शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

24 सिद्धियां व परम गति इस भगति साधना से प्राप्त करे

#सप्त_चक्र_जाग्रत
सर्व #देवशक्तियाँ प्रसन्न व इनसे ऋण मुक्ति
24 #सिद्धियां परम हंस की स्थिति
मृत्युलोक के पूर्ण मुक्ति
व अजर अमर #सनातन_सतलोक में स्थाई निवास प्राप्ति यानी #पूर्णपरमगति
#जन्ममरण से #पूर्णमुक्ति
आदि लाभ #सनातन #सद्गुरु #संतरामपालजीमहाराज की शरण में आकर #दीक्षा प्राप्त करे ब मर्यादा में रहकर भगति करे
मिलिए रोज #साधना_टीवी पर 7:30pm
#ईश्वर_टीवी पर 8:30pm रोज
#श्रद्धा_टीवी दोपहर रोज 2:00pm

बुधवार, 22 अप्रैल 2020

अज्ञानी मनुष्य त्रिलोकपति उमा पति शिव शंकर व यमराज को महाकाल व काल समझते है, काल यानी महाकाल कोई और है पढ़िए क्लिक करे

त्रिगुण माया द्वारा मुरखित मनुष्य
उमापति  त्रिलोकपति शिव शंकर को या यमराज को
काल या महाकाल समझते है
यह उनकी मूर्खता है,
#काल_महाकाल यह देवी प्रकृति दुर्गा जी के पति है और यह दोनो ब्रह्मा विष्णु शिव त्रिदेवो के माता पिता है
यह ब्रह्म, ज्योति निरंजन नाम से भी जाने जाते है
इसने मृत्युलोक रूपी 21 ब्रह्माण्ड तप के प्रतिफल के रूप में पाये तथा यहां इसके लोक में अजर अमर सनातन लोक से घूमने आयी असंख्य जीवात्माओं को सब कुछ भुलाकर अपनी त्रिगुण मई माया पाश में बांध लिया ब बंधक बना लिए और औस विधान व व्यवस्था बनाई की कोई जीवात्मा को सच याद न आये व सच्ची भगति न मिले और कोई असली सनातन लोक बापस न चला जाये,  इसने इन्ही जीवात्माओं में से देवी देवता, असुर,मनुष्य आदि व 84 लाख शरीरो में जीवात्माओं के डाल दिया, यह सीधे देवताओ को आगे करके अपनी व्यवथा बनाता है, जिससे मनुष्य देवताओ को सब कुछ मानने लगते है,
यह कभी अपने असली रूप में प्रकट नही होता, जब भी आयेगा किसी न किसी देवता का रूप धर कर अपना प्रयोजन सिद्ध करता है और उस देवता की फोकट महिमा बना जाता है,
इसने अपनी माया को अपने अधीन सर्व जगहों पर फैलाया हुआ है जिससे कोई देवता,मनुष्य, असुर गंधर्व आदि व 84 लाख शरीरो में पड़े जीव नीयनत्रीत रहते है व इसके अनुसार सर्व कार्य करते है, यह इसी माया से जीवो से पाप कर्म करवाता है, जीवो को भगति योग्य नही रहने देता, यदि कोई ज्यादा तप कर लेता है उसकी बुद्धि को वश कर शाप आदि दूषित कर्म करवाउसका तप नष्ट करवा देता है।
हर ब्रह्माण्ड में एक जैसा सिस्टम बनाकर पत्नी दुर्गा जी को आगे कर हर ब्रह्माण्ड में देवताओ से व्यवस्था सम्हालवाता है इसका बनाया बिधान, एक जैसे चार युग एक जैसी कहानिया हर ब्रह्माण्ड में बार बार हर कल्प में चल रही है
और कोई भी देवता एसजे विधान के आगे नत मस्तक है, और कोई भी अजर अमर नही है,  देवताओ को अमृत देकर उनके शरीरो की आयु बड़ा देता है  जिससे उसके बनाये असुरो से राहत रहे ,  यह खुद अपने घटिया बिधान अनुसार असुरो को बनाता है पापियो को बढ़ाता है फिर उनका नाश करने देवताओ को आगे करता है, हर ब्रह्माण्ड में इसने अपनी बनी बनाई एक स्टोरी हर कल्प में बार बार हर लोक में अपनी ऑटोमेटिक शक्ति माया से चलाकर   जीवो की दुर्गति करता रहता है
जब कोई अजर अमर सनातन  लोक से कोई शक्ति मानव रूप में आकर सच्चाई बताती है तब यह मनुष्य बुद्धि को अलनि माया से नियंत्रित करके उसका विरोध करवाता है व मुक्ति से जीवोको दूर करने का पुरा प्रयास करता है, जो जीव उस सनातन दिव्य शक्ति का ज्ञान पूरा समझ लेता है और श्रं में आ जाता हैवो पूर्ण ज्ञानी बन केवल सनातन अजर अमर स्व प्रकाशित सनातन लोक में स्थाई निवास हेतु यहां से पूर्ण मुक्ति हेतु भगति प्रयास करता है, उसका यहां किसी भी वस्तु में कोई मोह नही रहता, वह सर्व देवताओ सहित ब्रह्म कर्ज उतार कर यहां से पूर्ण मुक्त हो सनातन लोक को प्राप्त करता है,
वेद गायत्री मन्त्र में भी यही सन्देश प्रार्थना सनातन अजर अमर परमेशर कविर से है की
हे परमेश्वर कविर ! आप हमे इस मृत्युलोक रूपी अंधकार मय लोक से निकाल कर अजर अमर प्रकाश लोक सनातन लोक में हमको ले चलो,  हमे अब इस मृत्युलोक में नही रहना,  क्रमशः .....

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