मंगलवार, 11 नवंबर 2025

श्री रामचंद जी को वनवास कब शुरू हुआ और कब 14 साल पूरे हुए जानिए यहां

 श्री राम चंद्र जी को वनवास कब शुरू हुआ और कब 14 साल पूरे हुए ?

पहली दीपावली कब मनाई गई आइए जानते है यहां ?

जो गलती आज  कलयुग का एक अच्छा पुरुष नहीं कर सकता वो एक गलती पुरुषों में श्रेष्ठ पुरुषोत्तम श्री राम कैसे कर सकते है?  आईए जानते हैं...

अध्ययन करने पर पाया गया है कि श्री राम चंद जी को वनवास चैत माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को शुरू हुआ और चैत माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को 14 साल पूरे हुए थे ,और उस अष्टमी की रात भगवान राम सीता और लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे, अयोध्या वासियों ने खुशी में दीपावली मनाई,  2 साल बाद श्री राम चंद्र ने बेकसूर पवित्र पत्नी को घर से राज्य से निकाल कर वन में छोड़ दिया। माता सीता को न तो पत्नी के अधिकार के तहत रोटी कपड़ा मकान दिया। न ही अयोध्या के नागरिक होने के नाते रोटी कपड़ा मकान दिया।  एक ऐसी सजा दी जो उन्होंने अपने जीवन काल में बड़े बड़े अपराधियों को भी नहीं दी होगी। इसके मूल कारणों को  बाल्मीकि और तुलसीदास ने विस्तार से लिखा नहीं है। लेकिन जितना लिखा है वो भी आज आम  इंसान जो अच्छाइयों से भरा हो अपने घर परिवार में पत्नी के साथ कभी नहीं करता। फिर जो इंसानी में श्रेष्ठ हो यानि पुरुषों में श्रेष्ठ हो फिर वो ऐसा कैसे कर सकता है ? लेकिन दुखद उन्होंने ऐसा करके मानवता का उच्च दर्जा को गिराया है।  उनके इस कार्य से अयोध्या की अच्छी जनता बहुत दुखी हुई और इस दुख शौक में उसने फिर कभी दीपावली नहीं मनाई। त्रेता के बाद द्वापर मे युग में भी दीपावली मनाने के कोई साक्ष्य नहीं मिलते हैं। 
कलयुग में भी गुलामी से पहले दीपावली मनाने के कोई साक्ष्य नहीं मिलते हैं। 
गुलामी के दौर में वह ज्ञान, इतिहास धूमिल हो गया। और आने वाली पीढ़ियां को वह जान इतिहास ट्रांसफर हुआ नहीं। नतीजा यह रहा कि गुलामी के समय नई पीढ़ियां ने सुनी सुनाई बातों के आधार पर , अटकलों के आधार पर, मनमाने आचरण शुरू किए। जिस कारण लोग दीपावली चैत माह में न मना कर कार्तिक माह की अमावस्या को मनाने लगे, जिस कारण संसार को लाभ के बजाय हानि होने लगी। और लोग तेजी से नास्तिक बनने लगे। जब लोग भगति साधना के नाम पर शास्त्र विरुद्ध मनमाने आचरण करती है तब दंड स्वरूप कुदरत संसार पर कहर बरसाती है। इतिहास इस बात का गवाह है। देवी भागवत पुराण में सत्य कथा आती है कि देवी दुर्गा जी ने एक गलती के आधार पर ब्रह्मा जी को शाप दिया कि तुम्हारी जग में पूजा नहीं होगी, और तुम्हारे वंशजों को भी सत्य का जान नहीं होगा ,खुद बोलकर संसार का नाश करेंगे। ब्रह्मा जी के वंशज ब्राह्मण हुए। सतयुग से लेकर आज तक ब्राह्मण देवी दुर्गा जी के शाप से शापित है । जिस कारण इनके पास वास्तविक सत्य नहीं है केवल झूठ है इनके पास। ये हृदय से भले ही बहुत अच्छे हो लेकिन शाओ के कारण ये न चाहते हुए भी अज्ञान को बढ़ावा दे रहे है और संसार का नाश कर रहे है।  गीता जी में भगवान ने कहा कि मेरी माया के अज्ञान जाल से बचाने वाला तत्वदर्शी संत अपने तत्वज्ञान से जीवो को मुक्त करता है और सत्य भरी देकर मुख धाम ,परम शांति लोक सनातन लोक को ले जाता है। तत्वदर्शी संत एक समय में एक ही होता है, वहीं सदगुरु होता है। वह सनातन लोक से आया हुआ परम शक्ति होता है। आज हमारे लिए खुश खबरी है कि आज सर्व रहस्यों को बताने वाला, अज्ञान माया को तत्वज्ञान से काटने वाला, मुक्ति देने वाला परम शांति देने वाला , सनातनलोक लेजाने वाला परम तत्वदर्शी संत रामपाल जी रूप में साक्षात् परमेश्वर कवि जी लीलाएं कर रहे हैं। सुप्रीम गॉड डॉट ओ आर जी वेबसाइट पर जाकर देखिए आगे के असंख्य रहस्य प्रमाणों सहित।। यहां तत्वज्ञान की पढ़ाई करके आप वास्तविक ज्ञानी, जानकर ,विद्वान बनोगे यह मेरी गारंटी है। साधना टीवी पर मिलिए रोज शाम 07:30 से
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(( सच्चा सनातन धर्मी की कलम से ))