शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

ये कैसी सभ्यता

डिस्कवरी पर एक प्रोग्राम देखा था.. 

जिसमे अमेरिका के कुछ लोग कुछ आदिवासियों को जंगल से लाकर यहाँ शहर की चकाचौंध और रंगीनियाँ दिखा कर उनको इम्प्रेस करने की कोशिश करते हैं..

न लोगों के साथ घुमते हुवे एक आदिवासी बड़ी बड़ी बिल्डिंग्स देखता है और इतने सारे घर.. वो बड़ा खुश होता है.. फिर वो देखता है की रोड किनारे भी लोग हैं जो भीख मांगते हैं और रात को रेन बसेरे में रात बिताते हैं..
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वो उन कार्यक्रम बनाने वालों से पूछता है कि “ये सब लोग बाहर क्यूँ पड़े हैं.. जबकि आपके पास इतने सारे घर हैं शहर में?
संयोजक जवाब देता है “जो घर आप देख रहे हैं वो इन सबके नहीं हैं.. वो दुसरे लोगों के हैं”
आदिवासी पूछता है “मगर वो सारे घर तो खाली थे.. उनमे कोई नहीं रहता?”
संयोजक बोलता है “वो अमीर लोगों के घर हैं.. यहाँ लोगों के पास कई कई घर होते हैं.. लोग पैसा इन्वेस्ट करने के लिए घर खरीद लेते हैं.. मगर वो खाली पड़े रहते हैं”
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आदिवासी कहता है “ये किस तरह की सभ्यता है आपकी.. किसी के घर खाली पड़े हैं और लोग सड़कों पर रह रहे हैं.. जबकि पूरी उम्र आपको रहने के लिए सिर्फ एक घर ही चाहिए.. आप अपने अतिरिक्त घर अपनी और नस्लों को क्यूँ नहीं दे देते हैं? उन घरों का करियेगा क्या आप?”
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फिर वो आगे बोलता है “हमारे जंगल में जब कोई नवयुवक शादी करता है तो हम सारे गाँव वाले मिलके उसके लिए घर बनाते हैं.. अपने हाथ से उसका छप्पर बनाते हैं और छाते हैं.. ऐसे हम एक दुसरे के लिए अपने हाथों से घर बनाते हैं और घर बसाते हैं”
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इस बात को सुनकर कार्यक्रम वाले शर्मिंदा हो जाते हैं और उन्हें समझ आता है कि जिस सभ्यता की डींग मारने के लिए वो इन आदिवासियों को लाये इन्होने हमारे सभ्य होने का भ्रम चकनाचूर कर दिया एक इतने सीधे और भोले सवाल से.. और समझा दिया कि दरअसल हमारी सभ्यता, सभ्यता है ही नहीं.. अपनी ही नस्लों का शोषण है बस.

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