शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

ये कैसी सभ्यता

डिस्कवरी पर एक प्रोग्राम देखा था.. 

जिसमे अमेरिका के कुछ लोग कुछ आदिवासियों को जंगल से लाकर यहाँ शहर की चकाचौंध और रंगीनियाँ दिखा कर उनको इम्प्रेस करने की कोशिश करते हैं..

न लोगों के साथ घुमते हुवे एक आदिवासी बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स देखता है और इतने सारे घर.. वो बड़ा खुश होता है.. फिर वो देखता है की रोड किनारे भी लोग हैं जो भीख मांगते हैं और रात को रेन बसेरे में रात बिताते हैं..
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वो उन कार्यक्रम बनाने वालों से पूछता है कि “ये सब लोग बाहर क्यूँ पड़े हैं.. जबकि आपके पास इतने सारे घर हैं शहर में?
संयोजक जवाब देता है “जो घर आप देख रहे हैं वो इन सबके नहीं हैं.. वो दुसरे लोगों के हैं”
आदिवासी पूछता है “मगर वो सारे घर तो खाली थे.. उनमे कोई नहीं रहता?”
संयोजक बोलता है “वो अमीर लोगों के घर हैं.. यहाँ लोगों के पास कई कई घर होते हैं.. लोग पैसा इन्वेस्ट करने के लिए घर खरीद लेते हैं.. मगर वो खाली पड़े रहते हैं”
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आदिवासी कहता है “ये किस तरह की सभ्यता है आपकी.. किसी के घर खाली पड़े हैं और लोग सड़कों पर रह रहे हैं.. जबकि पूरी उम्र आपको रहने के लिए सिर्फ एक घर ही चाहिए.. आप अपने अतिरिक्त घर अपनी और नस्लों को क्यूँ नहीं दे देते हैं? उन घरों का करियेगा क्या आप?”
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फिर वो आगे बोलता है “हमारे जंगल में जब कोई नवयुवक शादी करता है तो हम सारे गाँव वाले मिलके उसके लिए घर बनाते हैं.. अपने हाथ से उसका छप्पर बनाते हैं और छाते हैं.. ऐसे हम एक दुसरे के लिए अपने हाथों से घर बनाते हैं और घर बसाते हैं”
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इस बात को सुनकर कार्यक्रम वाले शर्मिंदा हो जाते हैं और उन्हें समझ आता है कि जिस सभ्यता की डींग मारने के लिए वो इन आदिवासियों को लाये इन्होने हमारे सभ्य होने का भ्रम चकनाचूर कर दिया एक इतने सीधे और भोले सवाल से.. और समझा दिया कि दरअसल हमारी सभ्यता, सभ्यता है ही नहीं.. अपनी ही नस्लों का शोषण है बस.

विशेष संवाददाता - सत्य की खोज - एक रिपोर्ट

सत्य की खोज >>  पुरा पढिये -- राम राम-- नमस्कार-- सत् साहेब जी 

विशेष संवाददाता :-  सतलोक आश्रम बरवाला (हरियाणा ) के संचालक संत रामपाल जी के बारे में लोगों से चौकाने वाली बातो का खुलासा हुआ है, जिसे सुनकर आप भी सोच में पड़ जायेगे, पढिये संक्षिप्त प्राप्त  जानकारी अनुसार ----------------


