बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

कौन हैं संत रामपाल जी महाराज तथा इनके जनकल्याण के क्या उद्देश्य हैं?

✴️ प्रश्न-: कौन हैं संत रामपाल जी महाराज तथा इनके जनकल्याण के क्या उद्देश्य हैं? ✴️

उत्तर-: सर्वप्रथम हम आपको बताना चाहेंगे कि, संत रामपाल जी महाराज कौन है? 
दोस्तों वैसे तो दुनिया में करोड़ों संतों की भरमार है।  किंतु इन संतो में सच्चा संत अर्थात तत्वदर्शी संत कौन है?
 इसकी पहचान कर पाना बहुत ही आसान है। पवित्र श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 15 के श्लोक 1–4 में वर्णित है जो संसार रूपी उल्टे लटके हुए वृक्ष को सवेदवित जड़ से लेकर तने तक प्रमाण सहित बता देता है। वह तत्वदर्शी संत है। वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज जी ही शास्त्रों को खोलकर प्रमाण दिखा रहे हैं। अर्थात इससे स्पष्ट है। कि संत रामपाल जी महाराज ही वह सच्चे संत अर्थात तत्वदर्शी संत है।

दोस्तों संत रामपाल जी महाराज जी एक ऐसे संत है जो समाज को सतभक्ति प्रदान कर रहे हैं। तथा उन सच्चे मंत्रों का जाप बता रहे हैं। जो आज से पहले जिन महापुरुषों को स्वयं परमात्मा मिले हैं । जैसे नानक देव जी,आदरणीय गरीबदास जी महाराज जी, आदरणीय रामानंद जी, मलूक दास जी, घीसा दास जी इत्यादि, इन मंत्रों का स्वयं जाप करते थे।  संत रामपाल जी महाराज का उद्देश्य है। जनता को सुखी करना तथा अपने परमधाम सतलोक पहुंचाना। इसके साथ-साथ समाज में फैली पाखंडवाद, कुरीतियां, नशा, चोरी जारी, मांस भक्षण, रिश्वतखोरी इत्यादि को जड़ से समाप्त करना चाहते हैं और इसी के लिए संत रामपाल जी महाराज दिन-रात संघर्ष कर रहे हैं। 

प्रश्न-: संत रामपाल जी महाराज  ने समाज के लिए कौन-कौन से कार्य किए तथा संत रामपाल जी महाराज  को ही गुरु बनाना क्यों आवश्यक है?

उत्तर-:संत रामपाल जी महाराज जी ने अपना सब कुछ जनता के लिए न्योछावर कर दिया उन्होंने घर, बाल परिवार, नौकरी इत्यादि को छोड़ा। जनता को सुखी करने के लिए तथा सत भक्ति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संत रामपाल जी महाराज  ने जन जन तक काफी वर्षों तक पैदल यात्रा से ज्ञान का प्रचार करते रहे। आज वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी के करोड़ों अनुयाई हो चुके हैं। कारण यही है। कि संत रामपाल जी महाराज जी शास्त्रों के अनुसार सत भक्ति प्रदान कर रहे हैं। और उनके द्वारा सद्भक्ति से लोगों को अनगिनत लाभ हो रहे हैं। कैंसर से कैंसर लाइलाज जैसी बीमारी भी ठीक हो रही है। आज लोग नशे, चोरी जारी, रिश्वतखोरी, मांस भक्षण इत्यादि से मुक्त होकर एक सच्चे परमात्मा की भक्ति कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में आज रक्तदान का शिविर भी जगह जगह लगाया जाता है। लोग संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान से प्रेरित होकर रक्तदान भी करते हैं । यहां तक की देहदान भी करते हैं। लाखों-करोड़ों बेटियां आज दहेज के कारण मारी जा रही हैं। उन्हें गर्भ में ही मार दिया जाता है। संसार को देख नहीं पाती ऐसी स्थिति में संत रामपाल जी महाराज जी ने बेटियों के लिए दहेज मुक्त विवाह का प्रावधान किया है। जिसमें आज उनके अनुयाई किसी भी प्रकार का दहेज नहीं लेते हैं। आज बेटियां स्वच्छ जीवन जी रही हैं।

दोस्तों वैसे तो दुनिया में बहुत से अधिक संत हैं । 
किंतु बात यहां यह है कि संत रामपाल जी महाराज जी को ही गुरु क्यों बनाए? 
जैसा कि उपर्युक्त में विवरण दिया है कि जो सच्चे संत होते हैं अर्थात तत्वदर्शी संत होते हैं वह सवेदवित प्रमाण सहित शास्त्रों के अनुसार ज्ञान देते है।

आदरणीय गरीबदास जी महाराज जी ने कहा है–
”सतगुरु के लक्षण कहूं, मधूरे बैन विनोद।
चार वेद षट शास्त्र, कहै अठारा बोध।।“
अर्थात् सतगुरु गरीबदास जी महाराज अपनी वाणी में पूर्ण संत की पहचान बता रहे हैं कि, वह चारों वेदों, छः शास्त्रों, अठारह पुराणों आदि सभी ग्रंथों का पूर्ण जानकार होगा। अर्थात् उनका सार निकाल कर बताएगा।
 
आदरणीय कबीर साहिब जी ने सतगुरु के लक्षण बताएं हैं–
"जो मम संत सत उपदेश दृढ़ावै(बतावै), वाके संग सभि राड़ बढ़ावै।
या सब संत महंतन की करणी, धर्मदास मैं तो से वर्णी।।"
अर्थात् कबीर साहेब जी अपने प्रिय शिष्य धर्मदास जी को इस वाणी में समझा रहे हैं कि, जो मेरा संत सत भक्ति मार्ग को बताएगा उसके साथ सभी संत व महंत झगड़ा करेंगे। ये उसकी पहचान होगी।

इस प्रकार दोस्तों संत रामपाल जी महाराज जी ही वह संत है। जिन पर उपर्युक्त वाणी खरी खरी उतरती है। अब आसानी से सच्चे सतगुरु की पहचान कर पाना संभव है। तो कह सकते हैं कि, संत रामपाल जी महाराज जी को ही गुरु अवश्य बनाना चाहिए। जिससे हम सच्चे मंत्रों का जाप कर सकें, और अपने निज स्थान सतलोक जा सके। संतमत में जिस दिन गुरु से दीक्षा प्राप्त होती है । वही हमारा असली जन्म अर्थात अध्यात्मिक जन्म माना जाता है। संत रामपाल जी महाराज जी को 37 वर्ष की आयु में फाल्गुन महीने की अमावस्या की रात्रि में 17 फरवरी 1988 को नाम दीक्षा प्राप्त हुई । जिसके फलस्वरूप 17 फरवरी को बोध दिवस के रूप में मनाते हैं। इस बोध दिवस के उपलक्ष में आपको सच्चे और तत्वदर्शी संत साथ ही सतगुरु की पहचान बता दी गई हैं। जिससे आप पहचान कर संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा अवश्य ले, और अपने मनुष्य जीवन को सफल बनाएं।

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