी ,दादू साहेब, पलटू साहेब,मलूक दास आदि की वाणियां अलग कर लो, क्योंकि इन सबके गुरु कबीर साहेब थे।तो फिर तुम्हारे पास क्या ज्ञान बचेगा? क्या राधास्वामी से पहले इस पृथ्वी पर परमात्मा नही थे?
सच तो यह है परमात्मा चारों युगों मे आते हैं और जीव को काल के बन्धन से छुड़ा कर सतलोक ले जाते हैं।
"सतयुग सतसुकृत कह टेरा,त्रेता नाम मुनिद्र मेरा।
द्वापर मे करुणामय कहाया,कलियुग नाम कबीर धराया।।
चारों युग संत पुकारे,कूक कहा हम हेल रे।
हीरे माणिक मोती बरसे,यह जग चुगता ढेल रे।।"
राधास्वामी वालो, जो किसी के कर्म नहीं काट सकता वह सतगुरु और परमात्मा कैसा? जबकि वेदों मे लिखा है, परमात्मा पापी के पाप नाश करके आयु भी बढ़ा देता है।राधास्वामी वाले तो ज्ञान को सुनना भी नहीं चाहते जब तक सुनोगे नहीं तो तुलना कैसे करोगे कि कौन सही है कौन गलत। यदि कोई व्यक्ति कह रहा है तो उसकी बातों पर ध्यान दो और उसका विशलेषण करो।समझदारी उसी को कहते हैं अन्यथा भेड़चाल तो सभी करते हैं।विस्तृत जानकारी के लिए "ज्ञान गंगा"पुस्तक पढ़े।
।। सत् साहेब ।।

रविवार, 12 जुलाई 2015

कड़वा सत्य द्रोपदी का चीर हरण

।। कड़वा सत्य = द्रोपदी का चीर हरण ।। 

महाभारत में एक प्रकरण आता है:- जिस समय द्रोपदी का चीर हरण हो रहा था। उस समय भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य तथा करण इन सबकी दुर्याेधन राजा द्वारा विशेष आवाभगत की जाती थी, इसी कारण से राजनीति दोष से ग्रस्त होकर अपने कर्तव्य को भूल गए थे। पाण्डव अपनी बेवकूफी के कारण राजनीति के षड़यंत्र के शिकार होकर विवश हो गए थे। उस सभा (पंचायत) में एक धर्मनीतिज्ञ पंचायती विदुर जी थे। उसने स्पष्ट कहा। आदरणीय गरीबदास जी की वाणी में:-
विदुर कह यह बन्धु थारा, एकै कुल एकै परिवारा। दुर्याेधन न जुल्म कमावै, क्षत्रीय अबला का रक्षक कहावै।
अपनी इज्जत आप उतारै, तेरी निन्द हो जग में सारै। विदुर के मुख पर लगा थपेड़ा, तू तो है पाण्डवों का चेरा (चमचा)।
तू तो है बान्दी का जाया, भीष्म, द्रोण करण मुसकाया। भावार्थः- उस पंचायत में केवल धर्मनीतिज्ञ पंचायती भक्त विदुर जी थे। निष्पक्ष वचन कहे कि हे दुर्योधन! कुछ विचार कर आपके कुल की बहू (द्रोपदी) को नंगा करके आप अपनी बेइज्जती आप ही कर रहे हो। क्षत्रीय धर्म को भी भूल गए हो, क्षत्रीय तो स्त्री का रक्षक होता है। बुद्धि भ्रष्ट अभिमानी दुर्योधन ने पंचायती की धर्मनीति को न मानकर उल्टा अपने भाई दुशासन से कहा कि इस विदुर को थप्पड़ मार। दुशासन ने ऐसा ही किया तथा कहा कि तू तो सदा पाण्डवों के पक्ष में ही बोलता रहता है, तू तो इनका चमचा है। अहंकारी दुर्योधन ने राजनीतिवश होकर अपने चाचा विदुर को भी थप्पड़ मारने की राय दे दी। विदुर धर्मनीतिज्ञ पंचायती सभा छोड़कर चला गया। पंचायती का यह कर्तव्य होना चाहिए। सत्य कह, नहीं माने तो सभा छोड़कर चला जाना चाहिए। परंतु उस सभा में द्रोपदी को नंगा किया जा रहा था। भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, करण फिर भी विद्यमान रहे। उनका उद्देश्य क्या था? स्पष्ट है उनमें महादोष था, वे भी स्त्री का गुप्तांग देखने के इच्छुक थे। सज्जनों! यदि इन तीनों (भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य तथा करण) में से एक भी खड़ा होकर कह देता कि खबरदार अगर किसी ने ‘‘स्त्री‘‘ के चीर को हाथ लगाया। ये तीनों इतने योद्धा थे कि उनमें से एक से भी टकराने की हिम्मत किसी में नहीं थी। भीष्म दादाजी थे, प्रथम तो उसका कर्तव्य था, कहता कि दुर्योधन! द्रोपदी का चीर हरण मत कर, तुम भाई-भाई जो करना है करो। दूसरे कहना था कि हे अपराधी दुशासन! अपने चाचा पर हाथ उठा दिया तो समझो अपने पिता पर हाथ उठा दिया, उसको धमकाना चाहिए था। लेकिन राजनीति के कायल किसी ने भी पंचायती फर्ज अदा नहीं किया। उसी कारण से महाभारत के युद्ध में सर्व दुर्गति को प्राप्त हुए। केवल विदुर ही धर्मात्मा था जो अच्छा पंचायती था