कुछ दिनों पहले सतलोक आश्रम की गुंज विश्व के कोने कोने में सुनाई दे रही थी, मिडिया ध्दारा बताये गये काले सच को सुनकर हर कोई के मुंह से निकल रहा था कि आजकल बाबागिरी कर लोगों को मुर्ख बनाया जा रहा है और सत्य भी है कि ज्यादातर धर्म के नाम पर कमाई की फैक्ट्री चलाते हैं, लेकिन संत रामपाल जी के सत्संग में माया रुपी जाल में नहीं फंसने की बात कही है!
आइये जानते हैं सतलोक प्रकरण क्या है
संत रामपाल जी ने कबीर पंथी गुरु रामदेवानंद जी से गुरु दीक्षा ग्रहण कर सन 1997 से घर घर, गांव गांव जाकर सत्संग पाठ प्रारंभ किया उनके भक्त बताते हैं कि रामपाल जी की पूर्ण ब्रम्ह ध्दारा ज्ञान प्राप्त हुआ और वे सभी हिन्दू धर्म के वेद, शास्त्रों, श्रीमद् गीताजी एवं कुरान, बाइबिल ऐसे सभी धर्मग्रंथों का प्रमाण देकर सही भगवान् भक्ति क्या है ये सब अपने सत्संग में बताने लगे, तब हरियाणा में अपना ज्ञान प्रचार करते हुए उन्होंने लगभग हर धर्म, पंथ (ब्रम्ह कुमारी, राधास्वामी, आसाराम आर्य समाजी ) की पूजा पध्दति, अंधविश्वासी परंपरा को शास्त्र विरुद्ध बताते हुए कहा कि सबका मालिक एक है उसे प्राप्त करने का भक्ति मार्ग भी एक ही है, ये हजारो धर्म, पंथ मनुष्य को सत् भक्ति से भटकाने का मायाजाल है, सभी को धर्म विरुद्ध ज्ञान बाट रहे हैं और मानव तन प्राप्त लोगों को गलत भक्ति देकर 84 लाख योनियों में भटकाने का कार्य कर रहे हैं, जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं मारते पर मेरा घर (ज्ञान ) मजबूत शास्त्र प्रमाणित है ओर इन कच्चे घर (शास्त्र विपरित ) में भाग्यशाली मानव जीवन को बेकार नहीं होने दुगा,
इस तरह आर्य समाज बहुल क्षेत्र हरियाणा में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा दिया गया ज्ञान एवं उनके ध्दारा रचित ग्रन्थों ओर "सत्यार्थ प्रकाश " जिसमें लिखा है कि 1.किसी स्त्री का पति मर जाये तो उसे पुनः विवाह नहीं करना चाहिए पाप होता है, विधवा स्त्री को पति के ही खानदान में देवर, जेठ हो से ही विवाह कर लेना चाहिए, 2.और किसी स्त्री का पति कमाने बाहर गया हो और तीन साल तक वापस नहीं आता तो स्त्री को चाहिए कि वह किसी अन्य व्यक्ति से समागम कर बच्चे पैदा कर ले और पराये आदमी के बिना उस बच्चे का पालन करना चाहिए तो वह पति की ही संतान कहलायेगी, और संत रामपाल जी ने महर्षि दयानंद सरस्वती की जीवनी में वर्णित साक्ष्य देकर बताया कि वह स्वयं नशा आदि करते थे और अपने जीवन के अंतिम दिनों में भुत बाधा एवं कई जटिल बीमारियों की वजह से पापकर्म भुगत कर तङप - तङप कर मृत्यु को प्राप्त हुए, ऐसे महर्षि जो स्वयं दुर्गति को प्राप्त हुए हो तो उनके अनुयायियों को कैसे सद्गति मिल सकती है, ऐसे ही हिन्दु धर्म की आडम्बरी पूजा पध्दति व्यर्थ बताकर कहा की जो शास्त्र के विपरीत पूजा करते हैं वे महा मुर्ख है जो गीता जी में स्वयं गीता ज्ञान दाता ने कहा है
उन्होंने बताया कि अनादि काल में सनातन धर्म में मुर्ति पूजा नहीं होती थी मुर्तियां अपने गुरु एवं ईष्ट भगवान् की याद के लिए बनवाते थे और उन्हें उनके ज्ञान का प्रभाव बना रहे, जेसै कोई वैध (डाक्टर ) जीवन काल में सही जानकारी एवं उपचार देता है और उसके मरने के बाद याद के लिए मुर्ति स्थापित कर दिया जाता है मुर्ति इलाज तो नहीं करेगी पर उसे देखकर उसके बताये ज्ञान का याददाश्त जीवित होती है,
भगवान् सर्व व्यापक है लेकिन लोग जगह-जगह मंदिर बनाकर लाखों रुपये का चढ़ावा प्राप्त करते हैं गणेश , दुर्गा उत्सव में मुर्तियां लाकर काल ध्वनि (संगीत, डीजे ) में व्यसनयुक्त होकर नाचगान करते हैं ऐसे कर्मो से पापकर्म बढता है,
पितृपुजा के सम्बन्ध में भी बताया कि हमारे पूर्वज जो संस्कृत या वेदों को पढ नहीं सकते थे, वे ब्राम्हण के ऊपर पूर्ण निष्ठा रखते थे लेकिन ब्राम्हण या तो अधूरे ज्ञान के साथ या स्वार्थ वस जो अनावश्यक पूजा करवाते वही सत्य मानकर करते रहे परअब हम शिक्षित हुए तो पता चला कि जो पूजा पध्दति समाज में व्याप्त है वह शास्त्र विरुद्ध है एवं पापकारी है इसलिए हमारे पूर्वज उटपटांग बताये कर्म करते हुए अपने कर्मानुसार पितृ लोक, नर्क, पशु योनि, या अन्यत्र में चले गए और हम भी पितृ पूजा करते हैं तो उन्हीं के पास जायेगे, जिससे हमारा मोक्ष नहीं होगा ना ही हमारे पूर्वजों का भला होगा, लेकिन यदि हम सत् भक्ति करते हैं तो हम काल लोक से मुक्त हो कर मोक्ष को प्राप्त करेंगे और हमारे पूर्वज भी हमारी भक्ति के प्रभाव से पुनः मनुष्य जन्म लेकर भक्ति कर मोक्ष प्राप्त करते हैं,
इस ब्रम्हांड का मालिक काल ब्रम्ह (ज्योति निरंजन ) है जो ऐसे 21 ब्रम्हांडो का मालिक है और वह निराकार (बिना आकार) रहता है जिसकी पत्नी अष्टांगी (दुर्गा) है उनके तीन पुत्र ब्रम्हा (रजोगुण), विष्णु (सतगुण) और शकंर जी (तमोगुण) है, काल ब्रम्ह ने ही श्रीकृष्ण जी के शरीर में आकर विराट रूप दिखा कर गीताज्ञान कहा था और अर्जुन से कहा कि मै ही काल हु, और ये मेरा रुप तेरे अलावा ना किसी ने देखा है ना देखेगा ! क्यों कि श्रीकृष्ण जी विष्णु अवतार थे और वे चार भुजाओं वाले हैं और अपना विराट रूप कोरवो की सभा में बता चुके थे, श्रीकृष्ण जी सतगुणी है, लेकिन अर्जुन को सहस्त्रबाहु (हजार भुजा वाला) महाकाल रुप दिखाया था,
भगवान् काल ब्रम्ह तप कर रहे राक्षसों को ब्रम्हा, विष्णु और कभी शिव के रूप में प्रगट होकर वरदान दे देता है और फिर आकाशवाणी कर देवताओं को वरदान का निदान बताता है, कंस को आकाशवाणी ध्दारा श्रीकृष्ण अवतार की जानकारी भी काल ब्रम्ह ने दी थी,
आगे बताया गया है कि देवी देवताओं की तो क्या तीन देव (ब्रम्हा, विष्णु और महेश) की पूजा नहीं कि जानी चाहिए,इसका श्रीमद् गीता जी में स्पष्ट रूप से प्रमाण है और जो ऋषि - मुनि, संत - शंकराचार्य इस ब्रम्हांड के मालिक को निराकार और सर्वस मानकर उपासना करते हैं, जबकि पुर्ण ब्रम्ह (परमात्मा) जो असंख्य ब्रम्हांडो के मालिक हैं सशरीर आकर चार वेद के बाद जो पांचवा वेद है जो कि पुर्ण परमात्मा के बारे में बताता है और काल भगवान् ने छूपा रखा है उसका ज्ञान स्वयं बताकर सशरीर वापस चले जाते हैं उस पुर्ण परमात्मा को कलयुग में कबीर साहेब के नाम से जाना जाता है, जिन्होंने कमल के फूल पर अवतरित हो कर तीन करोड़ अध्दितिय शब्दों में सुक्ष्म ज्ञान देकर काल लोक से मुक्त होने का रास्ता दिखा दिया है
अतः काल ब्रम्ह, तीनों देव और सभी देवी देवता हमारे लिए आदरणीय अवश्य है पूज्यनिय सिर्फ एक ही है पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब,
उदाहरण जैसे परिवार में एक बहु अपने सास - ससुर, जेठ-देवर, ननद आदि सभी को आदरणीय मानती है पर पूज्यनिय (पूजा के योग्य) सिर्फ पति होता है इसलिए पूजा सिर्फ पुर्ण परमात्मा कबीर साहेब की करना चाहिए
पूजा विधान का एक और उदाहरण हैं कि जैसे एक पेड़ है उसकी जड मानों "पुर्ण परमात्मा" तना "काल ब्रम्ह", शाखाएं "तीन देव" और टहनियां "सभी देवी - देवता, हमें जड़ से होते हुए फल टहनी में लगेंगे और हमें प्राप्त होगे, इसलिए हमें जड़ (पुर्ण परमात्मा) में ही पानी (भक्ति) डालना ही हमारी अक्लमंदी होगी और पुर्ण पेड़ की ईज्जत करनी होगी और हम सभी पुर्ण परमात्मा रुपी एक ही पेड़ के पत्ते है और हम मानव है इसलिए हमारा एक ही धर्म है "मानव धर्म" है और एक ही मालिक है पूर्ण ब्रम्ह कबीर साहेब जी
इस तरह बहुत सी बातें बताते हैं (विस्तृत जानकारी के लिए "ज्ञान गंगा" पुस्तक देखें और इंटरनेट पर वेबसाइट www.jagatgururampalji. org और YouTube पर सत्संग देख सकते हैं)
इन्ही बातो से प्रारंभ हुआ ये प्रकरण जो इस प्रकार है
संत रामपाल जी ध्दारा प्रमाणित सत्संग सुनकर अनुयायियों की तादाद लगातार बढ़ने लगी, सन 2003 के आसपास गांव करोंथा (रोहतक, हरियाणा) में एक आश्रम प्रारंभ किया गया दिनों दिन भक्तो की संख्या बढने लगी, उनके सत्संग से आर्य समाजी आदि धार्मिक कट्टरपंथी भड़क गए और 2006 में आश्रम में जहाँ सत्संग चालू था 10से 15 हजार आर्य समाजीयो ने हथियारों से लैस होकर संत रामपाल जी को मारने के लिए हमला कर दिया मौके पर पुलिस बुलाई गई, हमलावरों एवं पुलिस के बीच झड़प हुई, इसमें हमलावरों के तरफ के एक युवक की मौत हो गई, जिसके बाद आर्य सामाजियो ने हत्या का आरोप संत रामपाल जी पर लगा दिया, स्पष्ट था कि पुरी गलती हमलावरों की थी फिर भी आश्रम के सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर केस दर्ज कर सकते थे, लेकिन पुरे प्रशासन में आर्य समाज के लोग एवं मुख्यमंत्री भी आर्य समाजी होने से संत रामपाल जी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, रामपाल जी को न्यायपालिका पर भरोसा था पर कहते हैं कुछ जज भी भ्रष्ट थे और बिना किसी गुनाह के 21 माह जेल में बंद रह कर बमुश्किल जमानत पर रिहा हुए जब जेल से बाहर आये तो हरियाणा सरकार ने उनका आश्रम भी अपने कब्जे में ले लिया, आश्रम नहीं मिलने पर संत रामपाल जी के भक्तों ध्दारा नया बरवाला में आश्रम का निर्माण कर सत्संग शुरू किया गया, कहा जाता है कि दुर दराज से आने वाले रामपाल जी के भक्तों के ऊपर स्थानीय लोग आश्रम ना जाने का दबाव बनाते और मारपीट करते, इसी से परेशान हो कर आश्रम ध्दारा स्वयं की 50 से ज्यादा बसों का इंतजाम कर रेल्वे,बस स्टैंड से भक्तों को लाने ले जाने का मुक्त प्रबंध किया गया, आश्रम शहर से दूर बनाया गया था इसलिए भक्तो के लिए निशुल्क प्राथमिक उपचार केन्द्र, सोने रहने के लिए बिस्तर, मुक्त खाना, स्वयं का गोशाला चलाकर दुध, घी की भरपूर व्यवस्था की गई थी, आश्रम में 1 से 1.5 हजार परिवार एवं हजारों अनाथ बच्चे बूढे और महिलाएं रहा करती थी वहाँ पर मर्यादा में रहना सर्व प्रथम प्राथमिकता है, नामदान (गुरु दीक्षा) हेतु नियम है कि आजीवन असभ्य भाषा नहीं बोलना, किसी तरह का नशा, मांसाहारी, झूठ, निंदा, जाति धर्म का भेद भाव, ईर्ष्या, जलन, क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, भ्रष्टाचार, दहेज लेनदेन अनावश्यक मुर्ति पूजा, अंधविश्वासों को नहीं करना है, ये सब नये भाविको को समझाया जाता है और मान्य है तो उसे गुरु दीक्षा दी जाती है,
इस तरह आखों के काटा बने संत रामपाल जी को करोंथा केस में अदालत में पेश होने जाना पड़ता था, जुन 2014 में रामपाल जी कोर्ट तारीख पर अदालत गये थे तब एक नशे में चूर वकील रामपाल जी के निकट पहुँचकर अभद्र गालीगलौज एवं मारने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद भक्तो ने उसे पकड़कर बाहर निकाला, लेकिन इसी का मुद्दा बना कर चंडीगढ़ हाइकोर्ट में संत रामपाल जी एवं भक्तो पर वकील से मारपीट का आरोप लगाया गया जिस पर हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए रामपाल जी को पेश करने का आदेश जारी कर दिया, बिना वजह आदेश से सभी भगत हतप्रभ रह गए और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रपति को हजारों प्रतियां भेजकर CBI जाच का अनुरोध किया गया लेकिन कोई आश्वासन ना ही कोई जवाब दिया गया, भक्तो ने कहा कि जब छोटे छोटे मामले में CBI जांच हो सकती है तो हमारी क्यों नहीं, और सरकार से कहा कि जब तक आश्वासन नहीं मिलता हम अपने गुरुजी को नहीं भेजेंगे, भक्तो को लगा कि सरकार पर दबाव बनाने से हमें CBI जांच से न्याय मिल सकता है और इसी उम्मीद में अपनी गुरु की बेगुनाही के लिए भक्तों ने अदालत में उस समय स्वास्थ्य खराब चल रहा था उसका भी सरकारी सर्टिफिकेट भेजा पर जजो ने गैर जमानती वारंट पर वारंट जारी कर दिया, जेसै कोई आतंकवादी हो, 50 हजार पुलिस और सेना भेज दी गई, स्थानीय आर्य समाजी लोग आश्रम में घुस गए, पुलिस से भिड़ंत हो ऐसी योजना आर्य समाजीयो ने कर आश्रम में मौजूद भक्तो से कहा कि प्रशासन झुक जायेगा, बाहर मत जाना, इधर पुलिस ने आश्रम की पानी, बिजली, खाद्यान्न आपूर्ति बंद कर दिया, किसी राजनीतिक दल से सम्बंध नहीं होने से कार्यवाही बढती गई और 18 नवम्बर को पुलिस, सेना ने आश्रम पर धावा बोल दिया, दिन 12 बजे से शाम 4 बजे तक अश्रु गैस के गोले दागे गए, बीपी, दम श्वास वाला व्यक्ति यदि 15 मिनट भी अश्रु गैस के प्रभाव में रहे तो वह मर सकता है, क्या प्रशासन को मालूम नहीं था कि आश्रम में बीमार, बूढे बच्चे है, फिर क्यों 4 घण्टे तक लगातार अश्रु गैस छोड़ते गये, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और हत्या का आरोप रामपाल जी पर लगा दिया है ये सब देख रामपाल जी ने सरेण्डर कर दिया जब वे गिरफ्तारी देने आश्रम से बाहर आये तो उनके पिछे हजारो लोग निकलकर नाचने लगे, कुछ पुलिस वाले भी नाच रहे थे, ये सब TV पर लाइव प्रसारण मे सभी ने देखा
आश्रम में कार्यवाही के दौरान वहां धारा 144 लगी हुई थी लेकिन तब भी आर्य समाजी आश्रम की दीवारों पर चढते देखे गए और मीडिया, पुलिस वालों को लस्सी, नाश्ता बाटते रहे,
ये सब देख भारी षड्यंत्र होने का पता चलता है,
इस दौरान आश्रम से वापस लौटे लोगों ने बताया कि पुलिस वालों ने महिलाओं से गहने छिन लिए, वृद्धों को खेतों में ले जा कर छोड़ दिया, पुरुषों को मुह पर जुते भरे लातों से मारा गया मोबाइल, पैसे छीन लिया गया, हवालात में लिये गये लोग जो नेपाल व दूसरे राज्यों से हजारों रुपए लेकर आये थे, उनसे 10-15 हजार रुपए लेकर जब्ती में 1000 - 500 लिख दिए हैं,
रामपाल जी की गिरफ्तारी के बाद मीडिया आश्रम में दाखिल हुई कुछ मिडिया चैनलों ने संडास साफ करने के फिनाइल को एसिड बम, निर्माण कार्य में लगे ईटों को हमले के पत्थर, बाथरूम के बाहरी दीवार पर लगे कैमरे को ऐसा बताया जैसे वह कैमरा दिवार के पार की फोटो लेता हो, 1 प्रेग्नेंसी किट बताया गया वह भी किसी पत्रकार की करतूत थी पर जहां पर रामपाल जी के दो बेटे बहू, दो बेटियां, दामाद, नाती हजार परिवार रहते हो वहां ये कोई आपत्ति जनक कैसे हो सकती है, सिर्फ़ एक बाथरूम सुविधा युक्त जिसका इस्तेमाल पुरा परिवार करता था उसे बढा चढ़ा कर पेश किया, स्विमिंग पूल जो सिर्फ गर्मी में तैरने वाले लोगों के लिए बनाया गया था इसमें क्या बुराई है, हथियार बताया जो आर्य लोगों के बार बार हमले की वजह से लाइसेंसी रखे गए थे और उनका इस्तेमाल भी नहीं हुआ था, और बहुत कुछ मसालेदार कहानी बनाकर मिडिया ने लोगों को परोसा, लेकिन जब आश्रम में 50 लाख की राशन सामग्री, 40 लाख का सिर्फ घी, और रामपाल जी के खाते में 10-12 लाख रुपये ही मिले, SIT जाच में कुछ भी अवैध नहीं मिला तो मिडिया ने सच बताने के लिए जबान पर ताला लगा दिया है ऐसा क्यों कि किसी को भी घिनौना बनाकर छोड दिया,...........
ये रिपोर्ट बिना किसी पक्षपात के साथ आम पत्रकारिता की भाषा से हटकर सत्य को बताने की कोशिश है

बुधवार, 25 फ़रवरी 2015

स्वास्थ्य वर्धक महत्वपूर्ण जानकारियाँ

                             -:स्वास्थ्य वर्धक महत्वपूर्ण जानकारियाँ :-


1- 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं। पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए। अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेगी।
2- कुल 13 अधारणीय वेग हैं
3- 160 रोग केवल मांसाहार से होते
है।
4- 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
5- 80 रोग चाय पीने से होते हैं।
6- 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं।
7- शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है।
8- अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं।
9- ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़ जाती है।
10- मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है।
11- भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
12- बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है।
13- दूध(चाय) के साथ नमक(नमकीन
पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है।
14- शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
15- गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और
शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं।
16- टाई बांधने से आँखों और मस्तिश्क हो हानि पहुँचती है।
17- खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है।
18- खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़
की हड्डी को हानि होती है।
19- भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
20- जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
21- मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
22- पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।
23- चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
24- तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
25- मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है।
26- अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है।
27- हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी,
सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।
28- भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
29- अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है।
30- मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है।
31- जल सदैव ताजा(चापाकल, कुएं
आदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं।
32- नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है।
33- चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिए।
34- फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिए।
35- भोजन पकने के 48 मिनट के
अन्दर खा लेना चाहिए। उसके पश्चात्
उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।। 36- मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोशकता 100% कांसे के बर्तन
में 97% पीतल के बर्तन में 93% अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13% ही बचते हैं।
37- गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिए।
38- 14 वर्श से कम उम्र के बच्चों को मैदा (बिस्कुट, बे्रड, समोसा आदि)
कभी भी नहीं खिलाना चाहिए।
39- खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेश्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के समान होता है।
40- जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते।
41- सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए है। रिफाइंड तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
42- पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
43- खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
44- चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है।
हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है।
45- मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी(कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है।
46- कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिए।
47-बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
48- टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर
दातून और मंजन करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे।
(आँखों के रोग में दातून नहीं करना)
49- यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़े और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है।
50- निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा(ताजा) भोजन अत्यन्त
आवश्यक है।
51- देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है। भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं।
52- प्रातः का भोजन राजकुमार के
समान, दोपहर का राजा और रात्रि का भिखारी के समान होना चाहिए।

