गुरुवार, 3 सितंबर 2015

सनातन धर्म क्या है - तनिक विचारें

Sant Rampal ji Maharaj 

सनातन धर्म क्या है?हम आज बहुत गर्व से राम-कथा में अथवा भागवत-कथामें, कथा के अंत में कहते हैं ,बोलिए — सत्य सनातन धर्मं कि !!जय !तनिक विचारें ? सनातन का क्या अर्थ है ?सनातन अर्थात जो सदा से है . जो सदा रहेगा ,जिसका अंत नहीं है , वही सनातनहै , जिसका कोईआरंभ नहीं है वही सनातन है , और सत्य मैं केवलहमारा धर्मं ही केवल सनातन है, यीशु से पहलेईसाईमत नहीं था , मुहम्मद से पहले इस्लाम मत नहीं था |केवल सनातन धर्मं ही सदा से है , सृष्टि आरंभ से |किन्तु ऐसा क्या है हिंदू धर्मं में जो सदा से है ?श्री कृष्ण कि भगवत कथा श्री कृष्ण के जन्म से पहलेनहीं थी अर्थात कृष्ण भक्ति सनातन नहीं है |श्री राम की रामायण , तथा रामचरितमानस भीश्री राम जन्म से पहले नहीं थी तो अर्थात , श्रीराम भक्ति भी सनातन नहीं है |श्री लक्ष्मी भी ,(यदि प्रचलित सत्य-असत्य कथाओके अनुसार भी सोचें तो) ,तो समुद्र मंथन से पहले नहींथी ,अर्थात लक्ष्मी पूजन भी सनातन नहीं है |गणेश जन्म से पूर्व गणेश का कोई अस्तित्व नहीं था ,तो गणपति पूजन भी सनातन नहीं है |शिव पुराण के अनुसार शिव ने विष्णुव् ब्रह्मा कोबनाया तो विष्णु भक्तिव् ब्रह्मा भक्ति सनातननहीं, विष्णु पुराण के अनुसार विष्णु नेशिव औरब्रह्मा को बनाया तो शिव भक्ति और ब्रह्माभक्ति सनातन नहीं,ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु और शिव कोबनाया तो विष्णु भक्ति और शिव भक्ति सनातननहीं |देवी पुराण के अनुसार देवी ने ब्रह्मा, विष्णु और शिवको बनाया तो यहाँ से तीनो कि भक्ति सनातननहीं रही |यहाँ तनिक विचारें ये सभी ग्रन्थएक दुसरे से बिलकुलउलट बात कर रहे हैं, तो इनमे से अधिक से अधिक एकही सत्य हो सकता है बाकि झूठ , लेकिन फिर भीसब हिंदू इन चारो ग्रंथो को सही मानते हैं ,अहो! दुर्भाग्य !!फिर ऐसा सनातन क्या है ? जिसका हम जयघोषकरते हैं?वो सत्य सनातन है परमात्मा कि वाणी !आप किसी मुस्लमान से पूछिए , परमात्मा ने ज्ञानकहाँ दिया है ?वो कहेगा कुरान मैं |आप किसी ईसाई से पूछिए परमात्मा ने ज्ञान कहाँदिया है ?वो कहेगा बाईबल मैं |लेकिन आप हिंदू से पूछिए परमात्मा नेमनुष्य कोज्ञान कहाँ दिया है ?हिंदू निरुतर हो जाएगा |आज दिग्भ्रमित हिंदू ये भी नहीं बता सकता किपरमात्मा ने ज्ञान कहाँ दियाहै ?आधे से अधिक हिंदू तो केवल हनुमान चालीसा में हीदम तोड़ देते हैं | जो कुछ धार्मिक होते हैं वो गीताका नाम ले देंगे, किन्तु भूल जाते हैं कि गीता तोयोगीश्वर श्री कृष्ण देकर गएहैं परमात्मा का ज्ञानतो उस से पहले भी होगा या नहीं , अर्थात वोज्ञान जो श्री कृष्ण , सांदीपनी मुनि के आश्रम मेंपढ़े थे .?जो कुछ अधिक ज्ञानी होंगे वो उपनिषद कह देंगे,परुन्तु उपनिषद तो ऋषियों कि वाणी है न किपरमात्मा की …|तो परमात्मा का ज्ञान कहाँ है ?वेद !! जो स्वयं परमात्मा कि वाणी है ,उसकाअधिकांश हिन्दुओ को केवल नाम हीपता है |वेद परमात्मा ने मनुष्यों को सृष्टि के प्रारंभ में दिए |जैसे कहा जाता है कि ” गुरु बिना ज्ञान नहीं “, तोसंसार का आदि गुरु कौन था? वो परमात्मा ही था| उस परमपिता परमात्मा ने ही सब मनुष्यों केकल्याण के लिए वेदों का प्रकाश , सृष्टि आरंभ मेंकिया |जैसे जब हम नया मोबाइल लाते हैं तो साथ में एकगाइड मिलती है , कि इसे यहाँ पर रखें , इस प्रकार सेवरतें , अमुक स्थान पर न ले जायें, अमुक चीज़ के साथ नरखें, आदि …उसी प्रकार जब उस परमपिता ने हमे ये मानव तन दिए, तथा ये संपूर्ण सृष्टि हमे रच कर दी , तब क्या उसनेहमे यूं ही बिना किसी ज्ञान व् बिना किसीनिर्देशों के भटकने को छोड़ दिया ?जी नहीं , उसने हमे साथ में एक गाइड दी, कि इससृष्टि को कैसे वर्तें, क्या करें, ये तन से क्या करें, इसेकहाँ लेकर जायें, मन से क्या विचारें, नेत्रों से क्यादेखें , कानो से क्या सुनें , हाथो से क्या करें ,आदि |उसी का नाम वेद है | वेद का अर्थ है ज्ञान |परमात्मा के उस ज्ञान को आज हमने लगभग भुलादिया है |वेदों में क्या है?वेदों में कोई कथा कहानी नहीं है | न तो कृष्ण कि नराम कि , वेद मे तो ज्ञान है |मैं कौन हूँ? मुझमे ऐसा क्या है जिसमे मैं कि भावनाहै ?मेरे हाथ , मेरे पैर , मेरा सर , मेरा शरीर ,पर मैं कौन हूँ?मैं कहाँ से आया हूँ? मेरा तन तो यहीं रहेगा , तो मैंकहाँ जाऊंगा | परमात्मा क्या करता है ?मैं यहाँ क्या करूँ? मेरा लक्ष्य क्या है ? मुझे यहाँ क्यूँभेजा गया ?इन सबका उत्तर तो केवल वेदों में ही मिलेगा |रामायण व् भगवत व् महाभारत आदि तो इतिहासिकघटनाएं है , जिनसे हमे सीख लेनी चाहिए और इन जैसेमहापुरुषों के दिखाए सन्मार्ग पर चलना चाहिए |लेकिन उनको ही सब कुछ मान लेना , और जो स्वयंपरमात्मा का ज्ञान है उसकी अवहेलना करना ठीक नहीं।इस से आगे अगली बार | धन्यवाद शेयर करेँ

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