शनिवार, 21 मई 2016

सनातन धर्मियों सुनो कैसा है हमारा शाश्वत स्थान लोक अमरलोक कविराग्निः की कविर्गिर्भी में अर्थात अमरलोक कबीर परमेश्वर की वाणी मे

सनातन धर्मियों सुनो कैसा है हमारा शाश्वत स्थान लोक अमरलोक कविराग्निः की कविर्गिर्भी में अर्थात अमरलोक कबीर परमेश्वर की वाणी मे

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चल देखो देश हमारा रे, जहाँ कोटि पदम उजियारा रे, 🏃
🏃 देखो देश हमारा रे,जहाँ उजल भँवर गुंजारा रे, 🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ चवंर सुहगंम डारा रे, 🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ चन्द्र सूरज नहीं तारा रे, 🏃
चल देखो देश हमारा रे, नहीं धर अम्बर कैनारा रे,🌎 🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ अनन्त फूल गुलजारा रे, 🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ भाटी चवै कलारा रे, 🏃
चल देखो देश हमारा रे, जहाँ धूमत है मतवारा रे,🚁 
रे मन कीजै दारमदारा रे तुझे ले छोडूं दरबारा रे,
फिर वापिस ना ही आवे रे सतगुरु सब नाँच मिटावै रे, 🏃
चल अजब नगर विश्रामा रे, तुम छोड़ो देना बाना रे, 🏃
चल देखो देश अमानी रे, जहाँ कुछ पावक ना पानीरे,🚣 🏃
चल देखो देश अमानी रे, जहाँ झलकै बारा बानी रे, 🏃
चल अक्षर धाम चलाऊं रे, मैं अवगत पंथ लखाऊं रे,
कर मकरतार पियाना रे, क्यों शब्दै शब्द समाना रे,🌞 🌳
जहाँ झिलझिल दरिया नागर रे, जहाँ हंस रहे सुखसागर रे, जहाँ अनहद नाद बजन्ता रे, जहाँ कुछ आदि नहीं अन्ता रे,💥 🌿जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे,त जहाँ हंस रहे सुख तीरा रे, 🌲जहाँ अजब हिरम्बर हीरा रे, जहाँ यम दण्ड नहीं दुख पीडा रे ..आदरणीय गरीब दासजी महाराज परमेश्वर कबीर साहिब जी को सतलोक में आँखों देख कर बता रहे हैं 
🏃चल देखो देश अमानी रे मैं तो सतगुरु पर कुर्बानी रे, 🏃चल देखो देश बिलन्दा रे, जहाँ बसे कबीरा जिन्दा रे,🌳 🏃चल देखो देश अगाहा रे, जहाँ बसे कबीर जुलाहा रे🏤 🏃चल देखो देश अमोली रे, जहाँ बसे कबीरा कोली रे 🏃
चल देखो देश अमाना रे, जहाँ बुने कबीरा ताना रे,🏇 🏃
चल अवगत नगर निबासा रे, जहाँ नहीं मन माया का बासा रे 🏃चल देखो देश अगाहा रे, जह बसै कबीर जुलाहा रे.. .
हे मालिक आपके चरणों में कोटि कोटि दण्डवत् प्रमाण, ऐसा निर्मल ग्यान देने के लिए...
ऐसा निर्मल ग्यान है जो निर्मल करे शरीर,
और ग्यान मण्डलीक कहै ये चकवै ग्यान कबीर। 
और ग्यान सब ग्यानडी कबीर ग्यान सो ग्यान,
जैसे गोला तोब का अब करता चलै मैदान।
और संत सब कूप है, केते झरिया नीर,
दादू अगम अपार है ये दरिया सत् कबीर
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