गुरुवार, 12 फ़रवरी 2015

गोपनीय तत्व ज्ञान सभी पवित्र सद्ग्रंधो से 1

गोपनीय तत्व ज्ञान सभी पवित्र सद्ग्रंध

===== साहेब कबीर का तोब का गोला======
है कोई  इस ब्रह्माण्ड मे जो इस तत्वज्ञान को टक्कर दे सके..
इस TATAVGYAN को झूठा साबित कर सके..
कबीर - और ज्ञान सो ज्ञानडी कबीर ज्ञान सो ज्ञान....
जैसे गोला तोब का अब करता चले मैदान....
जिससे जन्ममरण को रोग मिटेगा.. पूर्णमोक्ष मिलेगा... इसी तत्वज्ञान पर आधारित है हमारी ये पोस्ट...
मित्रो आप जीवन के 20 साल शिक्षा ग्रहण करते हो जब जाकर कही अच्छी job लगती हैा रोजी रोजी का साधन होता हैा.. पेट भरना ही मानव जीवन का कर्तव्य नही है सुबह खा लिया शाम को हग दिया , शाम को खा लिया सुबह हग दिया, खाने और हगने मे मानव जीवन खो दिया सोना जगना sex करना बच्चे पैदा करना ये कर्म तो कुत्ते गंधे पशु पक्षी भी करते हैैा सारी उम्र कुत्ते गधे वाले ही कर्म करते राहोगे या मानव जीवन के उद्देश्य को भी समझोगे...
कबीर - रात गवाई सो कर दिन गवाया खाए..
हिरा जन्म अनमोल था कोडी बदले जाये...
आप 20 साल रोजी रोटी के लिए पढते हो.. क्या अपने जीवन कल्याण मोक्षमार्ग के लिए आप इस पोस्ट को थोडा टाइम नही दे सकते .. आपको पढने मे हो सकता है 10 मिनट लगे.. लेकिन समझने मे आधा या एक घंटा लग सकता हैा.. मैने आप सब मित्रो के लिए इस पोस्ट को तैयार करने मे 72 घंटे लगाये हैा ये पोस्ट सीधी और सरल भाषा मे लिखी है अगर आप इस पोस्ट को 72 मिनट देकर ध्यान से पढ लोगे मै गारंटी देता हु आपकी जिंदगी बदल जायेगी आप जौहरी बन जाओगे.. हिरे की पहचान कर लोगे. कंकड पत्थर छोड दोगे..
******तत्वज्ञान सभी सदग्रंथो की "की" यानी चाबी  है******
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मित्रो रामायण मे जब लक्ष्मण घायल हो जाता हैा तब हनुमान जी को संजीवन बूटी लाने के लिए हिमालय पर्वत के जंगलो पर भेजा जाता हैा हनुमान को जडीबूटी की पहचान नही होती.. तब वह सारे पहाड को उठाकर ले आता हैा राम हनुमान जिनको हम भगवान कहते है जिनको अन्तर्यामी कहते हैा उनको एक जडी बूटी की पहचान नही थी फिर एक वैध को लंका से लाया गया था उसने वह संजीवनी बूटी निकालकर दवाई बनकर लक्ष्मण को ठीक कर दिया.
ठीक इसी तरह हमारे सदग्रंथ वेद गीता कुरान शरीफ बाइबल गुरूग्रंथ साहेब कबीर सागर .... ये सभी एक पहाड पर बने जंगल की तरह हैा इन सदग्रंथ रूपी जंगल मे तत्वज्ञान (मोक्ष) रूपी जडी बूटी छुपी हुई हैा संत रामपाल जी महाराज ने इन सदग्रंथ रूपी जंगल से तत्वज्ञान (मोक्ष) रूपी जडी बूटी को निकाल कर समाज को दे दिया हैा.. बहुत से जो नकली गुरू बोलते है
धरती के वर्तमान के सभी धर्मगुरु इस सदग्रंथो के जंगल रूपी पहाड को सर पर उठाये घूम रहे है..
हम ये कहना चाहते है लक्ष्मण का जीवन बचाने के लिए हिमालय पहाड पर बने जंगल की जरूरत नही थी बल्कि एक संजीवनी बूटी की जरूरत थी...
ठीक इसी तरह हमे मानव जीवन को नरक 84 लाख योनियो जन्ममरण से बचाकर पूर्णमोक्ष पाने के लिए सदग्रंथ रूपी जंगल (वेद,गीता,पुराण,कुरानशरीफ,बाईबल,गुरूग्रंथ,कबीरसागर) की जरूरत नही बल्कि इनके अन्दर छुपे तत्वज्ञान रूपी जडी बूटी की जरूरत हैा... जिससे जन्ममरण को रोग मिटेगा.. पूर्णमोक्ष मिलेगा... उस तत्वज्ञान पर आधारित है हमारी ये पोस्ट....
-----Sahib Kabir is Supreme God-----
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God तो बहुत सारे है लेकिन उनका बाप भी है एक जिसको Supreme God बोलते हैा..
हमारे सदग्रंथ वेद गीता पुराण कुरान शरीफ बाइबल गुरूग्रंथ साहेब कबीर सागर, सभी संतो की वानी ये गवाही देती है कबीर साहेब काशी मे जो जुलाये रूप मे आये थे वो ही जगतगुरू हैा वो ही पूर्णब्रह्म परमअक्षरब्रह्म हैा वो ही वाहेगुरू अल्लाह हु अकबर हैा वो ही परमेश्वर थे और हैा
पूर्णब्रह्म Supreme God चारो युगो मे आते है और मानव की तरह जीवन जी कर जाते है वे सतयुग मे सतसुकृत त्रेता मे मुनिद्र द्वापर मे करूणामय और कलयुग मे कबीर नाम से आये थे ये कबीर साहेब ने कबीर सागर मे बताया है और उनसे परिचित संतो ने बताया हैा. सदग्रंथो मे उनको कबीर कविर्देव के नाम से पुकार हैा. उनका आदिनाम कविर्देव है परमअक्षरब्रह्म, पूर्णब्रह्म उनकी post है जैसे मोदी नाम है PM पोस्ट हैा..
ईश- भगवान,साहेब- ब्रह्मा विष्णु शिव..जैसे SP DC
ईशवर - भगवान,साहेब - ब्रह्म,काल,निरंजन ( ब्रह्मा बिष्णु शिव का पिता) जैसे CM
परमेश्वर - भगवान,साहेब - पूर्णब्रहा,कविर्देव (ब्रह्मा विष्णु शिव के पिता का भी पिता मतलब दादा) जैसे.PM
प्रश्न- किसी ने सवाल किया राम और कृष्ण ने रावण कंश को मारा कबीर ने बताओ की मारा..
उत्तर- मरना मारना भगवान का काम नही होता.. जैसे अमेरिका का राष्टपति दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान है. अगर अमेरिका पर हमला होगा तो क्या ओबामा जायेगा युद्ध करने अरे भाई नीचे force है वो लडेगी ओबामा तो उनको पावर देगा.. ठीक इसी तरह कबीर परमात्मा के नीचे ब्रह्मा विष्णु शिव और देवी देवताओ की force हैा ये लडती हैा.. कबीर परमात्मा केवल सच्चा ज्ञान देने के लिए जगतगुरू की भुमिका करने आते हैा..वो पूर्णब्रह्म के अवतार अपने तत्वज्ञान से समाज मे शांति फैलाते हैा और ब्रह्म काल के अवतार राम कृष्ण राक्षसो रावण कंश जैसो को मार भी समाज मे शांति करते हैा कबीर साहेब लडने लट बजाने नही आते.. वो इतनी शक्तिशाली है अगर फूंक मार दे तो ब्रह्मांड पलट जाये..
*************भूमिका ***************
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------जीवन मे मंजिल पाना मुश्किल नही होता मुश्किल होता है सही मार्ग मिलना.. सही मार्ग मिलने पर मंजिल अपने आप मिल जाती हैा हमारी ये पोस्ट आपके जीवन की गाडी को सही रास्ते पर चढाकर छोड देगी चलना आपका काम हैा---------------
- दोस्तो हमारा उद्देश्य किसी कि निंदा या आलोचना करना नही हैा.. बल्कि सदग्रंथो की सच्चाई उस परमात्मा का तत्वज्ञान उसके बच्चो तक पहुचाना हैा
दोस्तो सही मंजिल पाने से ज्यादा कठिन होता हैा सही रास्ता चुनना... क्योकि अगर आपने रास्ता ही गलत चुना है तो मंजिल आपको मिल ही नही सकती और आपकी सारी मेहनत useless हो जाती हैा इसलिए मंजिल पाने से पहले ये अच्छी तरह से सोच विचार कर लो की आपका रास्ता ठीक है या नही.
जैसे आपने किकर (बबूल) का बीज डाल दिया हैा और आप उस बीज से उत्पन्न पौधे की सिचाई ये मान कर कर रहे है ये आम का पौधा है इस पर भविष्य मे आम लगेगे.. तो आपकी सोच और रास्ता गलत है मेहनत करना भी बेकार है क्योकि बबूल के पेड पर कभी आम नही लगते..
कबीर - करता था तो क्यो रहा अब करी क्यो पछतावे..
बोये पेड बबूल का आमवा कहा से पावे...
कबीर साहेब कहते है अगर तूने बबूल का पेड बोया था तो अब आम कहा से पा सकता हैा.. बाद मे पछताने से कोई लाभ नही....
कबीर - आछे दिन पाछे गए, सतगुरू से किया ना हेत..
अब पछतावा क्या करे , चिडिया चुग गई खेत..
हम सच्चे गुरू से ना मिलकर मनमाने रास्ते पर चलकर मानव जीवन को व्यर्थ कर जाते हैा. बाद मे पछताते हैा..
इसलिए जिंदगी मे मंजिल पाना मुश्किल नही होता सही रास्ता मिलना मुश्किल होता हैा सही रास्ता मिलने पर मंजिल अपने आप मिल जाती हैा.. हमारी ये पोस्ट आपको सही रास्ता दिखा देगी चलना आपका काम हैा...
********* परमेश्वर अल्लाह की पहचान ********
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मित्रो हम सभी के सामने सबसे बडा जटिल सवाल बना हुआ हैा परमेश्वर अल्लाह कौन हैा?? कोई किसी को भगवान कहता है तो कोई किसी को.. हमारे सामने सबसे जटिल सवाल है ये है कि हम भगवान अल्लाह वाहेगुरू की पहचान कैसे करे... जैसे हम किसी जगह से अंजान होते है तो हमे वहा जाने के लिए Map का सहारा लेना पडता हैा जैसे अंधे को अगर दिखाई नही देता तो अंधा लाठी का सहारा लेता हैा.. तो हमे भी परमात्मा को पहचानने के लिए अपने सदग्रंथो का सहारा लेना होगा..
जैसे हिन्दू कहते है परमात्मा भगवान,मुसलमान कहते है अल्लाह, सिख कहते है वाहेगुरू,ईसाई कहते है परमेश्वर ...
लेकिन इनको ये नही पता वो कौन है कैसा है?? इन नकली धर्मगुरूओ से कोई पूछता है वो कैसा हौा तो बोलते है अल्लाह परमात्मा निराकार है बेचून है .. क्योकि जिस अंधे ने सुरज को देखा ही नही वो ही बोल सकता है सुरज निराकार हैा.. थोडा सोचो जब हम साकार है तो हमे बनाने वाला हमारा बाप भी साकार ही होगा.. जब दर्जी सबके कपडे सिलता है क्या वह अपने कपडे नही सिल सकता.. ठीक इसी तरह परमात्मा सबके शरीर बनाता है क्या वह अपना शरीर नही बना सकता..
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको सभी सदग्रंथो से प्रमाण के साथ ये बतायेगे वह परमात्मा कैसा है कौन है क्या नाम है? उसकी पहचान क्या हैा. किसने देखा है...??????
जैसे कोई कैदी खडा है एक वकील बोलता है इसको धारा 101 लगनी चाहिये, दूसरा कहता है इसको धारा 102 लगनी चाहिए, तिसरा बोलता है 103 धारा लगनी चाहिऐ.. लेकिन जज उन वकिलो के कहने से सजा नही देगा.. उसको कौन सी धारा लगनी चाहिये ये सविधान मे लिखा हुआ हैा.. जज सविधान देखकर धारा लगायेगा...
ठीक इसी तरह कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ कहता हैा... लेकिन परमात्मा अल्लाह कौन है उसकी क्या पहचान है .. ये हमारा सदग्रंथो का विधान बतायेगा..
आओ सभी वेद गीता बाइबल कुरानशरीफ बाइबल मे देखे कौन परमात्मा ह? उसका क्या नाम है?? क्या पहचान है?? कैसा है??? किसने देखा है...
नोट- इस पोस्ट मे 10 फोटो है सब पर फोटो न० 1,2,3, लिखा हुआ हैा हर फोटो मे Parts दिये हुए हैा जैसे p1,p2,p3 etc... जिसके कारण आपको समझने मे आसानी होगा.. अनुवाद कर्ता रामपाल जी महाराज नही है बल्कि सभी धर्मो के धर्मगुरू आचार्य हैा....
पहले देखते है वेद क्या कहते है उस परमात्मा के बारे मे.. मित्रो अगर हमे अल्लाह परमात्मा की पहचान करनी है तो धर्म मजहब की दिवार गिरानी होगी.. सभी धर्मो के सदग्रंथ पवित्र हैा सभी को देखना होगा.. क्योकि गाडी एक parts से नही बल्कि सभी parts को मिलाकर बनती हैा

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ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 मे लिखा है जब वह परमात्मा इस धरती पर आता है शिशु रूप मे तो वह केवल कुवारी गाये का ही दुध पीता हैा जो कभी सांड ने touch ना कि हो बिल्कुल कुवांरी गायो के दुध उसकी परवरिश होती हैा..
नोट- वेदो ने ये बता दिया कि कुवारी गायो से उसकी परवरिश होती है जब वह परमात्मा शिशु रूप मे आता हैा.तो यह लीला जिसने भी की हो वह परमात्मा हैा..
तो यह लीला जिसने भी की हो वह परमात्मा हैा... तो ना ये लीला ईसा ने की ना आदम ने की ना राम कृष्ण ने की....
ये लीला केवल कबीर साहेब काशी के जुलाये ने की... जो 600 साल पहले कमल के फूल पर प्रकट हुए थे... जब नीरू और नीमा उनको उठा ले गये थे.. आओ कबीर सागर मे प्रमाण देखे..

