रविवार, 3 मई 2020

रहस्य जानिए, त्रिगुण, ब्रह्म, अक्षर ब्रह्म, परम अक्षर ब्रह्म, जड़ प्रकृति, चेतन प्रकृति, आदि के वास्तविक रहस्य जानकारी जानिए इस पोस्ट में

शास्त्रो में दर्ज कुछ बातो का रहस्य जानते है
#जड़_प्रकृति :- निर्जीव वस्तु :- यह वास्तब में ब्रहाण्ड में इंस्टाल विशेष प्रोग्राम सॉफ्टवेर है जिससे ब्रह्म अपने 21 ब्रह्मांडो का संचालन करता है नियंत्रित रखता है,,
#चेतन_प्रकृति :-  सजीव जिंदा मानव रूपी शक्ति :-  चेंतन का अर्थ  किसी जिंदा प्राण वाले की तरफ संकेत है, जिसका प्रयोग गीता ज्ञान प्रदाता  प्रकृति दुर्गा जी के लिए किया है , और इनको अपनी पत्नी कहा है


सम्पूर्ण मृत्युलोक में  2 शक्ति का जिक्र
#ब्रह्म :-  गीता ज्ञान दाता खुद को ब्रह्म कहता है, और खुद को जन्म व मृत्यु में होना बताता है और आगे कहता है वो खुद व उसके ब्रह्म लोक तक सभी लोक व ब्रह्माण्ड नाशवान है,  इससे मुक्त होकर अमर लोक जाने के लिए मनुष्य के लिए एक संकेत भी देताहै, इसका मृत्युलोक 21 ब्रह्माण्ड का एरिया है, इसका मन्त्र #प्रणव है

#अक्षर_ब्रह्म :-  ब्रह्म के मृत्युलोक के साथ बार्डर पर 16 शंख ब्रह्माण्ड का एरिया है, यह इससे ज्यादा शक्तिशाली है,  उम्र में इससे के गुना ज्यादा है, इसके यहां मनुष्य की आयु भी करोड़ो वर्षो की व यहां से ज्यादा सुखमय है, यह जीवो को कष्ट नही देता, लेकिन इसने भी घूमने आयी सभी जीवात्माओं को सब कुछ भुला दिया , इसका मन्त्र  #तत  है  जो गीता जि में स्पष्ट है,

#परम_अक्षर_ब्रह्म  :-  यह वास्तविक अजर अमर पूर्ण परमेश्वर , सर्व लोको व ब्रह्मांडो के रचनहार, व सबको  धारण पोषण करने वाले मूल शक्ति है,  जैसे बृक्ष की जड़ होती है जो पूरे बृक्ष को धारण पोषण करती है,  इन्होंने ही  ब्रह्म हो मृत्युलोक बनाकर दिया और उसका एडमिन भी देकर स्वामी  भगवान बना दिया,
इन्होंने ही अक्षर ब्रह्म को 16 शंख ब्रह्मांडो को बनाकर दिया व एडमिन देकर उसका स्वामी भगवान बना दिया,   अक्षर ब्रह्म को विशेष गलती के दंड में इसके सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड नाशवान बनाकर दिये जिस कारण यह मृत्युलोक कहा गया
ब्रह्म को अमर ब्रह्माण्ड जिनका कभी नाश नही होता बना कर दिये थे, लेकिन इसने भी एक विशेष गलती की थी, जिस कारण दंड स्वरूप परमेश्वर ने इसके ब्रह्मांडो की कोडिंग कमांड चेंज करते हुए सभी को नाशवान बना दिया ,  और  अजर अमर सनातन लोक के एक कोने में चारो तरफ से बन्द कर सम्पूर्ण काला अंधकारमय दुनिया को लोक कर दिया,  यहां कुछ जीवात्मायें परमेश्वर कविर के मना करने पर भी जबर्दस्ती घूमे ब इनसे मिलने आ गयी,  परम अक्षर ब्रह्म परमेश्वर कविर का मन्त्र #सत है,

