*भक्ति के नाम पर भोली भाली जीवात्मा भगवान के आदेशों के विरुद्ध यानी शास्त्र विरुद्ध मनमाना आचरण कर* *महादोषी* , *भगवान के अपमानकर्ता* , *महापापी* *पुण्यो का नाश करने वाले* बन जाते है और मनुष्य जीवन रूपी अनमोल समय व पुण्यो का नाश करके नरकगामी व 84 लाख शरीरो में असंख्य समय कष्ट भोगते है ।
*भगवान शास्त्रो में कहता है सभी जीब माया द्वारा भ्रमित है और उसी को सच मान जीवन बर्वाद कर रहे है । *परम तत्व दर्शी संत बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है वो शास्त्रो को आधार बनाकर अज्ञान को काटता है और मृत्युलोक से मुक्ति का सनातन लोक की प्राप्ति का भक्ति बिधि प्रदान करता है ।
*उस तत्व दर्शी संत का शिष्य सर्व देव शक्तियों को साध कर उनसे ऋण मुक्ति का सर्टिफिकेट ले कर सनातन लोक को जाता है
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