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कबीर सागर के ज्ञान सागर पेज 74 पर....
मै सुत पायो बडा गुणवंता, कारण कौन भखे नही संता..
अर्थ- कबीर साहेब के मुह बोले पिता जुलाया कहता है रामानंद से मुझे एक बहुत ही गुणवान बच्चा मिला है ये कुछ क्यो नही खा रहा हैा...
रामानंद अस युक्ती विचारा , तुमरा सुत कोई ज्ञानी अवतारा.
बछिया जाही बैल नही लागा, सो ले कर ठाडे कर तेही आगा..
अर्थ- रामानंद कहता है तुम्हारा पुत्र कोई ज्ञानी अवतार हैा तुम इसके लिए कुवारी बछिया जिसको बैल ने touch ना किया हो लेकर आओ...
दुध चले जब थन से, दुधही धरो छिपाई..
क्षुधावंत जब होवे, ताको देत खवाये...
अर्थ - कुवारी गाय के थन से दुध चलेगा उसको छुपाकर रख दो जब भूखा होवे जब पिला दो...
गरीबदास जी के ग्रथसाहेब से वानी देखे.....
उससे पहले गरीबदास जी के बारे मे थोडा सा बताते हैा.. किसी को यकीन ना हो जाकर पता कर सकता हैै ..हरियाणा जिला झझर के छुडानी गांव मे 250 साल पहले कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप मे गरीबदास जी को मिले थे.. तब उनको सतलोक सचखंड आखो दिखाया था.. उसके बाद गरीबदास जी का ज्ञान योग खोल दिया था.. जैसे वाल्मीकि जी ने दिव्य दृृष्टी से रामायण को चौपाईयो के माध्यम से लिख दिया था..
वैसे ही गरीबदास जी ने दिव्यदृष्टी से रामायण महाभारत अठारहा पुराणो कबीर साहेब की सतयुग से कलयुग की सभी लीलाये.. कबीर साहेब सतयुग मे सतसुकृत नाम त्रेता मे मुनिद्र द्वापर मे कारूणामय कलयुग मे कबीर नाम से आये थे... सभी कुछ एक ग्रंथ मे लिख रकखा हैा उस ग्रंथ साहेब की वानी आपको बताते हैा..
कबीर परमेश्वर के प्रकट होने का मनमोहक चित्रण...
गरीब, भक्ति मुक्ति ले ऊतरे, मेटन तीनूं ताप। मोमन के
डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।।386।।
गरीब, दूध न पीवै न अन्न भखै, नहींं पलने झूलंत। अधर
अमान धियान में, कमल कला फूलंत।।387।।
गरीब, काशी में अचरज भया, गई जगत की नींद। ऎसे
दुल्हे ऊतरे, ज्यूं कन्या वर बींद।।389।।
गरीब, खलक मुलक देखन गया, राजा प्रजा रीत।
जंबूदीप जिहाँन में, उतरे शब्द अतीत।।390।।
गरीब, दुनी कहै योह देव है, देव कहत हैं ईश। ईश कहै
पारब्रह्म है, पूरण बीसवे बीस।।391।।
इन सभी वानीयो का अर्थ- कबीर साहेब भक्ति और मुक्ति लेकर आये और हमारे तीनो तापो को समाप्त करने के लिए आये.. उन्होने एक जुलाये के घर मे शरण ली.. उस जुलाये को अपना बाप बनाया.. ना परमेश्वर कुछ खा रहे थे नाम पी रहे थे.. स्वर्ग और पृथ्वी के सभी कबीर परमेश्वर को देख रहे थे.. दुनिया वाले कहते है ये कोई ये देवता है उपर देवता कहते है ये कोई ईश है मतलब ब्रह्मा विष्णु शिव मे से हैा. उपर के ईश कहते है ये ईश्वर है ईश्वर कहता है ये परमेश्वर हैा...
गरीब - अनव्यवर को दुहवत है, दुध दिया तत्काल..
पीवे बालक ब्रह्म गति, ता शिव भये दयाल...
अर्थ- गरीबदास जी महाराज आखो देखा बता रहे है कबीर साहेब ने साधु रूप मे शिव से कहा था जुलाये को बोलो कुवारी बछिया लेकर आये आप हाथ रख देना वह दुध देगी.. कुवारी बछिया ने दुध दिया.. फिर कबीर परमेश्वर ने कुवारी गाये का दुध पीया.. और शिव शंकर कबीर परमेश्वर से मिलकर चले गये...
मित्रो इससे ये साबित होता है कबीर परमेश्वर ने ही वेदो वाली लीला की हैा इससे स्प्ष्ट है की कबीर ही परमात्मा हैा...
********** (फोटो-1)p3 मे देखे************
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कबीर परमेश्वर के प्रकट होने की लीला को विस्तार से जाने के लिए p3 मे कबीर परमेश्वर का कलयुग मे आगमन पढे... उनकी सभी सतयुग से कलयुग तक की लीलाओ को जानने के लिए.. कृप्या ये लिंक open करके पढे...
>कबीर सागर मेँ प्रमाण देखेँ www.kabirsahib.jagatgururampalji.org/
देखिये वेदो मे परमात्मा साकार है कविर नाम है
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सत्यार्थ प्रकाश - समुल्लास १ के पेज १८ पर लिखा हैा..
संस्कृत के विद्वान और वेदो के अनुवाद कर्ता दयानंद जी का मानना है जो वेदो द्वारा सब विधाओ का उपदेष्टा और वेत्ता इसलिए कवि: नाम परमेश्वर का हैैैा..
देखिये अनुवाद थोडा घुमाया है हम सीधा अनुवाद करते है.
य: कौति शब्दयति सर्वा विधा: स कविरीश्वर:
स - वह
कविरीश्वर: का संधिविच्छेद....
कविरीश्वर: - कविर + ईश्वर
सीधा अनुवाद- वह कविर ईश्वर है जो वेदो द्वारा सब विधाओ का उपदेष्टा और वेत्ता हैैा...
दयानंद जी ने स्पष्ट कर दिया वह कविर परमेश्वर हैा....

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ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त82 मंत्र1,2 मे लिखा हैा...
वह परमात्मा पापो का हरण करने वाला हैा वह राजा के समान दिखाई देता हैा.. वह विधुत के समान तेज गति से वर्णीय पुरूषो को प्राप्त होता हैा. वह उपदेश करने की इच्छा से मतलब ज्ञान देने की इच्छा से महापुरूषो को मिलता हैा वह कविर हैा.. परमात्मा आप हमको सुख दे...
नोट - यहा अनुवाद करने वालो ने कवि: का अर्थ सर्वज्ञ किया है जो की गलत है नाम का अर्थ नही होता वह ज्यो का त्यो लिखा जाता हैा.. वैसे भी अभी सत्यार्थ प्रकाश मे उदाहरण दिया.. दयानंद जी खुद मानते हैा वह कविर ईश्वर हैा...कविर को कबीर भी बोलते है जैसे रवि को रबि भी कुछ लोग बोल देते हैा... उस परमेश्वर का आदिनाम कविर है.. कबीर - वेद मेरा भेद है, मै मिलू.वेदो से नाही..
जोन वेद से मै मिलू, ये वेद जानते नही..
कबीर साहेब - वानी मे कह रहे है वेदो मे मेरी महिमा लिखी है लेकिन वेदो मे मेरे पाने की विधि नही हैा..
वैसे तो बहुत से मंत्रो मे कबीर परमेश्वर की महिमा लिखी हैा.. कुछ एक बता देते हैा प्रमाण ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त96 मंत्र 16से 20, मंडल 9 सूक्त 86 मंत्र26,27 - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1,32और अध्याय 29के 25 मंत्र मे.. कबीर साहेब का प्रमाण है
इन सभी वेदो के मंत्र ने सिद्ध कर दिया वह परमेश्वर कबीर है साकार हैा...
----- गुरूग्रंथ साहेब मे कबीर ही वाहेगुरू ह-------

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गुरूग्रंथ साहेब के 721 पेज पर महला -1 पर लिखा हैा..
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार....
नानक बुगयोद जनु तुरा तेरे चाकरा पाखाक ..
अनुवाद -- दयालू सत कबीर अाप निर्विकार परमात्मा हो.. नानक जी कह रहे है तेरे सेवको के चरणो की धूल से डूबता हुए पार हो गया..

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गुरूग्रंथ साहेब राग श्री महला पेज न 24 पर लिखा हैा.. इस शब्द मे नानक जी ने बहुत बार धाणक(जुलाया) रूप रहा करतार बोला हैैा.. उदारहण के लिए एक लाइन लिखता हु बाकी आप फोटो से पढ लेना....
फाही सुरति मनखी बेस, हउ ठगवाडा ठग्गी देख..
खरा सियाणा बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार...
अनुवाद - (कबीर साहेब ने जब नानक जी कोजब सचखंड दिखा दिया.. सतपुरूष रूप मे कबीर साहेब को आखो देखने के बाद जब नानक जी ने कबीर साहेब को दुबारा काशी मे जुलाये रूप मे देखा तब ये शब्द बोला था)
नानक जी काशी के लोगो को कह रहे हैैा
फाही सुरति मनखी बेस, हउ ठगवाडा ठग्गी देख..
खरा सियाणा बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार..
अर्थ- नानक जी प्रेम से बोल रहे हैा ये भोली सी सुरत और इस जुलाये रूप ने सारे देश के लोगो को ठग लिया है ये कितना सियाणा होशियार बना बैठा है.. कोई पहचान नही पा रहा है ये धाणक( जुलाये) रूप मे करतार मतलब परमात्मा आया बैठा हैा...
तेरा एक नाम तारे संसार ऐहो आस ऐहो आधार धाणक रूप रहा करतार....
नानक जी कह रहे है तेरा एक नाम संसार को पार करने वाला हैा.. वेदो मे भी अभी आपको बताया था.. वह परमात्मा उपदेश देने की इच्छा से महापुरूषो को मिलते हैा.. ठीक इसी तरह कबीर साहेब बेई नदी पर आकर नानक जी को मिले थे.. वहा से सचखंड लेकर गये थे नानक जी की आत्मा को.. तीन दिन बाद वापिस पृथ्वी लोक पर छोडा था.. फिर पहली उदासी नानक जी ने काशी बनारस की थी काशी मे कबीर साहेब ने नानक जी को सतनाम का मंत्र दिया था...
इससे सिद्ध होता हैा नानक जी के वाहेगुरू कबीर साहेब है.. वो ही परमात्मा हैा.. और आगे पढे अभी बहुत कुछ बाकी हैै...
- इस्लाम मे अल्लाह साकार है उसका नाम कबीर हैा--

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तोरेत जबूर और इंजील और कुरानशरीफ ये मुसलमान भाईयो की 4 कतेब है जैसे हिन्दूओ के 4 वेद हैा..
तोरेत पैदाइश 1:25-2:12
आयत- 26 खुदा ने कहा हम इंसानो को अपनी सुरत के अनुसार बनाये ...
आयत- 27 तब खुदा ने इंसानो को अपनी सुरत के अपनुसार पैदा किया नर और नारी करके इसानो को बनाया...
इससे साबित होता है वह अल्लाह हमारे जैसी सुरत का है मतलब साकार हैा क्योकि उसने हमे अपनी सुरत के जैसा बनाया हैा.....
---------- आजान -----------------
अरबी - अल्लाह हु अकबर , अल्लाह हु अकबर
अकबर का अर्थ बडा होता है...
कबीर का अर्थ बडा होता...
अकबर कबीर दोनो एक ही नाम है.. कबीर का बिगडा हुआ शब्द अकबर बना रखा हैा...
अल्लाह हु अकबर की जगह हम अल्लाह हु कबीर भी बोल सकते हैा क्योकि कुरान शरीफ मे सुरत फुरकान 25 आयत 59 मे लिखा है जिसने आसमान और धरती के बीच सब कुछ छह दिन मे पैदा किया वह अल्लाह कबीर हैा.. इसलिए हम अल्लाह हु कबीर बोल सकते हैा..
अरबी - अल्लाह हु कबीर......
गलत अर्थ - अल्लाह बडा हैा..
सही अर्थ - अल्लाह कबीर हैा..
नोट- जैसे वेदो मे कविर का अर्थ संस्कृत विद्वानो ने सर्वज्ञ किया हैा वैसे ही मुसलमान भाईयो ने कबीर का अर्थ बडा किया हैा जो की गलत है... क्योकि यहा कविर और कबीर ये परमात्मा के नाम है नाम किसी का भी हो किसी भी भाषा मे उसका अनुवाद नही होता.. नाम ज्यो का त्यो लिखना पडता हैा...
जैसे - Honey eats the food...
हिन्दी - हनी खाना खाता हैा...
Honey का अर्थ शहद होता हैा अगर हम इसका अनुवाद ऐसे करते -- शहद खाना खाता हैा.. तो गलत होता..
यहा हनी नाम है नाम का अनुवाद नही होता..
अल्लाह हु कबीर का अर्थ हम कर सकते है अल्लाह कबीर हैा..

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कुरान शरीफ- सुरत फुरकान 25 आयत 51से 59 तक अल्लाह हु कबीर के बारे मे लिखा हैैा..
अायत 58- मे लिखा है अिवादिही खबीरा(कबीरा)
मतलब पूजा के योग्य कबीरा हैा...
आयत 58:- व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु
व सब्बिह् बिहम्दिही व
कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा(कबीरा)।
58।
और (ऐ पैग़म्बर ! ) उस जिन्दा (चैतन्य) पर
भरोसा रखो जो कभी मरनेवाला नहीं और
तारीफ़ के साथ
उसकी पाकी बयान करते रहो और अपने
बन्दों के गुनाहों से वह काफ़ी ख़बरदार है (58)
आयत संख्या 58 का ऊपर अनुवाद
किसी मुसलमान भक्त का किया हुआ है
जो वास्तविकता प्रकट करने में असमर्थ रहा है।
वास्तव में इस आयत संख्या 58 का भावार्थ है
कि हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु
मानते हैं वह कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु)
किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ
संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर उस
कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे
जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह
कभी मरने वाला नहीं है
अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
तारीफ के साथ
उसकी पाकी(पवित्र महिमा)
का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह
(कविर्देव) पूजा के योग्य है तथा अपने उपासकों के सर्व
पापों को विनाश करने वाला है।
आयत 59:- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व
मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन्
सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल्
बिही खबीरन्(कबीरन्)।
59।।
जिसने आसमानों और जमीन और जो कुछ उनके
बीच में है (सबको) छः दिन में पैदा किया, फिर तख्त
पर जा विराजा (वह अल्लाह बड़ा) रहमान है,
तो उसकी खबर किसी बाखबर (इल्मवाले)
से पूछ देखो। (59)
आयत संख्या 59 का ऊपर वाला अनुवाद
किसी मुसलमान श्रद्धालु का किया हुआ है
जो पवित्र शास्त्र र्कुआन शरीफ के वास्तविक
भावार्थ से कोसों दूर है। इसका वास्तविक भावार्थ है
कि हजरत मुहम्मद को र्कुआन शरीफ
बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कह रहा है कि वह
कबीर प्रभु वही है जिसने
जमीन तथा आसमान के बीच में
जो भी विद्यमान है सर्व
सृष्टी की रचना छः दिन में
की तथा सातवें दिन ऊपर अपने सत्यलोक में
सिंहासन पर विराजमान हो(बैठ) गया।
उस पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति कैसे
होगी ? तथा वास्तविक ज्ञान
तो किसी तत्वदर्शी संत(बाखबर) से पूछो,
मैं (कुर्रान ज्ञान दाता) नहीं जानता।
दोनों पवित्र धर्मों(ईसाई तथा मुसलमान) के पवित्र शास्त्रों ने
भी मिल-जुल कर प्रमाणित कर दिया कि सर्व
सृष्टी रचनहार सर्व पाप विनाशक, सर्व
शक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश
शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक में
रहता है। उसका नाम कबीर है,
उसी को अल्लाहु अकबिरू
भी कहते हैं।

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“फजाईले आमाल से प्रमाण”
विशेष विचारः- फजाईले आमाल मुसलमानों की एक
विशेष पवित्र पुस्तक है जिसमें
पूजा की विधि तथा पूर्ण
परमात्मा कबीर साहेब का नाम विशेष रूप से
वर्णित है। जैसा कि आप निम्न फजाईले आमाल के
ज्यों के त्यों लेख देखेंगे उनमें फजाईले जिक्र में आयत नं.
1ए 2ए 3ए 6 तथा 7 में स्पष्ट प्रमाण है कि ब्रह्म
(काल अर्थात् क्षर पुरूष) कह रहा है कि तुम
कबीर अल्लाह कि बड़ाई बयान करो। वह
कबीर अल्लाह तमाम
पोसीदा और जाहिर चीजों को जानने
वाला है और वह कबीर है और
आलीशान रूत्बे वाला है। जब
फरिश्तों को कबीर अल्लाह
की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे
खौफ के मारे घबरा जाते हैं। यहाँ तक कि जब उनके
दिलों से घबराहट दूर होती है तो एक
दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार
का क्या हुक्म है। वह कबीर
आलीशान मर्तबे वाला है। ये सब आदेश
कबीर अल्लाह की तरफ से
है जो बड़े आलीशान रूत्बे वाला है। हजुरे
अक्सद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम(हजरत
मुहम्मद) का इर्शाद (कथन) कहना है कि कोई
बंदा ऐसा नहीं है कि ‘लाइला-ह-
इल्लल्लाह‘ कहे उसके लिए आसमानों के दरवाजें न
खुल जाए, यहाँ तक कि यह
कलिमा सीधा अर्श तक पहुँचता है, बशर्ते
कि कबीरा गुनाहों से बचाता रहे।
दो कलमों का जिक्र है कि एक तो ‘लाइला-ह-
इल्लल्लाह‘ है और दूसरा ‘अल्लाहु
अक्बर‘(कबीर)। यहाँ पर अल्लाहु
अक्बर का भाव है भगवान कबीर
(कबीर साहेब अर्थात् कविर्देव)।
फिर फजाईले दरूद शरीफ़ में
भी कबीर नाम
की महिमा का प्रत्यक्ष प्रमाण
छुपा नहीं है। कृप्या निम्न पढ़िये फजाईले
आमाल का लेख।
फजाईले आमाल से सहाभार ज्यों का त्यों लेख:-
फजाइले जिक्
बाइबल मे परमेश्वर साकार हैा बाइबल और कुरान शरीफ मिलकर साबित करेगे परमेश्वर कबीर साहेब है आदम को बनाने वाले कबीर है ये गवाही देगे नानक जी देगे
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--- प्रमाण के लिए-
तोरेत जुबूर और इंजील इन तीनो से मिलकर बाइबल बनी हैा.. बाबा आदम ईसाई और मुस्लिम दोनो धर्मो मे माने जाते है.. बाईबल उत्पति 1:27-2:17
आयत- 26-> परमेशवर ने कहा हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता मे बनाये..
आतत-27-> तब परमेश्वर ने मनुष्यो को अपने स्वरूप के अनुसार पैदा किया नर और नारी के उत्पति की...
नोट- इससे स्पष्ट होता है परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार पैदा किया हैा.. परमेश्वर हमारे जैसा साकार हैा उसका नर आकार हैा अपने वेदो मे भी पढा है वह राजा के समान दिखाई देता हैा.....
परमेश्वर ने पशु पक्षियो को भी मांस खाने का आदेश नही दिया.....
आयत- 29,30 -> परमेश्वर ने कहा सुनो जितने भी पृथ्वी पर बीज वाले पौधे पेड है फल वाले पेड है वो मैने तुमको खाने के लिए दिये हैा..
और आकाश के पक्षियो और पृथ्वी पर रहने वाले पशुओ के खाने के लिए मैने छोटे छोटे हरे हरे घास वाले पौधे दिये हैा.. आयत 28-> मे मनुष्य को पशु पक्षियो पर अधिकार रखने को कहा है जैसे गाय भैस तौते मछलीयो को पालते हैा.. परमेश्वर ने पशु पक्षियो को पालने और सेवा करके पूण्य कमाने को कहा हैा.. ना की खाने को.. अधिकार रखना खाना नही होता...
बाईबल और कुरान शरीफ मे मांस खाने का आदेश परमेश्वर Supreme God का नही है बल्कि किसी ईश्वर God का आदेश हैा मतलब राजा का नही है किसी मंत्री का आदेश हैा..
नोट- अगर कोई मंत्री के कहने से राजा का आदेश तोडता है तो मंत्री और आदेश तोडने वाले दोनो को राजा सजा देगा.. जितने भी मांस खा रहे है वो परमेश्वर (राजा)का विधान तोड रहे है किसी ईश्वर(मंत्री) के कहने से.. उनको सजा मिलेगी..
परमेश्वर कबीर वाणी मासं खाने का विरोध किया हैा.. कबीर- हिन्दू को दया नाही, मेहर तुर्क को नाही..
कह कबीर दोनो गये, लाख चौरासी माही. कबीर- तिलभर मछली खायकर, करोड गा़य कर दे दान.
काशी करोड ले मरे, तो भी नरक निदान
कबीर- मांस मांस सब एक है, बकरा मुर्गी गाय..
ओखि देखी नर खात है, ते नर नरक हि जाए.
कबीर- मुर्गी मुल्ला से कहत है, जबह करत है मोही.
जब साहेब लेखा मागंसी, तब संकट पडत है तोही.
कबीर- दिन को रोजा रखत है,रात हनत है गाय...
यह खून वह बंदगी कैसे खुश हो खुदाय...
कबीर- मुर्गे से मुल्ला भया, मुल्ला से भया मुर्ग..
दोजक(नरक) धक्के खायेगा, तूझे पावे नही स्वर्ग..
कबीर - साहेब कहते है आज तू मुर्गे को काट रहा हैा कल तूझे मुर्गा काटेगा मुला बनकर.. तुम लोगो को कभी स्वर्ग नही मिल सकता...
बाइबल- आयत 2:2 मे परमेशवर ने सारा काम छह दिन मे पूरा किया फिर विश्राम किया... (परमेश्वर अपने सिहांसन पर चले गये फिर काल भगवान यहोवा ने वहा के संचालन भार को सम्भाला जैसे pm किसी cm को State का संचालन भार सौप देता हैा)
कुरान शरीफ-सूरत फुरकान 25 आयत 59 मे ह० मोहम्मद को कुरान का ज्ञान देने वाला कह रहा है - हे पैगम्बर धरती और आसमान के बीच मे जो कुछ भी हैा जिसने छह दिन मे पैदा किया फिर वह अपने तख्त सिहासन पर जा बैठा वह अल्लाह कबीर हैा...उसकी खाबर किसी बाखर(इल्मवाले) से पूछो..
नोट- इसी फोटो के p3 मे देखिये यहा पर अनुवाद कर्ता ने कबीर का अर्थ बडा किया हैा यहा कबीर नाम है नाम का कभी अर्थ नही करते.. हम कबीर का कबीर भी लिख देगे तब भी गलत नही होगा.. अरबी ठीक है हिन्दी अनुवाद गलत किया हैा..
बाईबल और कुरान ने ये साबित कर दिया वह छह दिन मे सृष्टी रचने वाला अल्लाह परमेश्वर कबीर हैा..
इसी फोटो के P2 को दुबारा देखिये...
बाईबल आयत 2:15,16 - फिर यहोवा ने आदम को वटिका मे रख दिया.. आदम को आदेश दिया तू वाटिका के फल बिना खटके खा सकता हैा...
नोट- आदम को ईसाई और मुस्लिम दोनो धर्मो के लोग अपना Chief मानते है.. बाबा आदम को इंसानो का बाप मानते हैा. जैनीयो की किताब मे लिखा हैा ऋषभदेव ही आगे चलकर बाबा आदम बने थे... आओ देखते है.. इसानो के बाप बाबा आदम को किसने पैदा किया था ..