 इनदोनो से सभी को सब कुछ भुलाकर बंधक बना लिया, किसी को देव किसी को दानव किसी को मानव किसी को पशु पक्षी जीवाणु आदि बनाकर अपनी इस दुनिया को सजाया,
परमेश्वर ने सनातन अजर अमर लोक से शक्ति सन्देश जैसे ब्लूटूथ ऐसे छोड़ा जो ब्रह्म के मुख से वेद रूप में निकला जिसमे सम्पूर्ण सच्चाई विस्तार से लिखी थी, और यहां के ब्रह्माण्ड, पृथ्वी आदि की भी सम्पूर्ण जानकारी थी,  सम्पूर्ण यहां का विज्ञान था जिसके प्रयोग से यहां आयी जीवात्मा मनुष्य रूप से सुख से रह सके, लेकिन इसने उसमे से बहुत इंपोर्टेंट पेज निकाल दिये, और समुद्र में छिपा दिये,  इसकी पूर्ति हेतु अब परमेश्वर ने अपनी  एक शक्ति मानव रूप #संतरामपालजीमहाराज जी को भेज दिया है,

गायत्री मन्त्र :- भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर वरेन्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात  इस वेद मन्त्र में मनुष्य की तरफ से परमेशर से प्रार्थना की गयी है की
हम जीवात्मा यहां इस अंधकारमय लोक नाशवान लोक में फंसे हुए है , हे परमेश्वर आप हम सभी पर दया करके हम सभी को अजर अमर स्व प्रकाशित लोक सनातन लोक को हमेशा के लिए ले चलिये,    परमात्मा ने यह पुकार सुनी और सन्त रामपाल जी स्वरूप में आ गये है, मूल।ज्ञान प्रदान कर मनुष्य जीव को माया से ऊपर उठा कर  #ब्रह्म_गायत्री से सुसज्जित कर  #प्रणव_तत_सत नामक  सतनाम मुक्तामणि से शक्ति सम्पन्न कर  हमेशा के लिए अजर अमर सनातन प्रकाश लोक ले जाएंगे,

#तीन_गुण_माया :-  माया का अर्थ वास्तविकता से दूर कर झूठ व अज्ञान में आधारित कर देना,  तीन अलग अलग  फ्रीक्वेंसी है जैसे रेडियो, टीवी, मोबाइल की होती है ऐसे ही,
ब्रह्म ने हर ब्रह्माण्ड में  ब्रहमा विष्णु शिव को प्रकट कर वाहा तीन लोक स्वर्ग पाताल पृथ्वी बनाकर उनका अधिपति बनाया व इनके शरीरो को नेटवर्क टावर बनाया जिनके शरीरो से यह फ्रीक्वेंसी तीनो लोको में ब्याप्त हो रही है जिसका वर्णन गीता जि में बहुत अच्छे से किया गया है

1#रजगुण  :-  देवी भागवत पुराण अनुसार ब्राह्मा जी इस गुण माया के प्रधान नेटवर्क ताबर है,

2 #रजोगुण :- देवी भागवत पुराण अनुसार विष्णु जी इस गुण माया के वाहक है

3:-  तमोगुण :-  देवी भागवत पुराण अनुसार शिव जी इस गुण माया के वाहक है,

काल/ महाकाल  : कुछ लोग शिव को कुछ लोग यमराज को काल कहते है,  लेकिन शास्त्र अनुसार शिव जी काल/ महाकाल नही है,    यह नाम प्रकृति दुर्गा के पति ब्रह्म के लिए यूज होता है क्योकि यह हर रोज 1 लाख मनुष्यो का भोगलगाता है,  और इसकी व्यवस्था दुर्गा सहित सर्व देवो।से करवाता है, इसके ही बिधान को विधि का बिधान कहते है जिसको यहां कोई भी नही टाल सकता, शास्त्र कहते है एस्सेको केवल परम अक्षर ब्रह्म कविर टाल सकते है उसकी शरण आया मनुष्य आदि जीव रक्षा पाता है मुक्त होता है

#प्रणव_तत_सत :- यह सतनाम मुक्ता मणि राम रसायन है  यह तीनो शब्द कोड वर्ड है इनके असली मतलब अलग है जिनको सद्गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी से प्राप्त कर सनातन लोक के अधिकारी बने
देखिये साधना टीवी 7:30pm रोज


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