मंगलवार, 3 मई 2016

breaking news 2016 - जय गुरुदेव पन्थ के हजारो भगत ले चुके हैं अन्न त्याग का दृढ़ संकल्प - क्यों ???

जय गुरुदेव पन्थ के हजारो भगत ले चुके हैं अन्न त्याग का दृढ़ संकल्प।



========================================




जय गुरु देव पंथ के मुखी बाबा तुलसी दास साहेब ने जब से इस बात की भविष्यवाणी की कि वह सन्त जिसकी अध्यक्षता मे सतयुग जैसा माहौल कलयुग मे आयेगा उसका जन्म हो चुका है। तब से जयगुरुदेव पंथ के अधिकांश अनुयायी उस सन्त की खोज मे रात दिन लगे रहते है।

आपको यह जानकर आश्चर्य भले ही हो पर यह सत्य है। जय गुरुदेव पंथ के हजारों भगतो ने उस सन्त की खोज के पूरे होने तक अन्न का त्याग कर रखा है।

बाबा जय गुरु देव के समर्थको द्वारा बार बार यह प्रश्न किये जाने पर कि बाबा आप कहते रहते है सतयुग आयेगा कलयुग जायेगा पर अभी तक सतयुग जैसा माहौल उत्पन्न नही हुआ है अपितु घोर कलयुग आता जा रहा है तब स॔गत के बार बार आग्रह करने पर
बाबा जय गुरुदेव ने 7 सितम्बर 1971 को इस बहुचर्चित प्रश्न पर पटाक्षेप करते हुये उदघोषित किया कि उनकी अगुवाई मे सतयुग जैसा माहौल नही आयेगा अपितु वह सन्त कोई और है
बाबा जयगुरुदेव के मुख से ऐसा वक्तव्य सुनकर बाबा जयगुरुदेव के सभी अनुयायियों को विस्मय भरा घोर आश्चर्य हुआ ।तब उन सभी अनुयायियों ने उन सन्त के बारे मे और ज्यादा जानकारी जाननी चाही तब जयगुरुदेव ने 7 सितम्बर 1971 को बताया कि आज वह सन्त पूरे वीस वर्ष का हो चुका है।
जय गुरुदेव के उक्त वचन के अनुसार उस सन्त की जन्म तिथि 8 सितम्बर 1951 बनती है।क्योंकि 7 सितम्बर 1971 को उन सन्त जी ने पूरे 20 वर्ष पूर्ण किये थे।
जयगुरुदेव के जीवित रहते ही इस बिषय पर मन्थन शुरु हो गया था कि वह सन्त कौन है जिनकी जन्मतिथि 8 सितम्बर 1971 है।इसी क्रम मे बाबा जयगुरुदेव के कुछ 8 सितम्बर 1971 को जन्मे व कुछ 7 सितम्बर 1971 को जन्मे 11 अनुयायियों ने वह सन्त होने का दावा ठोंका जिसे बाबा जयगुरुदेव ने रिजेक्ट कर दिया था
उसके बाद अनेको भगत यह दावा ठोंकते रहे पर बाबा जयगुरुदेव ने सभी दावे निरस्त करते हुये यहाँ तक कह दिया था कि उनके शिष्यों मे कोई भी वह सन्त नही है।इसके बाद सन 1981 की गुरुपूर्णिमा पर भी बाबा जयगुरुदेव ने उन सन्त का पुनः जिक्र किया।और ठोंककर कर कहा कि वह सन्त 30 वर्ष का होने जा रहा है
इसके वाबजूद भी जयगुरुदेव पंथ के कई अनुयायियों ने अपने मत से अनेक सन्त मत चला रखे है ज्ञात हो कि बाबा जयगुरुदेव ने मृत्यु पर्यन्त किसी को भी अपना उत्तराधिकारी नही बनाया था।फिर भी बाबा जयगुरुदेव के अनेकानेक अनुयायियी साम दाम दन्ड भेद के सिद्धान्त की आड़ लेकर गुरुपद पर विराज मान हो गये है।
पर इसके ठीक विपरीत जयगुरुदेव पंथ के हजारों की संख्या मे अनुयायियों ने खुद को गुरुपद पर विराजित करने के स्थान पर उन परम सन्त की खोज मे अन्न का त्याग कर रखा है कि जिन सन्त की जन्म तिथि 8 सितम्बर 1951 है।
अब इनको कौन समझाये कि वह सन्त और कोई नही बल्कि सन्त रामपाल जी महाराज ही है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें