बुधवार, 15 फ़रवरी 2023

प्रश्न :- वर्तमान में पूर्ण सच्चा सतगुरु कौन है?

प्रश्न :-  वर्तमान में पूर्ण सच्चा सतगुरु कौन है? 
प्रश्न :-  वर्तमान में वास्तविक तत्त्वदर्शी सन्त कौन है? 

उत्तर:- पूर्ण सतगुरु मिलना आसान नहीं है। और हर कोई सतगुरु, धर्मगुरु, पूर्ण संत नहीं हो सकता। सतगुरु का शाब्दिक अर्थ है। एक सच्चा (सतगुरु) संत ( अर्थात जो भगवान का अवतार है और जो आज तक अनकही सच्चाई को धार्मिक ग्रंथों के आधार पर प्रमाण सहित प्रकट करता है। वह सतगुरु कहलाता है।

 सतगुरु की पहचान उसके ज्ञान से होती है। यदि उनका ज्ञान शास्त्रों द्वारा प्रमाणित है, तभी वह सतगुरु है। वह पूजा का सच्चा मार्ग प्रदान करता है। और सभी को सभी तरह की बुराइयों को त्यागने की शिक्षा देता है। और उन्हें मोक्ष प्राप्त करने के लिए भक्ति के सच्चे मंत्र देकर सही मार्ग पर ले जाता है।

प्रश्न:- पूर्ण सतगुरु का क्या महत्व है?
उत्तर:-कबीर, गुरु बिन माला फेरते, गुरु बिन देते दान।
गुरु बिन दोनों निष्फल हैं, चाहे पूछो वेद पुराण।।

एक पूर्ण संत सतभक्ति प्रदान करता है। जिसे करने से मनुष्य परम शांति प्राप्त कर सकता है। सतगुरु द्वारा बताई गई साधना, करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। एक पूर्ण संत द्वारा दी गई आध्यात्मिक शिक्षाओं का पालन करने के बाद मनुष्य का जन्म-मृत्यु और पुनर्जन्म का रोग हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।  सतगुरु हमें सभी पवित्र शास्त्रों से पूर्ण ज्ञान प्रमाण के साथ बताते हैं। मानव जीवन का उद्देश्य केवल सतभक्ति कर मोक्ष प्राप्त करना है। 

प्रश्न:-मनुष्य को पूर्ण गुरु की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:-मानव जीवन का प्राथमिक और परम उद्देश्य ईश्वर को प्राप्त करना है। और केवल एक सतगुरु अर्थात पूर्ण संत के पास ही यह गुण होता है। जिससे वह अपने भक्तों का उद्धार कर सकते हैं। इसलिए पूर्ण गुरु की आवश्यकता सभी को होती है। लोगों के जीवन में समय असमय बहुत सारे कष्ट आते रहते हैं। और वे हमेशा उनसे बाहर आने की कोशिश में लगे रहते हैं।  सभी दुखों से मुक्ति पाने का एक ही उपाय है कि, किसी तत्वज्ञानी संत की शरण ग्रहण कर सतभक्ति की जाए।

प्रश्न:-सतभक्ति का क्या उद्देश्य है?

उत्तर:-आज मानव जीवन में जो कुछ भी प्राप्त हो रहा है। वह पूर्व जन्मों में किए कर्मों का संग्रह है। यदि वर्तमान समय में सच्ची पूजा और शुभ कर्म नहीं किया गया तो, आने वाला जीवन नरक बन जाएगा। 
सत भक्ति करने के  लाभ इस प्रकार भी है:-

जो सतभक्ति करता है वह भगवान को प्राप्त करता है।

(1)सतभक्ति करने से भक्त की आत्मा निर्मल हो जाती है और पाप कर्म भी सतभक्ति करने से कटते हैं।

(2)सतभक्ति साधक के जीवन में आर्थिक, मानसिक और भौतिक सुख प्रदान करती है।

(3)सतभक्ति करने से घातक रोग भी ठीक होते  हैं।

(4)सतभक्ति में भाग्य को बदलने की शक्ति होती है।

संत रामपालजी महाराज एकमात्र ऐसे संत है। जिन्होंने दहेज़ मुक्त, नशा मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, व्याभिचार मुक्त समाज का निर्माण करते हुए सत्ज्ञान की सुगंध को पूरे विश्व में फ़ैलाने का बीड़ा उठाया है। पूरे विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज जी जगत के तारणहार एवं पूर्ण सतगुरु हैं।

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