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जन्म साखी , भाई बाले वाली , पेज 189 पर लिखा हैा..
नानक जी की एक रूकनदीन नाम के काजी से ज्ञान चर्चा होती हैा.. नानक जी कहते हैा...
खालक आदम सिरजिआ आलम बडा कबीर. काइम दाइम कुदरती सब पीरा दे पी..
सयदे करो खुदाई नु, आलम बडा कबीर..
अर्थ- जिसने सारी दुनिया और आदम को बनाया बह बडा अल्लाह ही कबीर हैा... वह सब पीरो का पीर मतलब सब गुरूवो का गुरू हैा.. सजदे करो प्रणाम करो उस खुदा को बडा अल्लाह कबीर..
नोट - ये मुसलमान कुरान शरीफ मे कबीर का अर्थ बडा करके सच्चाई को छुपा रहे थे.. कुरान की अरबी भाषा ठीक है उसमे कबीर लिखा हैा देखे इसी फोटो का p3 प्रमाण...
लेकिन इन अनुवाद कर्ता ने चलाकी दिखाई कबीर का अर्थ बडा कर दिया... लेकिन यहा नानक जी ने बिल्कुुल स्पष्ट कर दिया.. आलम बडा कबीर.... वो बडा अल्लाह ही कबीर हैा. सच्चाई को कहा तक छुपा सकते है ये मर्ख..
कबीर- चोर चुरावे तूमडी वो गाढे पानी मे..
वो गाढे वो उपर आवे, यू सच्चाई छानी ना ..
सच्चाई छुपती नही वो एक दिन उपर आ ही जाती हैा..
----------- बाबा जिंदा----------------
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**** कुरान शरीफ और नानक जी गवाही देते है वह अल्लाह परमेश्वर "जिंदा महात्मा" के रूप मे धरती पर आते हैा** (फोटो-7) केे p1 मे प्रमाण देखो पहले..******
कुरानशरीफ -सुरत फुरकानी 25 आयत 58 मे अिवादिही कबीरा लिखा हैा.. इसका अर्थ है वो कबीर अिबादत पूजा के योग्य हैा..
आयत 58:- व तवक्कल् अलल् हरिूल्लजी ला यमूतु
व सब्बिह् बिहम्दिही व
कफा बिही बिजुनूबि अिबादिही खबीरा(कबीरा)।
58।
और (ऐ पैग़म्बर ! ) उस जिन्दा (चैतन्य) पर
भरोसा रखो जो कभी मरनेवाला नहीं और
तारीफ़ के साथ
उसकी पाकी बयान करते रहो और अपने
बन्दों के गुनाहों से वह काफ़ी ख़बरदार है (58)
आयत संख्या 58 का ऊपर अनुवाद
किसी मुसलमान भक्त का किया हुआ है
जो वास्तविकता प्रकट करने में असमर्थ रहा है।
वास्तव में इस आयत संख्या 58 का भावार्थ है
कि हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु
मानते हैं वह कुरान ज्ञान दाता अल्लाह (प्रभु)
किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ
संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर उस
कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे
जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह
कभी मरने वाला नहीं है
अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
तारीफ के साथ
उसकी पाकी(पवित्र महिमा)
का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह
(कविर्देव) पूजा के योग्य है तथा अपने उपासकों के सर्व
पापों को विनाश करने वाला हैा..
नोट-आयत 58 ने ये साबित कर दिया है कि वह बाबा जिंदा है जो कभी मरने वाला नही हैा..उसका नाम कबीर हैा

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जन्म साखी, भाई बाले वाली पेज 180,181 पर
बाला और मरदाना दो शिष्या नानक जी के हमेशा साथ रहते थे.. और कुछ ना कुछ नानक जी से पूछते रहते थे..
एक बार मरदाना ने नानक जी से पूछा हे महाराज जिस गुरू का आपने जिक्र किया है उनका नाम जानना चाहता हु.. नानक जी ने कहा उनका नाम बाबा जिंदा हैा.. जल और वायु भी उसकी आग्या से चले आ रहे हैा अग्नि और मृत्यु भी उसकी आज्ञा मानते चले आ रहे है उसको ही बाबा कहना उचित हो अन्य को नही... मरदाना ने कहा आपको बाबा कब और कहा मिला.. नानक जी ने कहा जब बेई नदी मे डूबकी लगाई तब दिन उसके पास ही रहे थे...
नोट - प्रमाण गुरूग्रंथ साहेब सीरी रागु महला पहला घर 4 पेज 25)
कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप मे नानक जी को मिले थे बेई नदी पर.. नानक ने कहा अगर आप मुझे नदी मे ढूंढ दोगे तो मै अापको परमात्मा मान लूंगा.. नानक जी जल मे मछली बन गये कबीर साहेब ने मछली पकड कर बाहर निकाल कर नानक जी बना दिये.. तब नानक जी ने सरेंडर किया..
(प्रमाण गुरूग्रंथ साहेब सीरी रागु महला पहला घर 4 पेज 25) नानक वाणी-
तू दरिया दाना बीना, मै मछली कैसे अन्त लहा...
न जाना मेऊ न जाना जाली, जा दुख: लागे तू ही समाली.
नानक जी कह रहे है तू दरिया के अन्दर के दाने दाने तक को जानने वाला हैा मै मछली बन गया तूने कैसे मुझे पहचान लिया.. मुझे तो मछुवारो की जाली भी नही पकड पाई.. तू ही सबके दुखो को हरने वाला हैा...
उसके बाद नानक जी को कबीर साहेब ने तीन दिन सचखंड(सतलोक) मे रखा फिर 3 दिन बाद वापिस पृथ्वी पर छोडा... ये कबीर सागर बताता हैा...

नानक जी कह रहे है हे मरदाना वह ऐसा गुरू है जिसकी सत्ता समस्त संसार पर आश्रय रूप होकर विराज रही हैैा
उसको जिंदा कहा जाता है वह काल के वश नही हैा...
मरदाना ने कहा- हे कृपानाथ उसका रंग कैसा है और उसका आसन कहा हैैा...
नानक जी ने कहा - उसका रंग लाल है लेकिन संसार की कोई भी लाली उसके सदृश्य नही हैैा उसके जो बाल है सोने की तरह है लेकिन कोई सोना उसके तुल्य नही हैा वह जिव्या से बोलता नही है. उसके रोम रोम मे शब्दो की ध्वनी हो रही हैा...
नोट-- कबीर साहेब सतलोक मे सतपुरूष रूप मे बैठे हैा कबीर साहेब की सतलोक की झांकी देखकर नानक जी उनकी शोभा का वर्णन कर रहे हैा
गरीबदास - झांकी देख कबीर की नानक कीति वाह....
वाह सिक्खो के गल पडी कौन, छुटावे तहा....
ये थे वो जिन्होने उस अल्लाह वाहेगुरू परमात्मा को सचखंड(real jannat) मे आखो देखा उनके बाल और रंग जीभ तक बता दी...
और इस संसार के अज्ञानी अंधे कहते है परमात्मा अल्लाह वाहेगूरू निराकार हैा कुछ महामूर्ख कहते है वह साकार और निराकार भी हैा.. ये दुनिया का मूर्ख बना रहे हैा.. मानव जीवन बरबाद कर रहे हैा...

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कबीर सागर बोधसागर से नानक साहेब कथा पेज 158,159 मे, कबीर सागर को पाचवा वेद स्वसमवेद भी कहते है.. एक दो वाणी बताऊंगा बाकी आप पढ लेना..
जिंदा रूप धर तब साई, प्रभु पंजाब देश चल आई...
अर्थ - धर्मदास जी बता रहे है कबीर परमेश्वर जिंदा रूप बना कर पंजाब देश मे चल आये ...
नानक वचन-
काहु ना कही निजबानी, धन्य कबीर परमपुरूष ज्ञानी...
अर्थ- किसी ने हमे ये बात आज तक नही बताई धन्य हो कबीर आप परमज्ञानी परमात्मा हो...
जिंदा वचन-
जबते हमसे बिछुडे भाई, साठ हजार जन्म तूम पाई..
गहु मम् शब्द तो उतरो पारा,बिना सतशब्द तो यम द्वारा.
अर्थ- जब से तुम सतलोक से हमसे बिछुडकर आये हो तबसे तुमने 60 हजार मानव जन्म पाये हैा.. मेरा शब्द(मंत्र) लो तो इस संसार से पार होकर सतलोक जाओगे.. बिना सतशब्द(मंत्र) के बार बार जन्म मरण 84 भोगोगे...
नानक वचन-
दिया दान गुरू किया उबारा, नानक अमरलोक पग धारा..
अर्थ- कबीर साहेब ने गुरू बनकर नानक जी को अमर मंत्र(सतशब्द) दिया फिर नानक ने अमरलोक मे पदम रखे.
हमारे फोटो-7 मे दिये गये कुरानशरीफ नानक जी और कबीर सागर ने ये साबित कर दिया हैा वह परमात्मा कबीर साहेब हैा वह सतपूरूष है जिंदा महात्मा के रूप मे धरती पर आकर महापुरूषो को मिलता हैा और हम फोटो 2 मे वेदो मे ये सिद्ध कर चुके हैा की वह परमात्मा राजा के समान दिखाई देता हैा वह कबीर है बिजली जैसी गति से आकर महापुरूषो को मिलता हैा...
आओ जानते है वह परमात्मा किस किस ने आखो देखा है.
*** सतलोक मे परमात्मा को किस किस ने आखो देखा आओ देखते है संत क्या बताते हैा********
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सचखंड कबीर साहेब ने बहुतो को दिखा़या. लेकिन कुछ एक का नाम लेते हैा..
१,रामानंद २, गरीबदास हरियाणा जिला झझर गांव छुडानी,३. घीसासंत जिला बागपत खेकडा ४. दादू साहेब ५.मलूकदास ६.धर्मदास ७. नानक जी...
घीसासंत जी का ग्रंथ, गरीबदास जी का ग्रंथ, धर्मदास जी का लिखा कबीर सागर , नानक जी का ग्रंथ आप खरीदकर पढ सकते हो कबीर साहेब की महिमा गाई हुई हैा विस्तार से पोस्ट पर बताना मुमकीन नही हैा. रामानंद जी को छोड बाकी सब को कबीर परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप मे मिले थे...आओ एक संत धर्मदास जी की वानी दिखाते है

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धर्मदास जी को कबीर साहेब जिंदा महात्मा के रूप मे मिले थे. सदग्रंथ साहेब से धर्मदास वानी..
औहे जिंदे का बदन शरीरम्, बैठे कदम वृक्ष के तीरम्...
बोले जिंद कबीर, सुनो वानी धर्मदासा
हम खालिक हम खलक सकल हमरा प्रकाशा..
हम ही चंद्र और सरज, हम है पानी और पवना..
हम ही धरती आकाश, रहे हम चौदहा भवना..
हम ही सतपुरूष साहिब है, यह सब रूप हमार..
जिंद कह धर्मदास, शब्द सत्य घनसार...
अर्थ- परमात्मा जिंदे महात्मा के रूप मे कदम वृक्ष के नीचे बैठे थे. कबीर जिंदा बाबा के रूप मे बोले, सुनो धर्मदासा..
हम ही दुनिया और हम ही दुनिया रचने वाले हैा ये सारा प्रकाश हमारा ही हैा हम ही चांद हम ही सूरज हम ही पानी हम ही पवन हम ही धरती आकास है हम चौदहा भवन मतलब पूरे ब्रह्मांड मे विधमान हैा.. हम ही सतपुरूष साहिब है यह सब हमारा रूप हैा... जिंद रूप मे कबीर साहेब कहते है सत शब्द ही सार है..

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कबीर सागर , अगम निगम बोध पेज 4....
नानक वचन-- वाह वाह कबीर गुरू पूरा हैा..
पूरे गुरू की मै बल जावा, जाका सकल जहुरा है..
अधर दुलैच पडे गुरून के, शिव ब्रह्मा जहा शूरा हैा..
श्वेत ध्वजा फहरत गुरून के, बाजत अनहद तूरा हैा
पूर्ण कबीर सकल घट दरशै, हरदम हाल हजुरा है..
नाम कबीर जपे बडभागी, नानक चरण का धूरा हैा..
अर्थ- नानक जी कह रहे है कबीर साहेब पूरा गुरू हैा (नोट- पूरे गुरू के बिना मुकती नही होती) पूरे गुरू पर मै कुरबान हो जाऊ जिसका सतलोक तेजोमय प्रकाशयुक्त है. सतलोक सचखंड मे सभी आत्मा शिव ब्रह्मा जैसी शक्ति युक्त हैा.. वहा पर सफेद ध्वजा है और अनहद धून हो रही है. पूर्ण कबीर परमात्मा सबके घट मे हरदम विधमान हैा. कबीर साहेब का नाम(मंत्र) बडे भाग वाला बडी किस्मत वाला ही जाप करता हैा. नानक तो उनके धूल हैा..
***(फोटो-8)p3 को देखो संतो की वानी और कुरानशरीफ मे कबीर के परमात्मा होने का प्रमाण...
गरीबदास - अन्नत कोट ब्रहामांड मे बंदी छोड कहाये सोतो एक कबीर है जो जननी जने ना माये....

