शुक्रवार, 5 जून 2015

भ्रष्ट जजों की दास्तान


भ्रष्ट जजों की दास्तान 



नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने भारतीय न्याय प्रक्रिया पर बड़ा हमला बोला है। काटजू ने एक ब्लॉग लिखकर 50 फीसदी भारतीय जजों को भ्रष्ट करार दिया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय न्याय प्रणाली में बड़ी खामी है जिसे ठीक किया जाना बहुत जरूरी है।
 >1971 तक भ्रष्टाचार नहीं था कोर्ट में > काटजू ने लिखा है कि जब उन्होंने 1971 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से अपना कैरियर शुरु किया उस समय भारत की किसी भी कोर्ट में संभवत: भ्रष्टाचार नहीं था। लेकिन बाद में हाई कोर्ट में धीरे-धीरे भ्रष्टाचार बढ़ता गया। उन्होंने कहा कि 1994 में जस्टिस वेंकटचेलैया जोकि मुख्य न्यायाधीश के समय में बड़ी संख्या में न्यायाधीशों का भ्रष्टाचार के चलते तबादले किये गये थे।
मैंने खुद इलाहाबाद हाई कोर्ट पर सवाल उठाया था वहीं 2001 में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भरूच ने कहा था कि 20 फीसदी हाई कोर्ट के जज भ्रष्ट हो सकते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि मौजूदा समय में 50 फीसदी हाई कोर्ट के जज भ्रष्ट हैं। काटजू ने कहा कि 2011 के राजा खान बनाम सेंट्रल वक्फ बोर्ड के केस में मेरी खुद की बेंच जिसमें जस्टिस ग्यान सुधा मिश्रा भी शामिल थे को कहना पड़ा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में कुछ गलत हो रहा है

शांति भूषण के अपील को भी दबाया गया काटजू ने कहा कि शांति भूषण जोकि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं और पूर्व में कानून मंत्री भी रह चुके हैं ने खुद सुप्रीम कोर्ट में एक एफीडिविट दाखिल किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि पूर्व के 16 मुख्य न्यायाधीश भ्रष्ट थे। लेकिन मेरा मानना है कि उसके बाद से इस सूचि में और भी कई नाम जुड़ गये होंगे। शांति भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सीके प्रसाद के खिलाफ भ्रष्टाचार के चलते एफआईआर दाखिल करने की अपील की थी। लेकिन भारत की सुप्रीम कोर्ट ने इस भ्रष्टाचार के मुद्दे को दबा दिया था।
 सुप्रीम कोर्ट के जज ने 1000 करोड़ का भ्रष्टाचार किया काटजू ने कहा कि जस्टिस प्रसाद के खिलाफ मामला मेरे सामने भी आया था। जिसमें उनके खिलाफ 35 एकड़ जमीन जिसकी कीमत तकरीबन 1000 करोड़ रुपए थी को खरीदने का आरोप था। यह मामला 3 जजों की बेंच के पास था जिसमें से दो जजों ने इस मामले में महज कुछ मिनटों में अपनी मनमानी करते हुए जस्टिस प्रसाद के समर्थन में फैसला दिया था।
 जजों के खिलाफ सबूतों को दबा दिया गया वहीं इस मामले में दुष्यंत दवे ने सुप्रीम कोर्ट के बार काउंसिल एसोसिएशन में अपने जस्टिस प्रसाद के खिलाफ कई सबूत पेश किये थे। दवे ने अपने पत्र में लिखा था कि जस्टिस प्रसाद के द्वारा बनी बेंच जमीन के मामले की इतनी जल्दी सुनवाई करने के लिए क्यों आतुर थी। उन्होंने लिखा था कि अप्राकृतिक जल्दबाजी कई सवाल उठाती है। उन्होंने साथ ही अपने पत्र में लिखा था कि इस मामले को बिना बहस के ही पूरा कर लिया गया था।
क्या न्याय प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को उजागर नहीं करना चाहिए? काटजू ने कहा कि मेरे अनुसार प्रथम दृष्टया यह भ्रष्टाचार का मामला था और जस्टिस प्रसाद के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए थी। ऐसे में शांति भूषण की इस मामले में एफआईआर दर्ज करने की अपील बिल्कुल जायज थी। वहीं जब मैंने तीन जजों के भ्रष्टाचार की बात कही थी तो सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधी जस्टिस लोढ़ा ने कहा था कि कुछ लोग भारत की न्याय प्रक्रिया को बदनाम करना चाहते हैं। ऐसे में मेरा सवाल है कि क्या भ्रष्टाचार को लोगों के सामने नहीं लाना चाहिए///
इन भ्रष्ट जजों के खिलाफ आवाज उठाई है भारत के  एकमात्र महान अध्यात्मिक संत जगतगुरु रामपाल जी महाराज ने .....और इन भ्रष्ट जजों ने इस आवाज को दवाने के लिए उन पर झूठे केस लगा कर जेल में दाल दिया है ... और मिडिया के द्वारा भ्रामक प्रचार करवा दिया .... हे .. भारत की महान जनता आप अपने विवेक का प्रयोग कर सारी घटनाओ का निरपेक्ष रूप से निरिक्षण करो ...यदि आज आप चुक गये तो आपको इस भ्रष्ट तंत्र से मुक्ति नही मिल सकती .... आज आपको चाहिए सभी जनता संत जगतगुरु रामपाल जी का समर्थन करे भ्रष्ट जजों के खिलाफ .... बस यही आपको भ्रष्ट तंत्र से मुक्ति दिला सकते है . .. और अधिक जाने नाम सहित भ्रष्ट जजों को और उनकी कारस्तानियो को ..इस लिंक पर जाईये --http://www.rsss.co.in/books/bjkp.pdf 

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