गीता ज्ञान भावार्थ
सनातन परमेश्वर की भक्ति तत्त्वदर्शी संत से तीन बार में प्राप्त होती है । प्रथम बार में गुझ गायत्री मन्त्र जिसमे ब्रह्मा जी सवित्रीजी , विष्णु जी लक्ष्मी जी, शिव जी पार्वती जी , दुर्गा जी और गणेश जी के मन्त्र होते है ये हमारे शरीर के कमल चक्रों में उपस्थित होते
है इस मन्त्र से ये सभी देवता सध जाते है और इनसे ऋणमुक्ति होती है ।।
दूसरी बार में "ॐ" और "तत्" मन्त्र होता है ये सांसो में चलता है तथा तीसरा सनातन सत्य परमेश्वर का मन्तर "सत" होता है ।। इस कंपलीट कोर्स से जीवात्मा सनातन लोक को जाती है ।
वर्तमान समय में ये गुप्त साधना भक्ति एक मात्र तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी ही दे रहे है । जाओ और अपना कल्याण कराओ ।
हे मनुष्य तुम्हारी शंका समाधान हेतु बता दू की मेरी माया बड़ी दुष्कर है इसने पाखंडियो को सम्मान दिलाया है और सच्चे संतो को सच्ची बात बताने वालो को तिरस्कार करवाया है । उदाहरण देख लो गुरुनानक जी , ईसा जी ,गरीब दास जी , सुकरात जी और अब वर्तमान में संत रामपाल जी । और मेरी माया ने ही मनुषयो को मूल भक्ति से हटाकर अनेको धर्मो और पंथो में बाँट दिया है ताकि मनुष्य की मुक्ति न हो सके ।। इस सच्चाई को जानकर और तत्वदर्शी बाख़बर संत रामपाल जी से कड़वा पूर्ण ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर लेता है और उसको स्वीकार करता है वो मनुष्य मेरी त्रिगुण माया को लाँघ जाता है । ऐसे ज्ञानी जीव मुझको प्रिय है । ये ज्ञानी जीव जी विकारो को त्यागकर भक्ति करते है ।
हे मानव जैसे पुरे वर्ष न सूखने वाला बड़ा जलाशय के प्राप्त हो जाने पर छोटे तालाब में मनुष्य की जैसी आस्था रह जाती है । फिर तत्त्व दर्शी संत रामपाल जी से प्राप्त मूल ज्ञान और मूल सनातन भक्ति की प्राप्ति के पश्चात् अन्य देवताओ में आस्था रह जाती है ।
हे मानव । त्रिगुण माया देवो की भक्ति करने वाले मनुष्यो में नीच राक्षस स्वाभाव वाले दूषित कर्म करने वाले दुष्ट मनुष्य मेरी भी भक्ति नही करते वो सनातन परमेश्वर को भक्ति क्या खाक करेंगे । इनको सच बताओ तो ये सच स्वीकार नही करते और उल्टा मारने को आएंगे । और षड्यंत्र करेंगे । हे मनुष्य बाद विबाद सच और झूट में शास्त्रो को प्रमाण मानकर सच को स्वीकार करना ।। सच बहुत बड़ा है ।
हे मानव एक मात्र तत्त्वदर्शी बाखवर संत रामपाल जी ही है जो तुमको शास्त्रो से प्रमाणित कर के बता रहे है की तुम सभी जीवात्माएं सनातन लोक को छोड़कर इस मेरे मृत्युलोक में कैसे आए और कैसे मेरी माया के अधीन हुए । और अब वापस हमेशा के लिए पूर्ण मुक्त होकर सनातन लोक कैसे जाओगे । देर न करो ।। अभी उस मुक्ति दाता की शरण में जाओ ।।
(( कविराग्ने : नमः ))
सनातन परमेश्वर की भक्ति तत्त्वदर्शी संत से तीन बार में प्राप्त होती है । प्रथम बार में गुझ गायत्री मन्त्र जिसमे ब्रह्मा जी सवित्रीजी , विष्णु जी लक्ष्मी जी, शिव जी पार्वती जी , दुर्गा जी और गणेश जी के मन्त्र होते है ये हमारे शरीर के कमल चक्रों में उपस्थित होते
है इस मन्त्र से ये सभी देवता सध जाते है और इनसे ऋणमुक्ति होती है ।।
दूसरी बार में "ॐ" और "तत्" मन्त्र होता है ये सांसो में चलता है तथा तीसरा सनातन सत्य परमेश्वर का मन्तर "सत" होता है ।। इस कंपलीट कोर्स से जीवात्मा सनातन लोक को जाती है ।
वर्तमान समय में ये गुप्त साधना भक्ति एक मात्र तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी ही दे रहे है । जाओ और अपना कल्याण कराओ ।
हे मनुष्य तुम्हारी शंका समाधान हेतु बता दू की मेरी माया बड़ी दुष्कर है इसने पाखंडियो को सम्मान दिलाया है और सच्चे संतो को सच्ची बात बताने वालो को तिरस्कार करवाया है । उदाहरण देख लो गुरुनानक जी , ईसा जी ,गरीब दास जी , सुकरात जी और अब वर्तमान में संत रामपाल जी । और मेरी माया ने ही मनुषयो को मूल भक्ति से हटाकर अनेको धर्मो और पंथो में बाँट दिया है ताकि मनुष्य की मुक्ति न हो सके ।। इस सच्चाई को जानकर और तत्वदर्शी बाख़बर संत रामपाल जी से कड़वा पूर्ण ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर लेता है और उसको स्वीकार करता है वो मनुष्य मेरी त्रिगुण माया को लाँघ जाता है । ऐसे ज्ञानी जीव मुझको प्रिय है । ये ज्ञानी जीव जी विकारो को त्यागकर भक्ति करते है ।
हे मानव जैसे पुरे वर्ष न सूखने वाला बड़ा जलाशय के प्राप्त हो जाने पर छोटे तालाब में मनुष्य की जैसी आस्था रह जाती है । फिर तत्त्व दर्शी संत रामपाल जी से प्राप्त मूल ज्ञान और मूल सनातन भक्ति की प्राप्ति के पश्चात् अन्य देवताओ में आस्था रह जाती है ।
हे मानव । त्रिगुण माया देवो की भक्ति करने वाले मनुष्यो में नीच राक्षस स्वाभाव वाले दूषित कर्म करने वाले दुष्ट मनुष्य मेरी भी भक्ति नही करते वो सनातन परमेश्वर को भक्ति क्या खाक करेंगे । इनको सच बताओ तो ये सच स्वीकार नही करते और उल्टा मारने को आएंगे । और षड्यंत्र करेंगे । हे मनुष्य बाद विबाद सच और झूट में शास्त्रो को प्रमाण मानकर सच को स्वीकार करना ।। सच बहुत बड़ा है ।
हे मानव एक मात्र तत्त्वदर्शी बाखवर संत रामपाल जी ही है जो तुमको शास्त्रो से प्रमाणित कर के बता रहे है की तुम सभी जीवात्माएं सनातन लोक को छोड़कर इस मेरे मृत्युलोक में कैसे आए और कैसे मेरी माया के अधीन हुए । और अब वापस हमेशा के लिए पूर्ण मुक्त होकर सनातन लोक कैसे जाओगे । देर न करो ।। अभी उस मुक्ति दाता की शरण में जाओ ।।
(( कविराग्ने : नमः ))
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