नवरात्रि शुरू होने से पहले हम जरूरी है कि आप अपने अंदर की बुराइयों कानवरात्रि शुरू होने से पहले हम जरूरी है कि आप अपने अंदर की बुराइयों का त्याग करें और साथ ही ये जान ले की हमारे धर्म शास्त्रों में दुर्गा जी के बारे में क्या तथ्य और जानकारी हैं और माता दुर्गा जी किस साधना करने की और संकेत कर रही हैं? त्याग करें और साथ ही ये जान ले की हमारे धर्म शास्त्रों में दुर्गा जी के बारे में क्या तथ्य और जानकारी हैं और माता दुर्गा जी किस साधना करने की और संकेत कर रही हैं?
देखिए गीता जी अध्याय 6 का श्लोक 16
इससे सिद्ध है कि व्रत रखना (बहुत कम खाना) हमारे शास्त्रों में मना किया गया है अर्थात् यह सब व्यर्थ की साधना है ।
अब देखें गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23
इस श्लोक से सिद्ध है कि अगर हम गीता जी के विपरीत साधना करेंगे तो हम मोक्ष ( मानव जीवन का मूल उद्देश्य) की प्राप्ति नहीं कर सकते।
श्रीमद् देवी भागवत पुराण के स्कंद 7, पृष्ठ 562 में देवी द्वारा हिमालय राज को ज्ञान उपदेश में दुर्गा जी स्वयं किसी और भगवान की पूजा करने की बात करती हैं। जहां देवी दुर्गा कहती हैं कि मेरी पूजा को भी त्याग दो और सब बातों को छोड़ दो, केवल ब्रह्म की साधना करो।
इससे सिद्ध है कि हमें सिर्फ पूर्ण परमात्मा की भक्ति साधना करनी चाहिए जो सिर्फ तत्वदर्शी संत ही बता सकते है जिसके विषय में गीता जी के अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा गया है।
वर्तमान समय में वह तत्वदर्शी संत इस धरती पर मौजूद है जो हमारे शास्त्रों के अनुसार भक्ति साधना बता रहे हैं आपसे अनुरोध करूंगी की आप सही भक्ति साधना जानने के लिए अवश्य पढ़ें पुस्तक ज्ञान गंगा निशुल्क मंगवाने के लिए +918630385761 पर व्हाट्सएप करें। पूर्ण परमात्मा कौन है? कैसे उनका पाया जा सकता है? देवी देवता को प्रसन्न करने की कौन से मंत्र हैं? देवी दुर्गा जी से भी ऊपर कौन सी शक्ति है इसके विषय में है श्रीमान देवी भागवत में कह रही है? कैसे हमारे सर्व दुख दूर हो सकते हैं और हम कैसे सुखमय जीवन जी सकते हैं? जानने के लिए अवश्य पढ़िए पुस्तक ज्ञान गंगा।
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