रविवार, 20 मार्च 2016

मूल मंत्र रहस्य 1

'धरती पर स्वर्ग' पुस्तक के पृष्ठ नं 190 पर पढे़ -- बीबी रक्खी जी जो समाधिस्थ अवस्था मे नरक पहुँच गई थी, स्वयं सावन सिंह जी महाराज जी को बता रही है कि नरक मे ये पाँच नाम का सिमरन काम नही कर रहा |
पुण्यात्माओ विचार करें -- 
कबीर साहेब कहते है --
कच्ची सरसो पेल कर , खल होया न तेल ||
कबीर साहेब ने मोक्ष मार्ग को अपने एक दोहे मे समेट दिया है|---
जप मरे अजपा मरे, अनहद भी मर जाय।
सुरत समानी शब्द में, ताहि काल नहीं खाय ।।
कबीर साहेब कहते है कि ब्रह्मरन्ध्र पर नीचे के 5 कमलो के 5 जप मंत्र निष्प्रभावी हो जाते है, और अजपा जाप(सतनाम, जो दो मंत्र का है,जिसे साँसो की माला पे जपा जाता है, इसलिये इसे अजपा जाप कहते है ) ब्रह्म एवम् परब्रह्म के लोक पार करते ही निष्प्रभावी हो जाते है| इसके बाद महासुन्न में अनहद धुन भी बंद हो जाती है, इस महासुन्न को सारनाम(सारशब्द) से पारकरते है| यहाँ से आगे मकरतार की डोरी प्रारंभ होती है जिसे सारशब्द से पार करके सतलोक मे प्रवेश करते है| यहाँ काल से पूर्णतया मुक्ति मिल जाती है|
नानक जी ने भी लिखा है ---
१ऊँ सतनाम करतापुरख ---
पूर्ण परमात्मा का नाम ऊँ तत् सत् है| तत् और सत् गुप्त है| इसे
ही गुरबाणी मे नानक जी ने तत् को सतनाम से और सत् को करतापुरख से अंकित किया है| वास्तविक मंत्र अन्य है | ये code word है |
जैसे नानक जी अपनी वाणियो मे "१ऊँ सतनाम करतापुरख निरभय निरवैर अकालमूर्त अजुनी सैभं" लिखा है , यहां १ लगाकर उसी एक परमात्मा के गुणो का वर्णन किया गया है कि
१ पूर्ण परमात्मा( जिसका सांकेतिक नाम "ऊँ तत् सत् " या "ऊँ सतनाम करतापुरख" या "अन् सिन कॉफ" है) ही निरभय , निरवैर,अकालमुर्त, अजुनी, सैभं(स्वयंभू )है|
जैसे नानक जी ने लिखा है -
सोई गुरू पूरा कहावे, दो अक्षर का भेद बताये|
एक छुड़ावे एक लखावे तो प्राणी निज घर को पावे||
जे तू पढया पंडित बिन अक्षर दुय नावां|
प्रणवत नानक एक लंघाय जेकर सच समावां||
और कबीर साहेब ने लिखा है-
कह कबीर दो अक्षर भाख, होगा खसम तो लेगा राख||
ये वाणियां 'ऊँ+ तत् ' के लिये है जो अजपा जाप की ओर इशारा है|
फिर लिखा है-
वेद कतेब सिमृत सभ सासत इन पढया मुक्त न होई|
एक अक्षर जो गुरमुख जापे तिस की निर्मल सोई||
ये वाणी सत् या करतापुरख के लिये लिखी है | जो सारनाम ( सारशब्द) की ओर संकेत है| वास्तविक मंत्र अन्य है|
इस प्रकार वेदो और कबीर साहेब ने अपनी वाणियो मे लिखा है कि पूर्ण गुरू तीन बार मे सतलोक जाने के मंत्र का भेद बताता है , शिष्य के नाम कमाई के हिसाब से और गुणो के आधार पर आगे के वास्तविक मंत्रो को उजागर करता है|
प्रथम बार मे शरीर के पांच कमलो के मंत्र दिये जाते है|
रामकली महला ३ अनंदु --
वाजे पंच सबद तितु घरि सभागे|| घरि सभागै सबद वाजे कला जितु घरि
धारीआ|| पंच दूत तुधु वसि कीते कालु कंटकु मारिआ|| धुरि करमि पाइआ तुधु जिन कउ सि नामि हरि कै लागे||
कहै नानकु तह सुखु होआ तितु घरि अनहद वाजे|| ५||
ये शब्द भी बताता है कि प्रथम मंत्र के पांच नाम , शरीर मे स्थित पांच दूतो ( गणेश, ब्रह्मा , विष्णु, शिव, दुर्गा )के है |
इसके बाद अजपा जाप और अंत मे साधक की कमाई को देखकर सारनाम (सारशब्द ) का भेद खोला जाता है |



साधना टीवी रोज शाम 7:30 pmबजे से देखे
श्रद्धा टीवी पर रोज दोपहर बाद 2:30pm पर देखे
Visit करे www.supremegod.org 
              सम्पूर्ण गहरी जानकारी के लिए मुझे क्लिक करे

घर बैठे फ्री पुस्तक मंगाए और सम्पूर्ण धार्मिक सच्चा ज्ञान जाने
इस लिंक पर जाये और फ्री ऑर्डर दर्ज कर्व आपके घर तक बिल्जुल फ्री में पुस्तक पहुंचाई जायेगी :- लिंक :- 👉 फ्री बुक ऑर्डर यहां करे 👈



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें