रविवार, 20 मार्च 2016

सदगुरुदेव का सन्देश भक्तो+ के लिए

सदगुरुदेव का सन्देश भक्तो+ के लिए 

एक भक्त ने सतगुरु देव जी से पूछा की हे परमात्मा आपजी कह रहे हो की कलयुग के इस समय में मैं अरबो खरबो मेरी हंस आत्माओ को सतलोक लेकर जाऊंगा। हे मालिक आप जो कह रहे हो तो सत्य ही होगा लेकिन मुझ तुच्छ जीव् की बुद्दी घनी छोटी है आप खुल कर बताये मेरे दाता।
क्योंकि आप कह रहे हो यदि ये सत्यनाम मिलने के बाद यदि जीव् की एक स्वास् भी नाम के बिना खाली जाती है तो इसका मोक्ष नहीं हो सकता है।
हे मालिक इस काल लोक में यम के कर्म दंड से भयभीत जीव् कैसे 24 घंटे इस नाम का सुमरिन कर सकता है।कभी ये रोग ग्रस्त रहता है सैकड़ो तरह की इसको टेंसन लगी रहती है सुख और शांति आज के प्राणी को स्वपन में भी नहीं ह।
इस शरीर में काल भगवान् ने टट्टी पेशाब हाड मॉस खून लार थूक आदि घृणित पदार्थ रुपी कचरा भर रखा है।कभी इस मंद बुद्दी प्राणी को घर परिवार की चिंता तो कभी समाज व् रिस्तेदारी की यहाँ कभी सूखा अकाल पड़ जाये कभी अति वृष्टि तो कभी बाढ़ व् भूकंप में मरने की चिंता। हे दाता अब आपही बताये।तब परमात्मा बोले भाई ये मेरा काम है कैसे इस जीव् को भक्ति करवाऊंगा और कैसे काल के कर्म दंड कटवाकर इसे भक्ति से युक्त करवाकर सतलोक लेकर जाऊंगा।
परमात्मा बोले भाई इस वक़्त जो पुण्यात्माये मेरी शरण में है वे मेरी विशेष विशेष कृपा पात्र है। मै युगों युगों से इनको भक्ति करवाता हुवा इनको इस समय यहाँ इस मोक्ष के कालीन समय तक लाया है भाई पार तो इनको मै पहले भी कर देता क्योंकि मुझसे इनका दुःख देखा नहीं जाता है लेकिन काल को दिए वचन के आधार से मुझे इनको इस समय ही पार करना है।आज मेरे बच्चों की युगों युगों की भक्ति इनके साथ है उसके बाद तरह तरह के अनेक धार्मिक अनुष्ठान सेवा सुमरिन दान आदि करवाकर इनको भक्ति से इतना प्रबल कर दूंगा, आज तो ये इतने भक्ति हीन है की काल का नाम सुनते ही इनको पसीने आ जाते है लेकिन जब भक्ति से युक्त होकर जब मेरे साथ चलेंगे तो काल भी इनको अपने सामने देखते ही अपना शीश झुक देगा क्योंकि काल तभी अपना शीश झुकाएगा जब उससे प्रबल भक्ति सामने वाले में होती है।
और रही बात इनमे भक्ति प्रवेश करने की....
तो मालिक बोले भाई..
जैसे हाड़ मॉस की देह में अमृत दूध सरवंत -
और गरीब दास इस देह में यूँ मिले भगवंत।
जैसे एक पशु के शरीर में मल मूत्र हाड़ मॉस आदि होते हुए भी उसमे से अमृत रुपी दूध मेरी रजा से उत्पन हो जाता है ठीक इसी तरह इस मानव मानव शरीर में मेरी दया से, जो सतनाम मन्त्र मै दूंगा फिर उसके जाप से वो भक्ति रुपी बच्चा बनना शुरू हो जायेगा। फिर ऐसे इस शरीर से भक्ति करवाकर इस जीव् को सतलोक भेजूंगा।
विशेष चिंतन करने योग्य बाते
पुण्यात्माओं आज परमेश्वर ने हमारे लिए मोक्ष के सारे द्वार खोल दिए है और सतगुरु देव जी ने कहा है बच्चों चाहे तुम भक्ति कम कर लेना लेकिन मर्यादा का विशेस ध्यान रखना और ये काल भी यही चाहता है की एक बार ये जीव् अपने गुरु (नाम) से दूर हो जाये फिर मै इसको देख लूंगा।
सतगुरु देव जी बोले बच्चों तुम कैसे भी सुख दुःख में मेरे ऊपर विश्वास करने इस नाम पर लगे रहना। किसी के कहने से विचलित ना होना।
आज आपने ये भक्ति रुपी पौधा लगाया ह दो चार वर्ष का समय दो इस भक्ति रुपी पोधे की दान सुमरिन सेवा से इसकी खूब अच्छी तरह से सिचाई करो फिर देखना इतने फल लगा दूंगा जब तक यहाँ रहोगे कभी ख़त्म नहीं होंगे।
एक समय सतगुरु देव जी ने कहा था बच्चों तुम विस्वास के साथ इस मार्ग पर अडिग रहना आगे आने वाला समय केवल तुम्हारा ही होगा भगवान् अपने बच्चों को इतने सुख देगा की वे जिस गाव नगर सहर में रहेंगे उनके अलग ही मकान छाँट देगा मालिक। और सतगुरु देव जी कह रहे थे बच्चों आने वाले समय मे भगवान् आपको इतने सुख देगा की संसार के प्राणी भी तुम्हारे सुखो को देखकर यहाँ बरवाला में नाम लेने के लिए आया करेंगे।
