शनिवार, 21 मई 2016

उस सच्चे संत को खोज लो जो सच्ची सच्ची बात बतावे - निरंकारी बाबा हरदेव जी

पूर्ण सच्चे संत की पहचान जो सच्ची सच्ची बात बतावे 


पूर्ण सन्त की पहचान व उसके लक्षण हमारे सद्ग्रन्थों में लिखे हुए है जी...पूर्ण सन्त की पहचान के लिए आप सभी सन्तों के ज्ञान का अध्ययन करिये..क्योंकि ज्ञान से ही सन्त की पहचान होगी। जो सन्त शास्त्रानुकूल ज्ञान देता है वह पूर्ण ज्ञानी सन्त होगा और जो सन्त शास्त्रों के विपरीत ज्ञान बताता है अर्थात् सिलेबस(शास्त्रों) के बाहर जाकर ज्ञान देता है वह नकली और अज्ञानी है।
आपजी सभी धर्मगुरुओं की किताबों का तुलनात्मक अध्ययन करिये। उनके प्रवचन सुन कर खुद समझिये कि इन धर्म गुरूओं द्वारा कही जा रही बातो का उल्लेख किसी धर्म शाश्त्र में है या कि नहीं है। जहा पर इन धर्म गुरूओ का ज्ञान समझ मे ना आये तब इनसे प्रश्न करिये और बार बार प्रश्न करिये। इस तरह सच्चाई का पता अपने आप चल जायेगा।
कबीर भेष देख मत भूलिये, बूझ लीजिये ज्ञान।
बिना कसौटी होत नहीं, कंचन की पहिचान।।
विश्व मे तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज ही ऐसे सन्त है जो हमारे सदग्रन्थो में से प्रमाण सहित ज्ञान को निकाल निकाल कर समझाते है.. पर दुर्भाग्य की बात है कि उनको षड्यंत्र के तहत जेल मे डाला गया है। आप अगर सदग्रन्थों का निष्कर्ष समझना चाहते है तो आप तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज के अमृत वचनो को 'साधना टीवी पर शाम 7 बजकर 40 से 8 बजकर 40 मिनट' तक सुने, साथ में कापी कलम लेकर बैठे। वह जो भी प्रमाण जिस दिन भी दिखाये उन प्रमाणो को नोट करे। तत्पश्चात उन प्रमाणो का मिलान अपने ग्रन्थो से करे। इस तरह शास्त्रों में स्थित ज्ञान को आसानी से समझ सकते है। जहा पर समझ मे ना आते हो तब सन्त रामपाल जी महाराज के अनुयायियों से अपनी जिज्ञासा का समाधान जरूर करे जी।
ज्ञान गंगा को पढे..यदि आपके ज्ञान समझ मे आये तब आप जरूर उपदेश ले। पूरे विश्व मे सन्त रामपाल जी महाराज ही ऐसे सन्त है जो हमेशा ही प्रत्येक बात का जबाव विस्तार से देते है व जिज्ञासुओ की प्रत्येक शंका का समाधान करते है।
आज लाखों करोडो की संख्या में दूसरे सभी पंथो व संतो से लोग जुडे हुए है। कारण यह है कि अभी जनता को सन्त रामपाल जी महाराज और उनके तत्वज्ञान के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है इस कारण वह अपने-अपने गुरुओं को ही पूर्ण सन्त मानकर पूज रहे है...और ऐसा आध्यात्मिक नियम भी है कि गुरु बनाने के बाद अपने गुरु में पूर्ण विश्वास रखे...इसी बात का सभी नकली सन्त महन्त धर्मगुरु फायदे उठाते है। जिस प्रकार शेर और गधे की पहचान उनकी बोली से होती है उसी प्रकार पूर्ण सन्त की पहचान उसकी बोली से अर्थात् उसके ज्ञान से होगी।
जब तक किसी व्यक्ति के पास पिछली सत साधना के फलस्वरूप पुण्य कर्म होते है तो वह वर्तमान में सत साधना ना करने पर भी पिछले पुण्यों का भोग भोगता है और वह सोचता है कि यह लाभ मुझे अपने गुरु द्वारा बतायी हुई साधना से मिला है लेकिन जब पिछले साधना वाले पुण्य समाप्त हो जाते है और पाप कर्म उदय होते है तब आपत्तियाँ आनी शुरु होती है तब उनके गुरु द्वारा बताई भक्ति से कोई बचाव नहीं हो पाता है...क्योंकि पापकर्म काटने वाली भक्ति(सतनाम व सारनाम) सिर्फ पूर्ण सन्त ही बता सकता है...अन्य सन्तों के पास यह विधि नहीं होती। पूर्ण सन्त ही अपने शिष्यों के पापकर्म काटकर उनके प्रारब्ध में आने वाले दुखो को दूर करता है और सुख व पूर्ण मोक्ष देता है। इसलिए पूर्ण सन्त की पहचान कर नाम उपदेश लेकर अपना कल्याण करवाओ।
jagatgururampalji.org

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