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SARSTI RACHNA:-.....
दोसतो ये Sarsti Rachna कबीर साहेब ने बताई जो कबीर सागर मे लिखी हुई है आैर वेद गीता पुरान कुरान बाईबल गुररूग्रंथ साहेब भी इसकी गवाई दे रहे है. इसमे आपको पुर्णब्रह्म परब्रह्म ब्रह्म शेरावाली,ब्रह्मा विषणु महेश आदि की जानकारी भी होगी ...
पूर्णब्रह्म - ये Supriem God है वेदो मे इनका Real name कविरदेव कहा है. संत इसको सतपुरूष कहते है. विदवान पूर्णबह्म पारब्रह्म कहते है. गीता मे इनको परमअकक्षरब्रह्म कहा है. ये अविनाशी भगवान है . इनकी असंखो भुजाये है. ये सभी ब्रह्मांडो के मालिक है. ये ही 1398 मे सतलोक से आकर काशी मे कमल के फूल पर परकट हुए थे. कबीर नाम से आये Supriem God.
परब्रह्म - ये केवल 7 संख ब्रह्मांड के मालिक है. गीता मे इनको अकक्षरपुरूष कहा है. ये नाशवान भगवान. इनको परब्रह्म भी कहते है. ये कबीर साहेब का समझो बडा लडका है. इसकी 10000 भुजाये है.
ब्रह्म - ये केवल 21 ब्रह्मांड का मालिक है. ब्रह्मा बिषणु शिव के पिता है. शेरावाली माता के पति है. गीता मे इनको क्षरपुरूष कहा है Means ऩाशवान भगवान. ये ब्रह्म कहलाता है. ये कबीर साहेब का छोटा लडका है. इनकी पहचान ॐ है.. संत योगी इनको निरंजन कहकर पुकारते है. संतो ने इसको काल कहा है. इसको सारफ लगा है रोज एक लाख मानव जीवो को खाने का.. इसकी 1000 भुजाये है.
****** काल ब्रह्म की पत्नी दुर्गा माता है और ब्रह्मा बिष्णु शिव तीन पुत्र ********
शेरावाली:- ये ब्रह्म काल निरंजन की पत्नी हैा ब्रह्मा विषणु शिव की माता है. इसकी 8 भुजाये है इसलिए इसको अषटंगी भी कहते है..
ब्रह्मा - ये काल ब्रह्म आैर दुर्गा माता का बडा लडका है. इसकी 4 भुजा है.. इसकी डयूटी है काल के खाने के लिए रोज 1.25 लाख जीवो की उत्पति रचना करना. ये रजगुण कहलाते है.
बिषणु :- ये ब्रह्मा का छोटा भाई है. इसकी चार भुजाये है. इसकी डयूटी है सभी जीवो का पालन पोषन करना. ये सत गुण कहलाते ह
शिव :- ये विषणु जी के छोटे भाई है. इनकी डयूटी है संहार करना. रोज 1लाख मानव को मारकर काल के भोजन के लिए काल के पास भेजना.. इनकी चार भुजाये है. ये तम गुण कहलाते है..
********** Sarsti Rachna************
कबीर साहेब सवाल करते है????????
उस घर की हमनै खोल बताओ, कौन था देव पुजारा जी॥
1धरती भी नही थी,अम्बर भी नही था,नही था सकल पसारा जी।चंदा भी नही था,सूरज भी नही था,नही था नौ लख तारा जी॥2अल्ला भी नही था,खुदा भी नही था,नही था मुल्ला और काजी जी।बेद भी नही था,गीता भी नही था,नही था कोई बांचण हारा जी॥3गुरु भी नही था,चेला भी नही था,नही था ज्ञानी और ध्यानी जी।
नाद भी नही था,बिन्दू भी नही था,नही था साखी शब्द बाणी जी॥4.ब्रह्मा भी नही था,बिष्णु भी नही था,नही था शंकर देवा जी।
कहै कबीर सुणो भाई साधो.... कौन था देव पुजारा जी॥
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कबीर साहेब खुद ही उत्तर देते है---------
SARSTI RACHNA:-
कबीर साहेब अपने द्वारा रची सरषटी को खुद ही बता रहे है ...
अदली आरती असल पठाऊं, युगो युगो का लेखा लयाऊ. जा दिन ना थे पिंड नही प्राणा,नही पानी जमी असमाना.. कछ मछ कुरमभ ना काया, चंदर सुरज नही दीप बनाया.. शेष महेष गणेश ना ब्रह्मा नारद शारद ना विशकर्मा.. सिध चौरासी ना तेतीसो, नौ अवतार नही चौबीसो.. पांच तत्व नाही गुण तीना, नांद बींद नाही घट सीना..चित्रगुप्त नही कृत्रिम बाजी, धर्मराय नही पंडीत काजी..धुन्धूकार अनंत युग बीते जा दिन कागज कहो किन चीते..जा दिन थे हम तखत खवासा, तन के पाजी सेवक दासा.. संख युगो परलो परवाना, सतपुरूष के संग रहाना.. दास गरीब कबीर का चेरा, सतलोक अमरापुर डेरा
अर्थ-कबीर साहेब कह रहे है जब जमीन आसमान पानी पवन शरीर और आत्मा नही थी चांद सुरज दीप नही थे गणेश महेश शिव ब्रह्मा नही थे चौरासी सिद्ध नौ नाथ नौ अवतार पांच तत्व तीन गुण नही थे धर्मराय पंडीत काजी नही थे.. कबीर साहेब कह रहे जब कुछ भी नही था उस समय हम थे सतलोक मे रहा करते थे..
=========== सतलोक महिमा=========
पूर्णब्रह्म कबीर साहेब ने सतलोक मतलब अमरलोक मे सभी आत्माओ की उत्पति की.. सभी आत्माओ को सुंदर नूरी शरीर दिया.उस शरीर की चमक इतनी थी जितनी 16 सुरज और चांद की मिलकर रोशनी भी फिकी रहे.. और परमातमा कबीर साहेब की एक रोम कूप की शोभा इतनी है कि करोड सुरज और करोड चांद की मिली जुली ऱोशनी भी फिकी रहे.. अमर लोक हिरे की तरह खुद तेजोमेय है. वहा बाग बगीचे फल फूल हर चीज का अपना परकाश है.. वहा नर नारी है वहा जनम मरन नही है..कोई बीमारी या दुख नही है..केवल सुख ही सुख था..
हम ऐसे सुनदर देश अमरलोक मे रहा करते थे..
(कबीर - हंसा देश सुदेश का, पडा कुदेशो आये जिनका चारा मोतीया वो घोघो कयो पतियाये)
कबीर साहेब बता रहे है तू उस सुंदर देश का रहने वाला हंस मतलब अच्छी आत्मा था वहा मोती खाता था. आैर यहाँ काल के लोक मे तू बगुला काग बन गया है मोती छोड घोघे कीडे खा रहा है..
=======सतलोक अमरलोक की महिमा=======
कबीर वानी कबीर सागर से..
तहँवा रोग सोग नहि होई, कीरडा विनोद सब कोई..
चंदर ना सूरज ना दिवस नही राती, वरण भेद ना जाती अजाती..
satlok m koi rog nhi h koi sok nhi karta Sab koi mooj masti karte h. waha na chand h na suraj na din na raat h. waha na Jati h na koi varan h.
तहँवा जरा मरन नही होई, अमरत भोजन करत आहारा. काया सुंदर ताहि परमाना,उदित भये जनु षोडस भाना..
waha budapa maran nhi h sabi amrat bhozan karte h. har ek ki body ka itna parkash h jitna 16 suraj ek sath chamak jaye..
इतना एक हंस उजियारा,शोभित चिकुर तहा जनु तारा. विमल बास तहँवा बिसगाई,योजन चार लो बास उडाई.
satlok m koi smell badbu Nhi h.. is dharti ki badbu 400 yojan matlab 1200 km uper tak jati h..
सदा मनोहर छत्र सिर छाजा, बूझ न परै रंक और राजा. नहि तहां काल वचन की खानी,अमरत वचन बोल भल वानी..
us manohar parmatma ke sar par chhatar h mukut. waha kaal ka dar nhi h. sabi badi piyari boli bolte h..
आलस निंदा नही परकाशा, बहुत परेम सुख करै विलासा.
.Saltok m koi alash nindra nhi h. sabi Bade prem se rehte h.
साखी- अस सुख है हमरे घर, कह कबीर समुझाय
सतशबद को जान के, असथिर बैठे जाये..
kabir Parmatma kehte h ki hamare Ghar satlok m ehsa sukh h.. Jo insan pure Guru se Satsabd le kar bagti karega. wo hi satlok m ja sakta h..
SATLOK KI Mahima :- गरीबदास जी की वानी
शवेत सिंहासन शवेत ही अंगा, शवेत छत्र जाका शवेत रंगा..
शवेत खवास शवेत ही चौरा, शवेत पोप शवेत ही भौरा..
शवेत नाद शवेत ही तूरा, शवेत सिंहासन नाचे हुरा..
शवेत नदी जहा शवेत ही वृक्षा ,शवेत चंदर जहा मसतक चरचा..
शवेत सरोवर शवेत ही हंसा, शवेत जाका सब कुल वंशा..
शवेत मंदिर चंदर जयोती,शवेत माणक मुकता मोती.
शवेत गुबंद जहा शवेत ही शयाना, शवेत धवजा जहां शवेत ही निशाना..
गरीबदास ये धाम हमारा सुरनर मुनिजन करो विचारा.
अर्थ- सतलोक मे मालिक का सिहासन सफेद है सफेद छत्र सफेद ही खाना पिना सफेद फूल है सफेद भव्वरे है सफेद पेड है सफेद सरोवर नदिया है सफेद मंदिर है सफेद वहा के रहने वाली आत्माओ का शरीर हैा. सब कुछ सफेद ही सफेद नूरी हैा.. गरीबदास जी कैसे है ऐसा है वो हमारा धाम अमरलोक तूम देवता और ऋषि सोच विचार करो..
हम सभी सतलोक मे रहते थे हम सभी सतलोक से काल के जाल मे कैसे फसे?? ब्रह्मा विष्णु शिव की उत्पति कैसे हुई.. ?? काल कौन है काल और दुर्गा की उत्पति कैसे हुई?? काल क्यो एक लाख जीवो को रोज खाता हैा??? सृष्टी की उत्पति कैसी हुई?? हम सभी सतलोक से पृथ्वी लोक पर कैसे फसे??
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********* What is Worship **********
-------पूजा भगती क्या होती है-------
प्रश्न- कुछ लोग बोलते है कबीर साहेब ने मूर्ति पूजा का विरोध किया है.. रामपाल जी महाराज भी ऐसा ही कर रहे है?? रामपाल जी हिन्दू धर्म की पूजा को गलत बता रहे है????
उत्तर - देखिए कबीर साहेब ने ये कहा है फोटो मूर्ति का काम इतना होता है हमे भगवान की याद आती हैा लेकिन मूर्ति के सामने घंटी बजाना या मूर्ति को भोग लगाना पैसे चढाना रोज नहलाना कपडे पहराना मतलब मूर्ति पर आश्रित होना वो गलत है.. पूजा क्या होती है??
१.ध्यान -- जैसे हम मूर्ति या फोटो को देखते है भगवान की याद आती है .. भगवान को जितनी बार याद करते है उससेे ध्यान यज्ञ का फल मिलता है.. चाहे कही बैठ कर कर लो..
२..ज्ञान.... सुबह शाम आरती करना धार्मिक बुक गीता या कबीर नानक वाणी को पढना ये होती है ज्ञान यज्ञ.. इससे ज्ञान यज्ञ का फल मिलता है..
३.हवन.... जैसे हम ज्योति लगाते है देशी घी की उससे हमे हवन यज्ञ का फल मिलता है...
४. धर्म... जैसे हम भंडारा आदि भूखे को भोजन कराते है उससे धर्म यज्ञ का फल मिलता है..
५.. प्रणाम.. जो हम लम्बे लेट कर भगवान को प्रणाम करते है प्रणाम यज्ञ का फल मिलता है..
ये पांच यज्ञ करनी होती है साथ मे जो गुरू नाम (मंत्र )भी जाप करना होता है..
नाम(मंत्र) क्या होता है???
जिस इष्टदेव की आप पूजा करते हो उसका एक गुप्त आदि नाम होता है उसको मंत्र(नाम) बोलते है..
उदाहरण - जैसे नाग बिन के वश होता है बिन बजते ही सावधान हो जाता है.. ऐसे ही ये देवता भगवान अपने अपने मंत्र के वश होते है ... नारद ने ध्रुव को ऐसा मंत्र दिया था ध्रुव ने ऐसी कसक के साथ जाप किया था 6 महीने मे बिषणु को बुला दिया था..
ये 5 यज्ञ करना और साथ मे गुरूमंत्र का जाप करना ही पूजा करलाती है..
उदाहरण के लिए - आपका शरीर समझो खेत है .. पूजा मे ये गुरूमंत्र समझो बीज है ये पांच यज्ञ समझो खाद पानी निराई गुडाई है...
अगर आप गुरूमंत्र जापकर रहे हो पांचो यज्ञ नही कर रहे हो तो आप ऐसे हो -- जैसे आप खेत मे बीज डाल रहे है खाद पानी नही दोगे तो बीज नही होगा.. आपका बीज डालना व्यर्थ है...
और अगर आपने गुरूमंत्र नही लिया है केवल पांच यज्ञ ही कर रहे हो तो ऐसा है...
जैसे खेत मे खाद पानी डाल रहे हो बीज आपने डाला ही नही तो खाद पानी डालना व्यर्थ है.. उससे घास फूस झाडिया ही उगेगी...फसल नही
जैसे खेत मे बीज और खाद पानी डालना जरूरी है, वैसे ही भगवान की पूजा भगती मे गुरूमंत्र(बीज) और पांचो यज्ञ (खाद पानी) करने जरूरी है... रामपाल जी महाराज कबीर साहेब ने ऐसे पूजा करने को कहा है.. ये गीता वेद शास्त्रो मे ऐसे ही लिखी है...
लेकिन हिन्दू धर्म के लोग इसके विपरीत कर रहे है ना तो वो गुरू बनाते है राम कृष्ण मीरा घ्रुव पहलाद सबने गुरू बनाया क्या वो पागल थे.. जिस इष्टदेव की पूजा करते है उनका मंत्र इनके पास नही है.. मंदिर की घंटी बजा कर फुल चढा कर पाच रूपये का प्रसाद बाटकर पूजा समझते है.. ओस के चाटने से प्यास नही बुझती....
रामपाल जी महाराज हमे सभी देवी देवताओ का आदर सत्कार करने को बोलते है... हम हिन्दू धर्म, वेद गीता , देवी देवताओ सबको मानते है सबका सत्कार करते हैा
जैसे पतिवर्ता औरत पूजा अपने पति की करती है बाकी देवर जेठ जेठानी देवरानी सास ससुर सबका आदर करती है.. ऐसे ही हम पूजा कबीर साहेब पूर्णब्रह्म की करते है और सभी देवी देवता ब्रह्मा विषणु शिव दुर्गा ब्रह्म परब्रह्म सबका आदर सत्कार करते है....
ये संसार एक पेड की तरह है ये संसार के लोग संसार रूपी पेड के पत्ते है ३३ करोड देवी देवता छोटी छोटी टहनिया है..आगे ब्रह्मा बिषणु शिव तीन मोटी शाखा है आगे ब्रह्म( काल) निरंजन डार है आगे परब्रह्म तना है अागे पूर्णब्रह्म (कविर्देव) कबीर साहेब संसार रूपी पेड की जड है....
संत रामपाल जी महाराज ये नही कहते कि इन टहनी पत्तो डार शाखा को काट दो मतलब इन देवी देवताओ को छोड दो.. संत रामपाल जी ये कहते है आप केवल जड मे पानी डालो मतलब पूर्णब्रह्म कबीर साहेब की पूजा करो..गीता अ०-15 श्लोक 4 मे गीता ज्ञान दाता कह रहा है मै भी उसी आदि नारायण परमेश्वर की शरण मे हुँ. उसी की पूजा करनी चाहिये.. . जड पूरे पेड का center है जड के सामने सारे टहनी पत्ते शाखा डार तना सब भिखारी है.. जड मे पानी डालने से पूरे पेड को आहार मिलेगा पूरे पेड का विकास होगा.. एक पूर्णब्रह्म के सामने सब भिखारी है एक पूर्णब्रह्म की पूजा मे सब की पूजा हो जाती है जैसे जड मे पानी डालने से पूरे पेड का विकास हो जाता है... ये साधना शास्त्रानुकूल साधना है..
कबीर - एक साधे सब सधे, सब साधे सब जावे...
माली सिंचे मूल को फले फूले अंगाहे...
लेकिन दुनिया वाले क्या कर रहे है देवी देवताओ को पूजते है ये तो ऐसे है टहनी और शाखाओ मे पानी देना... जड मूल(पूर्णब्रह्म) का लोगो को मालूम नही है.. जड को छोड टहनियो शाखाओ मे पानी दोगे तो पेड सूखेगा ही... ये शास्त्रविरूद्ध साधना है.. ये तो ओस चाटना है ओस चाटने से प्यास नही बुझती...

