शुक्रवार, 20 मई 2016

झूठी शानो शौकत मानव सभ्यता पर कलंक

सत् साहेब।।
सभी भाई बहनो, बुजुर्गो व् माताओ से प्रार्थना है इस सन्देश को ध्यान से पढ़े व् परमात्मा की दी हुई बुद्दी से विचार करे की आज हम व्यर्थ की परम्पराओ में, लोकलाज में, व् समाज को दिखाने की झूठी शानो शौकत में इतने उलझ चुके है की आज हमें ना चाहते हुए भी विवाह शादी में इतने सारे फिजूल के खर्चे करने पड़ते है ताकि कल को हमें कोई ताने ना मारे,
लेकिन हम तत्त्वज्ञान व् परमात्मा की दी हुई बुद्दी से सोचेंगे तो पाएंगे की, शादी में फिजूल खर्च जैसे, घोड़ी,बैंड बाजा,कई तरह की मीठी व् चटपटी रसोई, भात, मेल, तिलक, टिका, लगन, आदि अनेको ऐसी परम्पराये है जिनका हमारे प्रमाणित सद्ग्रंथो पवित्र गीता जी, व् वेदों में कही भी कोई जिक्र नहीं है।
विचार करने की बात है। जब ब्रह्मा विष्णु महेश जी की शादी हुई तब उसमे नाही तो कोई बैंड बजाने वाला था, नाही कोई रसोई बनाई गई थी, नाही कोई भात भरने वाला था, नाही कोई बाराती थे। सागर मंथन में तीन कन्याए सावित्री, लक्ष्मी व् उमा निकली और तीनो देवताओ की माता दुर्गा जी ने ब्रह्मा जी को सावित्री, विष्णु जी को लक्ष्मी व् शंकर जी को उमा देकर कहा, बेटा जावो और अपना घर बसाओ।
यहाँ विचार करने की बात है क्या आज हम तीनो देवताओ ब्रह्मा विष्णु महेश जी से भी बड़े हो गए है जो इतनी सारी परम्पराओ में उलझकर बेटी को अपनी दुश्मन बना लिया है इस परम्पराओ के चक्कर में बेटी का होना भी दुःख मान लिया है जबकि बेटी साक्षात् लक्ष्मी का रूप होती है
सतयुग में ऐसा कोई भी आडम्बर नहीं हुआ करता था। लेकिन समय के साथ साथ कुछ धनवान लोगो व् राजाओ ने अपनी मान बड़ाई व् दिखावे के चक्कर में ये सब करना शुरू कर दिया अब कोई गरीब की बेटी जब उन धनवानों की शादी में जाती और देखती की उसके पिता ने उसकी शादी में इतने सुन्दर सुन्दर बेस दिए है इतने महंगे गहने दिए है इतना सामान दिया है और साथ में काफी पैसे भी दिए है, ये सब देखकर उस गरीब की लड़की की भी इच्छा होती थी की मेरी शादी में भी मेरा पिता मुझे वही सब कुछ दे जो उस धनवान पिता ने अपनी पुत्री को दिया है।
जब गरीब की लड़की शादी के लायक होती थी तो उस गरीब को चिंता सताने लग जाती थी की यदि मैंने भी अपनी बेटी की शादी में थोडा बहुत उस धनवान पिता की पुत्री जैसा नहीं किया तो मेरी बेटी की आत्मा बहुत दुखी होगी, ऐसा सोचकर वह गरीब आदमी, की कही मेरी बेटी की आत्मा दुखी ना हो उसने किसी से कर्जा लेना शुरू कर दिया या अपनी जमीन जायदाद सेठ साहूकारों के यहाँ गिरवी रखने लग गए, और उन साहूकारों का पैसा चुकाने के चक्कर में दिन रात चिंतित रहता और पैसा नहीं चुकाने पर उसे अपनी जमीन अंत में बेचनी पड़ती थी। धीरे धीरे आगे चलकर विवाह शादी में इतना खर्चा व् लोक दिखावा करना एक परंपरा बन गई जो आज एक आम व् गरीब आदमी के लिए जी का जंजाल बन गई है।
आज संत रामपाल जी महाराज जी के तत्त्वज्ञान की रौशनी में पता चला की ये सब कर्म काण्ड कभी पैसे वाले लोगो ने दिखावे के लिए शुरू किये थे जिस कारन आज ये परम्पराये बन गई है और अंदर ही अंदर समाज को खोखला कर दिया है आज जिस पिता के 2, 4 बेटियां है उनकी परवरिश व् आगे चलकर शादी की चिंता में वह रात दिन चिंतित रहता है।
लेकिन आज हम सब शिक्षित है और संत रामपाल जी महाराज के प्रवचन सुनकर सब समझ में आ चुका है की ये सभी व्यर्थ की परम्पराये एक हँसते खेलते परिवार में जहर घोल रही है
आज यहाँ आप सभी के सामने परम संत सद्गुरु रामपाल जी महाराज जी के आशिर्वाद से मात्र 16 मिनट में साधारण तरीके से इन दोनों बच्चों की रमैनी सम्पन्न होने जा रही है। जिसमे नाही कोई भाती होंगे, नाही बाराती होंगे ना घोड़ी ना बैंड बाजे होंगे, नाही कोई लेन देन (दहेज) होगा और नाही कोई 56 भोग होंगे केवल सादा भंडारा ( सब्जी पूरी ) होगा।
संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से इस तरह की शादिया आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान साबित होंगी, पिता अपनी पुत्री की शादी में दहेज देने की चिंता छोड़कर उसे अच्छी शिक्षा दिया करेगा जिससे दो परिवारो का भला होगा।
आज बिना ज्ञान के दहेज के चक्कर में बेटियो को जिन्दा जला दिया जाता है उन्हें घर से बाहर निकाल दिया जाता है तरह तरह की घोर यातनाये ससुराल वालो की तरफ से दी जाती है ये सब बंद होगी। यदि लड़की ससुराल में सुखी रहेगी तो लड़की के माता पिता भी सुखी रहेंगे।
पढ़ी लिखी लड़की अपने बच्चों को भी शिक्षित व् संस्कारी बनाएगी, जिससे एक परिवार सुधरेगा, एक परिवार से धीरे धीरे समाज सुधरेगा फिर समाज से एक दिन देश सुधरेगा, और उन व्यक्तियों के नाम इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरो में लिखे जायेंगे जो आज इस शुरुआत में अपना योगदान दे रहे है।
विचार करे जिस गरीब बाप के 5 लडकिया है पहले तो उन 5 लड़कियो की शादी करने के लिए कर्जा लेकर सारी जिंदगी वो बाप परेशान रहता है बाप के मरने के बाद उन 5 लड़कियो के भात छूछक व् अन्य परम्पराओ में उनका भाई सारी जिंदगी परेशान रहता है। और कर्जा ले लेकर अपनी सात पीढ़ियों को परेशानी में डाल जाते है।
आज तो सरकार ने भी इन व्यर्थ की परम्पराओ से निजात दिलाने के लिए कोर्ट मैरिज शुरू कर दी है जिसमे लड़का लड़की के अलावा दो गवाह होते है इसके अलावा ना घोड़ी ना बाजा ना भाती ना बाराती और नाही समाज का दुश्मन दहेज कुछ भी नहीं होता है।
आप सभी समाज के शिक्षित भाई बहनो व् बुजर्गो से पुन हाथ जोड़कर निवेदन है अपने बच्चों के सुखद जीवन व् सफल विवाह के लिए किसी समय अपनी शानो शौकत व् मान बड़ाई के लिए उन धनवानों के द्वारा समाज में चलाई गई इन फिजूल की कुरूतियों से बाहर निकल कर आज रमैनी जैसे आदर्श विवाह को अपनाकर अपने बच्चों के भविष्य में खुशियो के बीज बोये।
आज कहने की जरुरत नहीं है आप स्वयं अपनी अंतरात्मा से सोचे की आपने अपने बच्चों की शादियों में कितना पैसा पानी की तरह व्यर्थ बहाकर आज कर्जे की आफत मोल लिए बैठे है और मांगने वालो के दस ताने सुनने पड़ते है।
आपजियो से निवेदन है परम संत सद्गुरु रामपाल जी महाराज के सत्संग सुनिए उनपर कुछ विचार अमल कीजिये और उनसे नाम उपदेश लेकर अर्थात सतभक्ति अपनाकर इन सभी दुखो से निजात पाइए।

सम्पूर्ण मृत्युलोक में केवल संत रामपाल जी ही है जो  असली  मूल सनातन भक्ति बिधि व मर्यादा प्रदान कर अपने शिष्य को सनातन लोक का अधिकारी बनाते है , इस मृत्युलोक का स्वामी ब्रह्म मायापति नही चाहता कि कोई भी जीव को सच्चाई का पता चले, कोई भी माया से ऊपर उठे , इसलिए वो सच्चे संतो औऱ उसके सच्चे ज्ञान को फैलने से रोकता है , लेकिन इस बार परमेश्वर कवीर संत रामपाल जी रूप में विशेष तैयारी के साथ आये है वो शरण आये जीवों की परीक्षा भी लेंगे और भ्रष्ट मीडिया ,भ्रष्ट जजो, भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों , भ्रष्ट नेताओं , और भ्रष्ट दयानंद के चेलों की चांडाल चौकड़ी को इन्ही के दाव पेचो में उलझा कर पटकी देंगे , और संसार को नकलियो से भ्रष्टों से और ब्रह्म मायापति से मुक्त कराएंगे ,,
हे जीवात्माओं आपसे निवेदन है कृपया रोज शाम को साधना टीवी पर 7:30 बजे से (भारतीय समयानुसार )   सत्संग अर्थात भक्ति की सच्चाई जाने सबूतों के साथ,  जो अनेको सबूतों को देखकर  भी नही मानेगा वो वास्तव गीताजी नुसार महा मूर्ख है, वो अनंत काल तक मृत्युलोक में 84 लाख प्रकार की योनियो शरीरो में कष्ट भोगेंगे,

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सत् साहेब।।

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