सोमवार, 25 जून 2018

देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कन्ध में देवी दुर्गा जी द्वारा ब्रह्मा जी को शाप देना जिससे ब्राह्मण समाज भ्रष्ट हो गया ।खुद ही पढ़े पवित्र शास्त्र को। क्लिक करे

*देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कन्ध की कथा पढ़ने से प्राप्त ज्ञान*

ब्रह्मा जी द्वारा अपने पिता ब्रह्म  के दर्शनों के लिए *तप* करने के लिए जाना असफल होकर वापस आकर अपनी माता देवी *दुर्गा जी* से झूठ बोलना और  *देवी दुर्गा जी* का ब्रह्मा जी को शाप देना कि
हे ब्रह्मा ! तेरी पूजा जग में नही होगी आगे तेरे  वंशज ब्राह्मण होंगे वे बहुत पाखंड करेंगे। झुठी बात बना कर जग को ठगेंगे।ऊपर से कर्म कांड करते दिखाई देंगे अंदर से विकार करेंगे । शास्त्रो की वास्तविकता से अपरिचित होंगे फिर भी मान वश   धन प्राप्ति के लिए गुरु बन कर अनुयायियों को शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण करेंगे और बनावटी लोक कथाये सुनाएंगे । एक परमेश्वर की पूजा छुड़वाकर मनुष्यो को तरह तरह के देवी देवताओं की पूजा पर लगा कर और दूसरों की निंदा करके  नरक का भागी बनाएंगे ।दक्षिणा के लिए जगत को गुमराह करेंगे । अपने आपको सबसे अच्छा और दूसरो को नीचा समझेंगे
 । माता जी के मुख से ये बात सुन कर ब्रह्मा जी मूर्छित होकर जमीन पर गिर गए।। बहुत समय उपरांत होश आया ।।
*उपरोक्त कथा आप देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कन्द को पढ़कर जान सकते है*  इसमे नोट करने वाली बात यह है कि *देवी दुर्गा जी का शाप खाली नही जा सकता हमे देवी दुर्गा जी पर पूरा विश्वास करके ब्राह्मणों के चंगुल से बाहर निकले और इनके  किसी भी धार्मिक तर्को पर विश्वास नही करे क्योंकि देवी जी के शाप के अनुसार आपको हानि होगी*

बुधवार, 13 जून 2018

श्री मदभागवद गीता जी में भगवान के आदेश व गुप्त रहस्य दर्शन

*श्री मदभागवद गीता जी  में भगवान के आदेश व गुप्त रहस्य दर्शन*
सदगुरुदेवयः नमः 
परमात्मने:नमः

*नोट* =★  1- ब्रह्मा जी , विष्णु जी और शिव जी  पूजा पाठ जप तप आदि से प्रसन्न होकर अपने साधको को दर्शन भी देते है और वरदान भी देते है .
2-  जब श्री कृष्ण जी के पैर में तीर लगा था और पांडव उनसे मिलने द्वारिका आये थे तब अर्जुन के एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि हे अर्जुन तेरे को गीता ज्ञान मैंने नही दिया हम से
(हम त्रिदेवो से ) ऊपर की कोई शक्ति है जिसने मुझे पूरी जिंदगी नचाया है उसी ने आपको वो ज्ञान दिया था ।
3- देवी भागवत पुराण के तीसरे स्कन्ध में  ब्रह्मा जी विष्णु जी और शिव  देवी दुर्गा जी से बात करते हुए खुद कहते है कि  ब्रह्मा जी रजगुण लीला करने वाले रजगुण देवता है ।
विष्णु जी सतोगुणी लीला करने वाले  सतोगुणी देवता है
और शिव जी तमोगुणी लीला करने वाले  तमोगुणी देवता है  और कृमशः जन्म पालन और मृत्यु का मुख्य कार्य देखने और करने वाले मुख्य अधिकारी देवता है ।
-----------------------------
गीता जी मे  कृष्ण जी योगयुक्त होते है और उनमें  उनसे ऊपर की शक्ति मृत्युलोक का स्वामी देवी दुर्गा जी का पति *ब्रह्म* उर्फ काल प्रकट होते है  और अर्जुन से वार्तालाप करते है ।
वार्तालाप के मुख्य अंश -
 हे अर्जुन ! में महाकाल हूँ यहां सभी को खाने के लिए आया हूँ ।  मैं किसी को भी नही छोड़ता सभी को खाता हूं।
 हे अर्जुन ! मैं किसी भी पूजा पाठ जप तप आदि से नही मिलता । मैं केवल अपनी मर्जी से ही किसी को मिलता हूँ ।
है अर्जुन तेरे को मैने अपनी मर्जी से स्नेहवश दर्शन दिए है