एक समय मैं (दास) अपने किसी मुसलमान भाई के यहाँ बैठा हुवा था उनकी कुरआन सरीफ को लेकर चर्चा हो रही थी उनकी बातो में मुझे अपना कबीर भगवान् नजर आ रहा था।
वो मुसलमान भाई दुसरे को कह रहा था कुरान में एक जगह लिखा है ... की वो सबका परवरदिगार अल्लहा अपने बच्चों के हर घोर से घोर गुनाहो को भी माफ़ कर देता है केवल एक गुनाह को छोड़कर, और वो गुनाह ये है यदि तूने मुझे छोड़कर जिस दिन एक सेकंड के लिए भी किसी अन्य ( देव या फरिस्ते) को पूज लिया या अपनी आस्था उसमे बनाली तो मै उसी क्षण से तुझ से दूर हो जाऊंगा।
उनकी ये बात सुनकर मुझे बड़ी खुसी हुई और सतगुरु देव जी की वाणी याद आई .. सो वर्ष तो सतगुरु की पूजा और एक 6दिन आन उपासी।
वो अपराधी आत्मा फिर पड़ै काल की फ़ासी।।
मैने मन ही मन सोचा इनकी आस्था कितनी मजबूत है परमात्मा में।और जिस दिन इनको ये मालूम पड़ जायेगा की हमारे उस अल्लाह का पैगम्बर संत रामपाल जी महाराज के रूप में आ चुका है तो भाई ये लोग तो आस्था के इतने पक्के है मालिक के बच्चों की बाढ़ सी आ जायेगी।
मालिक कहते है ।
सो छल छिद्र मै करू अपने जन के काज । हिरणाकुश उदर विदारिया
और नरसिंग धरलु साज ।।
एक समय आश्रम में एक 80 साल की माई बिहार से सत्संग सुनने आई हुई थी। और वो बड़ी तल्लीनता से परमात्मा के सत्संग सुन रही थी। एक भक्तिमति ने माई से पूछा माई मै पढ़ी लिखी हु लेकिन बिहार की भाषा इतनी नहीं समझ सकती क्या आपकोे हरियाणवी भाषा में सतगुरु देव जी के सत्संग समझ में आ जाते है।
माई प्यार से है मुस्काते हुए बोली बेटी .. कौन कहता है गुरूजी हरियाणवी में सत्संग कर रहे है गुरूजी तो बिहारी में और वो भी हमारे गाव की भाषा में सत्संग सुना रहे है। ये सुनते ही भक्तमति सन्न रह गई।
ऐसे ही एक भक्त ने बताया की शुरूआती दिनों में जब गुरूजी को नाम दान देने का आदेश हो चूका था। एक समय गुरूजी आश्रम में सबको सत्संग के बाद आशीर्वाद दे रहे थे। वही लाइन में सतगुरु देव जी के (काल लोक के) पिताजी भी आशीर्वाद के लिए लाइन में खड़े थे जब गुरूजी ने आशीर्वाद के लिए उनकी तरफ हाथ उठाया तो वे पिच्छे हट गए और बोले भाई मै तू तो मेरा बेटा है मै बेटे से आशीर्वाद कैसे लू। अचानक गुरूजी का शरीर जमीन पर गिरा और और उसी जगह जहा पहले गुरूजी खड़े थे कबीर साहेब दिखाई दिए केवल उन्ही को। और कबीर साहेब बोले भाई यदि बेटा चाहिए तो निचे से उठा लो जो मरा हुवा है और यदि भगवान् चाहिए तो आशीर्वाद लेलो। तब तुरंत उन्होंने आशीर्वाद ले लिया।
हम रोज सन्ध्या आरती में सुनते है की ... तेरा रामपाल अज्ञान किया सतलोक का वासी।
अर्थात सतगुरु देव जी की आत्मा तो सतलोक में पूर्ण आंनद ले रही है यहाँ उनके चोले में स्वयं कबीर साहेब विराजमान है।
एक भक्त को सतगुरु देव जी ने आशीर्वाद के महत्व को समझाया की तुम इस आशीर्वाद को सामान्य मत समझना और एक मजबूरी या रूटीन मानकर लाइन में मत लगा करो।
इस आशीर्वाद में इतनी पॉवर है की सिर्फ एक बार ही भैंसे को दिया था मालिक ने. उसी समय उसने इंसानी भाषा में वेदों का मन्त्र ही नहीं बल्कि उनका शुध्द हिन्दि भाषा में अनुवाद भी करके सुनाया और आगे के जन्म में उसी आशीर्वाद से वह मानव जन्म लेकर अब इस समय भक्ति भी कर रहा है।
इसलिए भक्तो हमने सतगुरु देव जी की किसी भी लीला या बात पर बात पर शंका तक नहीं करनी है।
कहते है साधू बोलै सहज सुभाव और जो चाहवै सो करदे।
सतगुर जो चाहवै सो करदे भ्रम पड़ो मत कोई ।
सेउ धड़ पै शीश चढ़ाया पाछै करी रसोई।।

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