शनिवार, 28 जनवरी 2023

Q-: क्या कबीर जी की मृत्यु हुई थी ?

🎍 *कबीर परमेश्वर निर्वाण दिवस* 🎍

Q-: क्या कबीर जी की मृत्यु हुई थी?
Ans-: नहीं! कबीर साहेब जी सन 1518 में मगहर से सशरीर अपने निजधाम सतलोक (अमरलोक) गए थे। कबीर साहेब जी ने आम जनमानस की तरह लीला की। परंतु उनकी मृत्यु आम आदमी की तरह नहीं हुई वह सशरीर गये थे। 

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, ऋग्वेदमण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 4 और ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में वर्णित लीला के अनुसार परमात्मा कबीर जी सन् 1398 में काशी के लहरतारा नामक तालाब पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुये। नीरू और नीमा नामक निसंतान जुलाहा दम्पति को मिले। परमात्मा कबीर जी के बचपन की परवरिश की लीला कुंवारी गाय के दूध से हुई। वह काशी में 120 वर्ष जुलाहे की भूमिका करते रहे और अपने सच्चे ज्ञान से लोगों को परिचित करवाते रहें। लोगों को उस समय यह भ्रम था कि जो काशी में शरीर छोड़ता है, वह सीधा स्वर्ग जाता है और जो मगहर में शरीर छोड़ता है, वह नरक जाता है। इस वजह से बहुत सारे लोग काशी में करोंत लेकर गर्दन कटवाते थे। 

गरीब, बिना भगति क्या होत है, भावैं कासी करौंत लेह। 
मिटे नहीं मन बासना, बहुबिधि भर्म संदेह।।

इस भ्रम को दूर करने के लिए परमात्मा कबीर जी अपने अंतिम समय में मगहर गए और हजारों हिंदू-मुस्लिमों के सामने सशरीर अपने निजधाम सतलोक चले गए। चादर के बीच में जिस पर कबीर परमात्मा जी लेटे हुए थे और ओढ़े हुए थे, उनके बीच मे केवल सुगंधित पुष्प मिले। जिन्हें दोनों धर्मों के अनुयायियों ने आपस में बांट लिया और कबीर साहेब के निर्वाण की लीला को गवाह के रूप में बनाये रखने के लिए वहां पर उनकी दो समाधियाँ बनाई जो आज भी विद्यमान हैं।


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