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क्या आप जानते है ?
कि आपका सिबिल स्कोर क्या है, जरूर जानते होंगे !
लेकिन आप जानते है कि आपका लाईफ स्कोर क्या है ।
आप पूछेंगे ये क्या होता है ?
अगर मै आप से पुछु की आपके जीवन का लक्ष क्या है ?
क्या आप इस जन्म के बाद अभी आप जहां है वहीं रहना चाहते है की इससे नीचे की ओर जाना , कि ऊपर की ओर ?
तो आपका जबाब होगा हर कोई उपर की ओर ही जाना चाहता है ।
लेकीन आप उपर की तरफ जाने के क्या प्रयास कर रहे हो ।
यहां पर आपके द्वारा अर्जित किया गया धन संपत्ति काम नहीं आता । यहां तो केवल आपके द्वारा किए गए कर्मो कि ही गणना की जाती है ।
इसे वेद में कर्म फल का सिद्धांत कहा जाता है ।
यानी कि आपने अपने लाइफ में ५०% अच्छे कार्य किए और ५० % बुरे, तो कर्म फल के सिद्धांत के अनुसार आप मरने के बाद मनुष्य योनि पाने के हकदार है किन्तु आपका जन्म एक निम्न वर्ग परिवार में होगा, यानी कि मजदूर , चपरासी आदि परिवारों में ही जन्म मिलेगा । अगर आप अपना स्कोर ६०* ७०% तक कर लेते हो तो आपका जन्म धनाढ्य परिवार में होगा, अगर स्कोर ८०*९०% तक कर लेते हो तो आपका जन्म राजा के घर में मिलेगा । अगर आप सच्ची भक्ति के साथ स्कोर १००% कर लेते है तो आप सनातन लोक अर्थात पूर्ण मोक्ष पा जाएंगे ।
चलिए यहां तक तो आप समझ लिए ।
परंतु अगर आपका स्कोर ५०% से कम रहा तो आप नीचे के योनियों में डाल दिए जाएंगे । जैसे जानवर, पशु, पक्षी, पेड़, पौधे,जलचर आदि ।
यहां तक तो ठीक है,लेकिन आपका स्कोर अगर माइनस में चला गया तो ?
यह नरक जैसा है, बैल घोड़ा गधा तो बनोगे लेकिन केवल इतने से काम नहीं चलेगा मालिक पिछवाड़े पर चाबुक भी बजाता रहेगा ।
स्कोर माइनस में क्यों जाता है ? जब इंसान चोरी हत्या पाप करता है, अपने स्वाद के लिए किसी की हत्या करता है,मिलावट जमाखोरी कम तोलना,झूठ बोलना,किसी के बारे में बुरा सोचना, तो तेजी से हमारा स्कोर घटने लगता है ।
ये विचार मेरे नहीं है, अपितु ये वेदों से लिए गए है ।
इस पर जरूर गौर करे,क्या जरूरी है सिबिल स्कोर या लाईफ स्कोर ?
वैसे आप अगर लाईफ स्कोर समझ गए तो सिबिल स्कोर तो कभी खराब ही नहीं होगा
प्रतिहर शाम
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क्या आप जानते है ?
कि आपका सिबिल स्कोर क्या है, जरूर जानते होंगे !
लेकिन आप जानते है कि आपका लाईफ स्कोर क्या है ।
आप पूछेंगे ये क्या होता है ?
अगर मै आप से पुछु की आपके जीवन का लक्ष क्या है ?
क्या आप इस जन्म के बाद अभी आप जहां है वहीं रहना चाहते है की इससे नीचे की ओर जाना , कि ऊपर की ओर ?
तो आपका जबाब होगा हर कोई उपर की ओर ही जाना चाहता है ।
लेकीन आप उपर की तरफ जाने के क्या प्रयास कर रहे हो ।
यहां पर आपके द्वारा अर्जित किया गया धन संपत्ति काम नहीं आता । यहां तो केवल आपके द्वारा किए गए कर्मो कि ही गणना की जाती है ।
इसे वेद में कर्म फल का सिद्धांत कहा जाता है ।
यानी कि आपने अपने लाइफ में ५०% अच्छे कार्य किए और ५० % बुरे, तो कर्म फल के सिद्धांत के अनुसार आप मरने के बाद मनुष्य योनि पाने के हकदार है किन्तु आपका जन्म एक निम्न वर्ग परिवार में होगा, यानी कि मजदूर , चपरासी आदि परिवारों में ही जन्म मिलेगा । अगर आप अपना स्कोर ६०* ७०% तक कर लेते हो तो आपका जन्म धनाढ्य परिवार में होगा, अगर स्कोर ८०*९०% तक कर लेते हो तो आपका जन्म राजा के घर में मिलेगा । अगर आप सच्ची भक्ति के साथ स्कोर १००% कर लेते है तो आप सनातन लोक अर्थात पूर्ण मोक्ष पा जाएंगे ।
चलिए यहां तक तो आप समझ लिए ।
परंतु अगर आपका स्कोर ५०% से कम रहा तो आप नीचे के योनियों में डाल दिए जाएंगे । जैसे जानवर, पशु, पक्षी, पेड़, पौधे,जलचर आदि ।
यहां तक तो ठीक है,लेकिन आपका स्कोर अगर माइनस में चला गया तो ?
यह नरक जैसा है, बैल घोड़ा गधा तो बनोगे लेकिन केवल इतने से काम नहीं चलेगा मालिक पिछवाड़े पर चाबुक भी बजाता रहेगा ।
स्कोर माइनस में क्यों जाता है ? जब इंसान चोरी हत्या पाप करता है, अपने स्वाद के लिए किसी की हत्या करता है,मिलावट जमाखोरी कम तोलना,झूठ बोलना,किसी के बारे में बुरा सोचना, तो तेजी से हमारा स्कोर घटने लगता है ।
ये विचार मेरे नहीं है, अपितु ये वेदों से लिए गए है ।
इस पर जरूर गौर करे,क्या जरूरी है सिबिल स्कोर या लाईफ स्कोर ?
वैसे आप अगर लाईफ स्कोर समझ गए तो सिबिल स्कोर तो कभी खराब ही नहीं होगा
प्रतिहर शाम
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