हे अर्जुन !  इस मृत्युलोक में हम दो प्रभ है ।
मैं *ब्रह्म* दूसरा *अक्षर ब्रह्म*
 किन्तु  उत्तम परमेश्वर तो *परम अक्षर ब्रह्म* है और वो सनातन लोक में रहता है ।
  हे अर्जुन परम अक्षर ब्रह्म ही  सम्पूर्ण लोको में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करता है

हे अर्जुन  यदि तू मेरी भक्ति करना चाहता है तो मेरा एकमात्र मन्त्र ओम का जाप भी कर युद्ध भी कर ।
हे अर्जुन यदि तू वास्त्व में परम शांति चाहता है तो तू भी उसी आदि नारायण अर्थात परम अक्षर ब्रह्म की शरण मे जा मैं भी उसी की शरण मे हूँ
हे अर्जुन उसकी भक्ति का मंत्र *ओम तत सत* है ।।

हे अर्जुन तू सभी धार्मिक क्रियाओ को त्यागकर इस भक्ति को प्राप्त करने के लिए तू तत्त्वदर्शी संत की खोज कर उनको दंडवत प्रणाम कर उनकी सेवा कर वो तुझे परम गोपनीय सत्य का उपदेश  करेंगे जैसा वो कहे वैसा कर ।
हे अर्जुन वो तत्त्वदर्शी संत वेदों को आधार बनाकर यह संसार रूपी पीपल के वृक्ष जिसकी मूल जड़े सनातन लोक में और  वाकी का हिस्सा मृत्युलोक में है इसकी पूरी बिस्तृत जानकारी देगा । मैं तुझको नही बता सकता ।
( वर्तमान में इस गोपनीय रहस्यो को बताने वाले व  ( *परम  अक्षर ब्रह्म की भक्ति बताने वाले एक मात्र तत्त्व दर्शी संत संत रामपाल जी ही है*)
 हे अर्जुन !  प्रकृति दो है
पहली जड़ प्रकृति । दूसरी *चेतन प्रकृति* ।
 ये  चेतन प्रकृति (अष्टांगी दुर्गा) मेरी पत्नी  पत्नी है
 और मैं इसका पति ।
हे अर्जुन ! ये त्रिगुण माया देवताओ  की उत्पत्ति
मेरी पत्नी प्रकृति से जान।
 मेरी त्रिगुण माया देवो ने मेरी विधान से तीनों लोकों में जीवो को बांध रखा है और जीवो की दुर्गति की हुई है । मैं कभी नही चाहता कि कोई भी जीव मेरे मृत्युलोम से पार चला जाये। ये मूर्ख जीव समुदाय इस बात को नही जानता ।

हे अर्जुन !  मेरी त्रिगुण माया द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है वो राक्षस स्वभाव को धारण किये हुए मनुष्यो में नीच मूर्ख अज्ञानी मनुष्य त्रिगुण देवो की भक्ति करते है किंतु मेरी नही करते ।

हे अर्जुन ! ये मूर्ख मनुष्य  पितर भूतो की पूजा करते है तो पितर भूत बन जाते है ।
देवताओ की पूजा करते है तो देवलोक स्वर्ग चले जाते है ।
और मेरी पूजा करने वाले मेरे ब्रह्म लोक जो मृत्युलोक का सबसे ऊपरी लोक है को आ जाते है । *सनातन परमेश्वर कवि: की भक्ति करने वाले सनातन लोक को जाते है*
हे अर्जुन ब्रह्मलोक तक सभी लोक अर्थात सम्पूर्ण मृत्युलोक नाशवान है ।

(अजर अमर तो केवल सनातन लोक ही है)
***************
हे मनुष्यो ! आप सभी सनातन लोक से आई सनातन जीवात्मा हो इसलिए सनातन धर्मी हो ।  सनातन लोक में हमारे सनातन परिजन हमारा इंतजार कर रहे है । सनातन परमेश्वर की भक्ति कर सनातन लोक वापस चले एक मात्र यही सनातन मूल कर्तव्य है । सनातन भक्ति बिधि प्राप्त करने के लिए सभी धार्मिक क्रियाओ को त्यागकर *सनातन सदगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की शरण मे आये* और भक्तिविधि व उपदेश प्राप्त कर सनातन लोक चलने की पूर्ण तैयारी करें।
*हे ! अर्जुन भक्ति मार्ग में इसको जानने और करने के बाद और कुछ जानना करना शेष नही रहता।*
 *प्रस्तुति ज्ञान श्रोत  साधना tv पर 7:30  pm पर परम तत्त्वदर्शी संत से प्राप्त ज्ञान आधार* 
 _सनातन भक्ति प्राप्त करने के लिए हेल्प नंबर 9996545400   9992600893*_

*नोट*  _*गीता जी मे भगवान ने अर्जुन को कहा है कि जो भी मनुष्य उपरोक्त सत्य का प्रचार करता है । वो मुझको प्रसन्न करता है।*_
इसलिये ज्यादा से ज्यादा शेयर करे लाइक करे और भगवान को प्रसन्न करे।
*धन्यवाद*