गुरुवार, 29 जनवरी 2015

secret of bhakti - तीनों गुणों से अतीत अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, शिव की भक्ति से ऊपर उठे भक्त के लक्षण

। तीनों गुणों से अतीत अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, शिव
की भक्ति से ऊपर उठे भक्त के लक्षण।।
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पवित्र गीता के अध्याय 14 के श्लोक 22 से 25 में
कहा है कि जो भक्त किसी देव की महिमात्मक
प्रशंसा सुन कर उस पर आसक्त नहीं होता क्योंकि उसे
पूर्ण ज्ञान है कि यह देव (गुण) केवल
इतनी ही महिमा रखता है जो जीव के उद्धार के लिए
पर्याप्त नहीं है। जैसे भगवान कृष्ण (विष्णु-सतगुण) ने
कंश-केशि, शिशुपाल आदि मारे तथा सुदामा को धन दे
दिया। आम जीव के कल्याण के लिए पर्याप्त नहीं है।
क्योंकि भगवान विष्णु (सतगुण) का उपासक केवल
स्वर्ग आदि उत्तम लोकों में जा सकता है। फिर
चैरासी लाख जूनियों का संकट बना रहेगा। इसलिए
वह साधक अपने विचार स्थिर रखता है
तथा अपना स्वभाव मोह वश नहीं बदलता और न
ही उन देवों (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) से द्वेष करता। न
ही उनकी आकांक्षा (इच्छा)
करता जो उनकी शक्ति से परिचित है, उनको वहीं तक
समझता है तथा अविचलित स्थित एक रस इनसे भी परे
परमात्मा में लीन रहता है तथा सुख-दुःख, मिट्टी-
सोना, प्रिय-अप्रिय, निन्दा-स्तुति में सम भाव में
रहता है। मान-अपमान, मित्र-वैरी को समान
समझता है तथा सर्व प्रथम अभिमान का त्याग
करता है। वह (भक्त) गुणातीत कहा जाता है।
**!! सत साहेब !!

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