======== तत्वदर्शी सन्त=============
वेद गीता कुरानशरीफ बाईबल गुरुग्रंथ इन सब मे परमात्मा कबीर साहेब को पाकर सतलोक जाने की विधि नही हैा इन सब मे केवल परमात्मा और तत्वदर्शी संत की पहचान बताई हैा. क्योकि वह परमात्मा ही खुद तत्वदर्शी संत की भूमिका करने आते हैा और मोक्ष मंत्र देकर सतलोक भेजते हैा जैसे नानक जी धर्मदास जी को कबीर साहेब ने मंत्र देकर सतलोक भेजा...
गीता अध्याय 4 के 34श्लोक मे गीता ज्ञान दाता कह रहा है उस तत्वज्ञान को तू तत्वदर्शी संतो के पास जाकर समझ वह तत्वदर्शी संत तूझे उस तत्वज्ञान का उपदेश करेगे..
नोट- गीता चारो वेदो का सारांश है इससे स्पष्ट होता हैा वेद गीता मे पूर्ण परमात्मा की भक्त विधि तत्वज्ञान नही हैा वह तो कोई तत्वदर्शी संत बतायेगा..
तो वर्तमान मे तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज हैा..
कुरान शरीफ- सुरत फुरकान 25 आयत 59 मे कुरान का ज्ञान देने वाला अल्लाह कह रहा जिसने धरती और आसमान के बीच मे सब कुछ छह दिन मे पैदा किया फिर सिहासन पर जा बैठा वह अल्लाह कबीर हैा उसकी खबर किसी बाखबर ( इल्मवाले) से पूछो ...
नोट- इससे स्पष्ट होता है कुरान शरीफ मे बडे अल्लाह कबीर की पूजा विधि नही हैा उसकी जानकारी कोई बाखबर देगा.. कुरान मे नही हैा...
वह बाखबर( इल्मवाले) संत रामपाल जी है वर्तमान मे...
******* तत्वदर्शी बाखबर की पहचान**********
गीता अध्याय 15 के 1,2,3,4 श्लोक मे गीता ज्ञान दाता कह रहा है यह संसार एक के पेड की तरह है जिसकी मूल(जड) तो पूर्णपरमात्मा कही है और तीनो गुण (ब्रह्मा,विष्णु,शिव) शाखाएं कही गई है जो भी ज्ञानी इस संसार रूपी पेड के सभी छंद मतलब भागो को भिन्न भिन्न जड से पत्तो तक बता देगा वह संसार को तत्व से जानने वाला हैा मतलब तत्वदर्शी संत हैा.. उसरे पश्चात जब वह तत्वदर्शी मिल जाये उसके तत्व ज्ञान को समझ कर उस परमेश्वर की खोज करनी चाहिये जहा गये हुए साधक इस संसार मे लौटकर वापिस नही आते.. उसी आदि नारायण परमेश्वर की मै शरण हु.. केवल उसी परमेश्वर की पूजा करनी चाहिए..
***** तत्वदर्शी बाखबर संत अरबो मे एक*********

गीता मे लिखा है वह बाखर तत्वदर्शी संत का मिलना बहुत कठिन है संतो ने कहा है वह तत्वदर्शी संत करोडो मे नही बल्कि अरबो मे कोई एक मिलेगा..
सदगूरू रामपाल जी महाराज के ज्ञान से जो भी कोई परिचत हो जायेगा, उसकी जुबान पर एक ही नारा होता है.
धरती पर कही नही है ऐसा ज्ञान.. गुरू नही है विश्व मे कोई संत रामपाल के समान..
घीसासंत- साघु की फौजा फिरे, साधु ना पाया एक..
लाखो मे तो है नही, करोडो मध्य देख...
Ghisa Sant ji keh rahe h Sadhu sando ki fojh Ghum rahi h. Lekin inme ek bhi Sadhu nhi h.. kyoki in Sadhu santo ke pass Supriem God (पूर्ण ब्रह्म) ki complete worship or TatavGyan nhi h.. ye sab kaal ke lok m hi mar kar kutte gadhe bante rahege.. in pass kaal tak ki worship vidi h.. पूर्ण मोक्ष नही है इनके पास.. पूर्णब्रह्म पूर्ण मोक्ष की पूजा विधि और तत्वज्ञान बताने वाला संत तो लाखो मे नही करोडो मे कोई एक मिलेगा... आज के समय मे वो संत रामपाल जी महाराज है.. लोग पत्थर भी उसी पेड पर मारते है जिस पर फल लगते है...
गरीबदास - कोटियो मध्य है नही रे झूमकरा..
अरबो मे कोई गरक, सुनो भई झूमकरा...
Garibdas g maharaj ke Shisye ne kaha ye Gyan or ye Bhagwan humne aaj tak nhi suna..
to Garibdas g vani ke madhyam se batate h.. ye TatavGyan batane wala Sant karodo m nhi milega tujhe.. Aarbo m koi Ek Sant hoga jo ye Supriem God(पूर्ण ब्रह्म) ki real worship vidi batayega.. jisse Puran moksh hoga..
To Aaj ke time World m only Sant Rampal g Maharaj hi Wo Sant h.. jinke Pass Supriem God ki complete worship vidi h..
गीता मे लिखा है -7 के श्लोक19 मे
बहुनाम् जन्मनाम् अन्ते ज्ञानवान माम् प्रपधते,
वासुदेव: सर्वम् इति स महात्मा सुदुर्लभ:...
गीता ज्ञान दाता अर्जुन को कह रहा है....
बहुनाम् - बहुत बहुत
जन्मनाम् - जन्मो के
अन्ते - अन्त मे
ज्ञानवान - कोई ज्ञानी आत्मा
माम् - मुझे
प्रपधते - भजता है लेकिन
वासुदेव - सर्व व्यापक परमात्मा (SupriemGod) जिसका सबके उपर वास हो वासुदेव कहलाता है
सर्वम इति - वो ही सब कुछ ह़ै
स महात्मा - ये बताने वाला वह संत महात्मा
सुदुर्लभ - बडी मुश्किल से मिलेगा....
भवार्भ - मतलब दुनिया मे अधिकतर लोग भूत पितरो की पूजा करते है तीर्थो की यात्रा करके ही अपने आप को मुक्त मानते है. कुछ सन्यासी तपस्वी बैरागी योगी ये पंडित सभी ब्रहमा विषणु शिव तक की भक्ती करते है और लोगो से करवाते है.. लेकिन जो दुर्गा का पति ब्रहाा विषणु शिव का पिता है निरंजन काल वेद गीता मे जिसको ब्रह्म कहा है वो कह रहा है गीता मे अर्जुन को - हजारो मे कोई एक बहुत बहुत जन्मो के अन्त मे मेरी यानी ब्रह्म की पूजा करता है शास्त्रो को आधार मानकर ,वरना सब ब्रह्मा बिषणु शिव या नीचे के देवी देवता भूत पितरो की पूजा मे उलझे रहते है...
लेकिन वासुदेव Supriem God जो सारी दुनिया को रचने वाला है जो ब्रह्मा विषणु शिव के पिता का भी पिता है ब्रहा का भी ब्रहा है मतलब पूर्ण ब्रह्म है उसकी Complete जानकारी रखने वाला, Complete पूजा विधि बताने वाला, पूर्ण मोक्ष दिलाने वाला संत महात्मा तो बडी मुश्किल से मिलेगा...
कबीर - सिध्द तारे पिंड अपना, साघु तारे खण्ड
उसको सदगुरू जानियो, जो तार देवे ब्रह्माण्ड...
वो सतगूरू अरबो मे कोई एक मिलेगा और वो सतगुरू रामपाल जी महाराज है..
भगत समाज से हाथ जोडकर प्रार्थना है वो संत इस धरती पर आये हुए है अपने तत्वज्ञान रूपी शास्त्रो से ज्ञान को जगाने और अज्ञान रूपी अन्धेरे को मिटाने आये है वो संत रामपाल जी महाराज है.. जो लोग अज्ञान को बेच कर रोजी रोटी कमा रहे है जिन्होने अज्ञान को धंधा बनाकर रखा है. उन लोगो ने भष्ट जजो नेताओ से मिलकर मिडिया को खरीद लिया है एक साजीश के तहत रामपाल जी महाराज को झूठे आरोप लगाकर जेल मे डाल दिया है.
ये समाज के दुश्मन स्वार्थी लोग नही चाहते ये सच्चाई समाज के लोगो को पता चले.. क्योकि इन लोगो को अज्ञान का धन्धा बंद जायेगा.. इनको मानव जीवन से कोई लेना देना नही है ये हमारा इतना किमती मानव जीवन बरबाद कर रहे है.
कबीर - मानव जीवन दुर्लभ है मिले ना बारम्बार..
तरूवर से पत्ता टूट गिरे बहुर ना लगता डार..
तो संतरामपाल जी महाराज को पहचानो और नाम उपदेश लेकर अपना मानव जीवन बचा लो..
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