बुधवार, 20 मई 2015

अहंकार तज परमेश्वर को पहचान लो .... शिक्षा लो इस कथा से

सत साहेब जी 
कभी कभी इन्सान अपने अंहकार के वशीभूत होकर अपना बुरा और दूसरों का भला करा लेता है 
समय होता है उसके पास अगर गुरु के चरण पकड ले और क्षमा मांग ले अपने गुनाहों कि तो उसका भी भला हो सकता है और भाग जाए तो फिर अपनी हानी
सिखों के गुरु गुरु हरि क्रिष्ण राय जी महाराज जब आनंदपूर से दिल्ली के लिए चले तो उस समय सभी यात्राएं पैदल होती थी सो गुरुजी जब अंबाला के पास पहुंचे तो शाम हो चुकि थी सो भक्तों ने कहा महाराज आज यहीं विश्राम करते हैं और सुबह उठकर चलेंगे यहाँ से सो गुरुजी ने कहा कि कोई बात नहीँ यहाँ तो रुकना ही पडेगा क्यूंकि एक भक्त जो है वो बहुत दिनों से आस लगाए बैठे हैं और हमारा इंतजार कर रहे हैं तो भक्तों ने पुछा महाराज यहाँ तो कोई दिखता नही कहाँ हैं वो भगत आपका तो गुरुजी ने कहा भगतो बैठ जाओ और आगे आगे देखो होता है क्या ।
तो उस गांव मे एक पंडित जी रहते थे उन्होंने गीता का एक एक श्लोक ऐसे रट रखा था जैसे तोता बोलता है तो उसे बडा घमंड है अपने ज्ञान पर तो जब उसे पता चला कि यहाँ सिखों के गुरु आए हैं तो वो आ गया गुरुजी की परिक्षा लेने।
बोले महाराज आप हैं कौन जो इतनी उंचाई पर बैठे हो गीता का ज्ञान है आपको गुरुजी ने कहा रे भोले प्राणी पहले अपने बारे मे तो बता तु कौन है तो पंडीत बोला रे पाखंडी तुझे मालुम ना है मै फलाना पंडीत हूँ दूनीया जाणे सैं मनै तू गुरु बण्या बैठा है मनै कोनी जाणता तू बावला है के तू तो गुरुजी ने कहा भाई कोई बात नहीँ इब समझ लिया तनै इब समस्या ते बता दे के समस्या सैं भाई तू बिना कारण घणा नाराज होण लाग रहेया सैं इब पंडीत कहण लागेया भाई तनै गीता का ज्ञान सैं मै ज्ञान चर्चा करने आया हूँ ।
तो गुरुजी ने कहा तू किसका उपासक है किसकि पुजा करता है तो पंडित बोला मै क्रिष्ण का पुजारी हूँ वही मेरे सब कुछ है तो गुरुजी ने कहा पंडित जी ऐसा है मै तो इन झमेलों मे नहीं पडता तू ही कोई बंदा पकड ला अपने गांव से उससे ही तेरी चर्चा करवा देंगे अगर मैं ज्ञान चर्चा करुंगा तो तु कहेगा गुरु पुत्र है सारा ज्ञान घोट रखा है और जो मेरे भगत भाई साथ हैं ये आपसे ज्ञान चर्चा करेंगे नहीं थके हूए हैं तो तू ऐसा कर अपने गांव से कोई पकड ला
अब पंडीत ने सोचा अछा समय है गुरु को हराने का गुरु को हरा दुंगा तो मेरे नाम का और डंका बजेगा मुझे और ख्याती मीलेगी सिख लोग भी खुब इजत करेंगे सो चल पकड ला ऐसा बंदा जीसे कुछ आता नहीं जीसने कभी स्कुल न देखा हो
वो अभी गांव के बाहर ही पहुंचा था तो सामने से एक गंगू तेली नाम का आदमी सामने आ गया उसे देखते ही पंडीत ने दो फुट उंची छलांग लगाई पंडीत की खुशी का ठिकाना नहीं था बोले आज तो जीत ही जीत है गंगू गूंगा है मुह से कुछ बोलता नहीँ आज देखता हूँ गुरु को ये गुरु होता क्या है वेवकूफ बना रखा है इसने लोगों को आज नहीं छोडूंगा आज तो जीत पकी सो ले चला पंडित गंगू तेली को गुरु के पास
गुरु के पास जब पंडीत पहुंचा तो कहने लगा महाराज ये बंदा लाया हूँ इससे करवाओ मेरी ज्ञान चर्चा मै श्लोक बोलूंगा और ये उनको समझाएगा की इसका भेद क्या है ।
गुरुजी तो जाणे जाण थे सो पंडित से बोले भाई आप बैठो अभी इसे स्नान करने दो फिर करेंगे चर्चा आराम से पंडित के मन मे तो दो दो लडू फुट रहेथे कि कब हो ज्ञान चर्चा औऱ जीतकर घर जाएं
अब गुरुजी ने उस गुंगे को स्नान करवाया और दोनो को अपने सामने बिठा लीया एक छडी लेकर गुरुजी ने गुंगे के सीर पर मारी और पंडित से कहा कि अब पुछो जो पुछना है बस पंडित जी हो गए शुरु एक श्लोक सुनाया और उसका उतर देने को कहा जैसे ही पंडीत ने श्लोक खत्म किया गंगू तेली फटाफट करने लगा आंसर पंडित ये देखकर पागल हो गया की ये तो जन्मजात गूंगा था ये बोला कैसे उसे सारे श्लोक ही भुल गए तो गंगू ने कहा पंडित जी अगला श्लोक बोलो पर पंडित चूप कुछ ना सुझा परेशानहो गया माथा पिटने लगा और गंगू श्लोक पर श्लोक सुनाए जा रहा था एक से एक अब पंडित ने देखा ये तो मामला ही उल्ट हो गया इससे पहले की और बेइजती हो तू खिसक जा बची हुई इजत बचा ले बाबा वर्ना लोग जूते मारेंगे और ये सोचकर भाग खडा हुआ और गंगू तेली गुरुजी के चरणों मे गीर पडा महाराज कहाँ थे आप आज तक आंखे भी पथरा गई महाराज आपने क्रिपा करी दाता सब कुछ याद आ गई गंगू तेली को पिछले जन्मो की । गंगू तेली रो रोकर गुरु के चरणो को धो रहे थे औऱ पंडीत भाग खडा हुआ सो गुरुजी ने संगत से कहा भगत जनो ये मेरा भक्त था इसके लीए रुकना पडा यहाँ पर तो ऐसे होते हैं महापुरुष अगर पंडित माफी मांग लेता चरणो मे गीर जाता तो उसका भी कल्याणहो जाता पर मान बडाई के चकर मे भाग गया तो पुण्य आत्माओं ऐसे महापुरुष जहाँ मील जाएं उनके चरण धोकर पि लो सारे ब्रम्हांड के रास्ते खुल जाएंगे आपके लीए ।
सत साहेब जी
जय हो गुरुदेव जी की

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