शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2015

benifit of turmeric

benifit of turmeric 

एक सर्वज्ञात मसाला हल्दी न केवल खाने में लज्जत और स्वाद देती है वरन यह एक आयुर्वेदिक औषधि भी है। नानी, दादी के फर्स्टएड बॉक्स में यह मुख्य स्थान रखती है।
यह निम्न तरीकों से उपयोग में लाई जा सकती है-
एक गिलास गर्म मीठे दूध में एक चम्मच हल्दी पावडर मिलाकर पीने से शरीर की अंदरूनी चोट ठीक होती है।
हल्दी मिला मीठा गर्म दूध सुबह-शाम लगातार पाँच दिन तक पीने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।
एक चुटकी हल्दी प्रतिदिन लेने से भूख बढ़ती है। इसका सेवन करने से आँतों में भी लाभ पहुँचता है।
हल्दी त्वचा के परजीवी जीवाणुओं को नष्ट करती है।
हल्दी की गाँठ को पानी के साथ पीसकर लेप तैयार करें और इसका उबटन नहाने से पूर्व लगा लें। एक हफ्ते में आपको त्वचा में निखार लगेगा।
थोड़ी-सी हल्दी में पिसा हुआ कपूर, थोड़ा-सा सरसों का तेल मिलाकर लेप तैयार करने से त्वचा पर होने वाले रोग दूर हो जाते हैं।
दानेदार पिसी हल्दी को ताजी मलाई में भिगोकर चेहरे एवं हाथों पर लगाएँ। सूखने पर रगड़कर निकाल दें। गुनगुने पानी से चेहरा साफ करें। त्वचा खिल उठेगी।
बेसन में सरसों का तेल, हल्दी व पानी मिलाकर गाढ़ा लेप तैयार करें। इस घोल को चेहरे व पूरे शरीर पर अच्छी तरह लगाकर सूखने पर निकाल दें। त्वचा चमकदार हो जाएगी।
मासिक के समय पेट दर्द के वक्त गरम पानी के साथ हल्दी की फँकी लेने से रक्त प्रवाह ठीक होता है और दर्द से राहत मिलती है।
छोटे बच्चों को खाँसी-जुकाम होने पर आधा कप पानी में आधा छोटा चम्मच हल्दी पावडर, थोड़ा-सा गुड़, अजवाइन, एक लौंग मिलाकर उबालें। अच्छी तरह उबल जाने पर छानकर गुनगुना-सा हो तब चम्मच से पिला दें। बच्चे को न केवल सर्दी-जुकाम से राहत मिलेगी, बल्कि पेट में यदि कब्ज होगा तो वह भी ठीक हो जाएगा।
मैथी दाने और हल्दी का काढ़ा भी मासिक साफ होने के लिए लिया जा सकता है।
सूजन पर हल्दी व चूने का लेप करने से सूजन उतर जाता है।
बुजुर्गों का कहना है कि बगैर हल्दी का खाना अपशगुन होता है। दरअसल ऐसा उसके औषधीय गुणों की ही वजह से कहा जाता है।
हल्दी एक प्रिजरवेटिव का ही काम करती है, इसीलिए अचार के मसाले का अभिन्न अंग है।
नवजात शिशु को दिए जाने वाले 'घसारा' अर्थात 'घुट्टी' में आंबा हल्दी भी उसके आयुर्वेदिक गुणों की वजह से ही दी जाती है।
तेज जुकाम होने पर हल्दी की धूनी अर्थात गरम जलते कंडे पर हल्दी जलाकर उससे उठने वाले धुएँ को सूँघने से सर्दी-जुकाम से राहत मिलती है।
कहा जाता है कि एक चम्मच हल्दी प्रतिदिन सेवन करने से भूख बढ़ती है। अमाशय एवं आँतों की सफाई होती है।
कटने या लगने पर रक्तस्राव को रोकने के लिए भी शुद्ध हल्दी पावडर चोट पर लगाया जाता है, जिससे रक्तस्राव तुरंत रुक जाता है।
हल्दी एक अच्छा एंटीसेप्टिक एवं एंटीबायोटिक है, जिसका उल्लेख आयुर्वेद में भी किया गया है।
इस तरह से हमारे घर के रसोईघर में बैठा चिकित्सक हल्दी कई स्वास्थ्य समस्याओं की प्राथमिक चिकित्सा में हमारी मदद करता है। हल्दी हमेशा शुद्ध लें एवं जहाँ तक संभव हो, घर में तैयार करें तो ठीक रहेगा, क्योंकि वह जल्दी असर करेगी। बाजार में उपलब्ध पावडर में रंग मिलने होने की संभावनाएँ होती हैं, जबकि हल्दी स्वयं एक प्राकृतिक रंग है, जो हमारे भोजन को रंगत देती है, स्वाद और खुशबू देती है, जिसके प्रभाव से व्यंजन लज्जतदार लगता है। आयुर्वेद में इसीलिए हल्दी एक महत्वपूर्ण तत्व है।

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