मंगलवार, 4 सितंबर 2018

महामूर्ख जो भगवान को दुःखी करते है इनकी पहचान शास्त्रो में ये है

*महामूर्ख जो भगवान को दुःखी करते है इनकी पहचान शास्त्रो में ये है*  *:-*

 ये मूर्ख भगवान को प्रसन्न करने के लिए अपनी मर्जी से या किसी के कहने से जो कि भगवान के आदेशो के विरुद्ध होता है ऐसे कर्म कांड क्रियाये करने लगते है
 जैसे भगवान प्रत्येक मानव शरीर मे आत्मा के साथ ही रहते है
जब भी कोई व्यक्ति  मांस खाता है तो ये समझिये की वो भगवान को ही मांस खिलाता है, ऐसे ही शराब ,गुटखा, तम्बाखू , मुख से अपशब्द निकलना आदी बर्जित कार्यो को करना भी अपनी शान समझता है जिससे वो व्यक्ति प्रतिदिन भगवान का ही अपमान करता है , और अपनी मूर्ख सोच के कारण भगवान को खुश करने के लिए किसी खास अवसर पर ही इनसे कुछ समय दूर रहकर तरह तरह से दिखावी नकली पूजाए करके अपने को धार्मिक घोषित करता है, और वहम पालता है कि उसने भगवान को खुश करने के लिए बड़ी मेहनत की, जबकि सच्चाई ये है कि उसने संसार को दिखाने और अपनी मूर्खता को खुश करने के लिए सब दिखावी कर्मकांड किये और अपनी दिखाई न देने वाली मूर्खतावश प्रतिदिन भगवान को दुख दे रहा होता है , इसलिए भगवान गीता जी मे इंसान को आदेश देते है कि वास्तविक सनातन भक्ति को एक मात्र तत्त्वदर्शी संत से ग्रहण करो । वर्तमान की सभी धार्मिक क्रियाओ को त्यागकर उसकी शरण ग्रहण करो और जैसे वो बताये बैसे ही प्रत्येक स्वास में भक्ति करो, तब सम्पूर्ण देवतागण और सनातन परमेश्वर प्रसन्न होते है
*वर्तमान में एकमात्र तत्त्वदर्शी संत -  संत रामपाल जी ही है जिन्होंने वास्तविक भक्ति बताई और सनातन लोक का मार्ग प्रशस्त किया ,तथा  संसार के सभी नकली संतो की पोल भी खोली जो मूर्खतावश भगवान के आदेशों के विरुद्ध कर्म कर और करवा रहे थे जिस कारण नकलियो ने शासन और प्रशासन के साथ मिलकर   सच्चाई को दवाने  *परम संत के खिलाफ षड्यंत्र किये जो अब कोर्ट में निराधार साबित हो रहे है* 
 निवेदन सभी जगत जिबात्माओ से उठो देखो मूर्खता छोडो पहचानो परमेश्वर ने आपको सही दिशा देने अपना वास्तविक अंश संत रामपाल जी को भेज दिया है
आओ अपना कल्याण कराओ
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सौजन्य से

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